Geeta jayanti 2023 : श्रीमद्भगवद्गीता गीता के संबंध में 10 रोचक तथ्य

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Geeta Jayanti 2023: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाएगी। इसी दिन श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 23-24 दिसंबर को 2023 के दिन गीता जयंती मनाई जाएगी। इस साल 2023 को गीता जयंती की 5160वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। आओ जानते हैं श्रीमद्भगवद्गीता गीता के संबंध में 10 रोचक तथ्य।
 
1. गीता महाभारत के शांति पर्व का एक भाग है। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। इसी‍लिये इसे गीतोपनिषद् भी कहते हैं। गीता का दूसरा नाम हरिगीता भी है। महाभारत में एक नहीं कई गीताएं हैं, लेकिन कुरुक्षेत्र की गीता ही खास है।
 
2. कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध के प्रथम दिन इस ज्ञान को श्रीकृष्‍ण ने दोनों सेनाओं के बीच रथ पर खड़े होकर कुंती पुत्र अर्जुन को यह ज्ञान दिया था। इस ज्ञान की शुरुआत तब हुई जब अर्जुन ने दोनों ओर की सोनाओं में अपना ही बंधु बांधवों को देखकर युद्ध करने से इनकार कर दिया था। 
 
3. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश लगभग 45 मिनट दिया था।  इस 45 मिनट में उन्होंने अर्जुन को सभी तरह से समझाकर उसका मोह भंग करके यह बताया था कि तू जो युद्ध कर रहा है यह अपने लिए नहीं धर्म के लिए कर रहा है। आज यदि तू युद्ध से विमुख हो जाएगा तो इतिहास तुझे कायरों की गिनति में शामिल करेगा और कहेगा कि तूने धर्म का साथ नहीं देकर अधर्म को ही मजूबत किया।
 
4. गीता को अर्जुन के अलावा संजय ने सुना और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया। कहते हैं कि रथ पर विराजमान हनुमान जी सहित इस ज्ञान को आकाश में स्थित देवी और देवताओं ने भी सुना था। यह भी कहा जाता है कि गीता का ज्ञान वहां से गुजर रहे एक पक्षी ने भी सुना था।
 
5. कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, हरियाणा के कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर नामक स्थान पर, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि को मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं। भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।
 
6. कहते हैं प्रथम दिन का उपदेश प्रात: 8 से 9 बजे के बीच हुआ था।
 
7. आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इसका मतलब की आर्यभट्ट की गणना अनुसार गीता का ज्ञान आज से 5159 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था।
 
8. गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। 18 अध्याय में अध्याय विषाद योग में 46, सांख्य योग में 72, कर्म योग में 43, ज्ञान कर्म संन्यास योग में 42, कर्म संन्यास योग में 29, ध्यान योग अथवा आत्मसंयम योग में 47, ज्ञान विज्ञान योग में 30, अक्षर ब्रम्हयोग में 28, राजविद्या राजगुह्य योग में 34, विभूति विस्तार योग में 42, विश्वरूप दर्शन योग में 55, भक्ति योग में 20, क्षेत्र क्षेत्रजन विभाग योग में 35, गुणत्रय विभाग योग में 27, पुरुषोत्तम योग में 20, दैवासुर सम्पद विभाग योग में 24, श्रध्दात्रय विभाग योग में 28, मोक्ष संन्यास योग में 78 श्लोक है।
 
9. कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन किसी भी प्रकार से संतुष्ट नहीं हुआ तब श्रीकृष्‍ण ने विराट रूप धारण किया था। अर्जुन के अलावा संजय, परशुराम, वेद व्यास और देवताओं ने अपनी दिव्यदृष्टि के कारण श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप या विश्‍व स्वरूप के दर्शन किए थे।
 
10. गीता पर जितने भाष्य, टीका और ग्रंथ लिखे गए हैं उतने किसी भी धर्मग्रंथ पर नहीं लिए गए हैं। यह दुनिया की सबसे उत्तम पुस्तक है जिसमें जीवन की हर समस्या का हल है। यही हिन्दुओं का एकमात्र सर्वमान्य धर्मग्रंथ भी है।
 

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