संत रविदास की रचना

Webdunia
अबिगत नाथ निरंजन देवा।
मैं का जांनूं तुम्हारी सेवा।। टेक।।


बांधू न बंधन छांऊं न छाया,
तुमहीं सेऊं निरंजन राया।।1।।

चरन पताल सीस असमांना,
सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।।2।।

सिव सनिकादिक अंत न पाया,
खोजत ब्रह्मा जनम गवाया।।3।।

तोडूं न पाती पूजौं न देवा,
सहज समाधि करौं हरि सेवा।।4।।

नख प्रसेद जाकै सुरसुरी धारा,
रोमावली अठारह भारा।।5।।

चारि बेद जाकै सुमृत सासा,
भगति हेत गावै रैदासा।।6।।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

धन, ज्ञान और शांति के लिए गुरु पूर्णिमा पर करें ये 7 उपाय, दूर होंगी सारी बाधाएं

गुरु पूर्णिमा 2025: सोच समझकर लें गुरु दीक्षा, जानिए सच्चे गुरु की पहचान

हरियाली अमावस्या कब है, जानिए पितृ दोष मुक्ति के 5 अचूक उपाय

गुरु पूर्णिमा: प्राचीन भारत के 14 महान गुरु जिन्होंने दिया धर्म और देश को बहुत कुछ

गुरु का मिथुन राशि में उदय, 12 राशियों का राशिफल

सभी देखें

धर्म संसार

यदि आप कावड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो कैसे शिवजी पर जल अर्पित करें, जानिए

सावन मास से इन 3 राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग

आषाढ़ व्रत पूर्णिमा का क्या है महत्व, इन 5 उपायों से दूर होगी धन की समस्या

गुरु और जीवन : अभिन्न हैं

भविष्यवाणी: अब होने वाली है स्वर्ण युग की शुरुआत, जानिए श्रीकृष्ण ने माता गंगा से क्या कहा...