दिन और रात के 30 मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है ब्रह्म मुहूर्त। यह मुहूर्त उषा काल में आता है। यह मुहूर्त बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। बिजली के आने के पहले प्राचीन काल के लोग इसी मुहूर्त में उठकर अपने नित्य और दैनिक कार्य शुरू कर देते थे। आओ जानते हैं कि इस ब्रह्म मुहूर्त में कौनसे 5 कार्य करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव हो सकता है।
ब्रह्म मुहूर्त रात्रि का चौथा प्रहर होता है। सूर्योदय के पूर्व के प्रहर में दो मुहूर्त होते हैं। उनमें से पहले मुहूर्त को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं।
1. तांबे के लोटे का जल ग्रहण करें : ब्रह्म मुहूर्त में उठते ही सबसे पहले तांबे के लोटे में रात में भरे गए जल को ग्रहण करें। उसके बाद नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएं। यह जल पीने से सभी तरह के विजातीय पदार्थ बाहर हो जाते हैं। जल्दी उठने में सौंदर्य, बल, विद्या और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
वर्ण कीर्ति मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति। ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥-भाव प्रकाश सार-93
अर्थात : ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है।
2. पूजा, ध्यान या प्रार्थना : इस मुहूर्त में की गई पूजा, किया गया ध्यान या की गई प्रार्थना सफल होती है। अत: यह कार्य जरूर करें इससे पूरा दिन शुभ व्यतीत होगा। इस समय संपूर्ण वातावरण शांतिमय और निर्मल होता है। देवी-देवता इस काल में विचरण कर रहे होते हैं। सत्व गुणों की प्रधानता रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
॥यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥- सामवेद-35
अर्थात- व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
3. अध्ययन : इस मुहूर्त में छात्रों द्वारा किया गया अध्ययन सदा के लिए दिमाग में स्थापित हो जाता है। यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है, क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। सुबह ऑक्सिजन का लेवल भी ज्यादा होता है तो मस्तिष्क को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है जिसके चलते अध्ययन बातें स्मृति कोष में आसानी से चली जाती है। यह समय ग्रंथ रचना के लिए उत्तम माना गया है।
4. व्यायाम : इस मुहूर्त में कसरत, योग टहलना आदि बहुत ही लाभदायक माना गया है। नित्यकर्म से निवृत्त होकर यह कार्य जरूर करें। इससे मन और मस्तिष्क के साथ ही शरीर में निरोगी रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है।
॥प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥- ऋग्वेद-1/125/1
अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
5. प्राणायाम करना चाहिए : वैज्ञानिक शोधों से ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहुर्त में वायुमंडल प्रदूषणरहित होता है। इसी समय वायुमंडल में ऑक्सीजन (प्राणवायु) की मात्रा सबसे अधिक (41 प्रतिशत) होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है। शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद के अनुसार इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है।