आषाढ़ माह में शुभ कार्यों पर लगेगी रोक

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इस बार होंगे दो आषाढ़, मांगलिक कार्य रहेंगे वर्जित  


 

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष के चौथे माह यानी आषाढ़ मास को वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है। आषाढ़ को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस बार 2 आषाढ़ होंगे, इस कारण चार्तुमास 5 महीने का होगा। 
 
ज्योतिषियों के अनुसार इन 5 महीनों में शुभ विवाह के मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस बार गुरु-शुक्र के उदय व अस्त होने से अच्छी बारिश होने के भी आसार हैं। इस बार पहला आषाढ़ 3 जून से 2 जुलाई तथा दूसरा आषाढ़ माह 3 जुलाई से 31 जुलाई तक रहेगा।

आषाढ़ के दो महीने यानी पूरे 58 दिनों का यह माह होगा। जून माह में सिर्फ 1 से 4, 6 और 10 से 12 कुल 8 दिन ही विवाह के मुहूर्त है। 12 जून के बाद शुभ विवाह के योग नहीं हैं। फिर मलमास लगने के कारण शादी एवं सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। गुरु भी सिंह राशि में चले जाएंगे। इस दौरान सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में 22 जून को प्रवेश होगा। यह समय वर्षाकाल माना जाता है। 
 
इसके बाद 27 जुलाई को विष्णु एकादशी (देवशयनी एकादशी) है। इस दिन से देवी-देवता 4 माह के लिए शयन करने चले जाएंगे। इसे चातुर्मास (चौमासा) भी कहा जाता है। 


 
इस दौरान देवी-देवताओं के 4 माह तक विश्राम में जाने की अवधि तक शास्त्रों के मुताबिक सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं, लिहाजा 4 मास के लिए विवाह कार्यक्रम में विराम लग जाएगा और इन 4 महीनों में शहनाई की गूंज सुनाई नहीं देगी। 
 
4 माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवता शयन से उठेंगे जिसे 'देवउठनी एकादशी' कहा जाता है। देवउठनी एकादशी के बाद फिर से विवाह लग्न प्रारंभ हो जाएंगे।
 
आषाढ़ मास में भगवान विष्णु का प्रिय पुरुषोत्तम मास भी है अत: इस माह का धार्मिक महात्म्य बहुत ही विशेष है। इस माह में किया गया दान-पुण्य मनुष्य के लिए पुण्य फलदायक रहता है। 
 
 
 
 
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