Ganga river: गंगा नदी उत्तराखंड के बाद उत्तर प्रदेश से होती हुई यह नदी बिहार में पहुंचती है और फिर पश्चिम बंगाल के हुगली पहुंचती है। यहां से बांग्लादेश में घुसकर यह ब्रह्मपुत्र नदी से मिलकर गंगासागर, जिसे आजकल बंगाल की खाड़ी कहा जाता है, में मिल जाती है। हुगली नदी कोलकाता, हावड़ा होते हुए सुंदरवन के भारतीय भाग में सागर से संगम करती है। इस स्थान को गंगा सागर कहते हैं। कहते भी हैं कि सारे तीरर्थ बार बार गंगा सागर एक बार।
गंगासागर तीर्थ पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24 परगना जिले के सागर आईलैंड को गंगासागर कहते हैं। गंगासागर बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में कोलकाता से 150 किलोमीटर दक्षिण में एक द्वीप है। यात्री कोलकाता से नाव से गंगा सागर जाते हैं।
2500 साल पहले बड़े भूकंप ने बदला था गंगा नदी का रूट:-
भूगर्भी गतिविधियों पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि 2500 वर्ष पहले एक बड़ा भूकंप आया था जिसके चलते गंगा नदी ने अपना मार्ग बदल दिया था। शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका के पास भू-भाग में इसके जबरदस्त बल के संकेत के आधार पर नीदरलैंड्स की वेगेनिंगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में सोमवार (17 जून 2024) को प्रकाशित एक अध्ययन में अपने निष्कर्षों का खुलासा किया है।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आज से 2500 साल पहले आए भूकंप ने गंगा नदी के प्रवाह की दिशा को बदल दिया था। इस भूकंप के सबूत बांग्लादेश की राजधानी ढाका के आसपास मिले हैं। इस भूकंप की तीव्रता 7.5 या 8 के आसपास थी। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट की मदद से गंगा की पुरानी धारा की भी खोज की है। अध्ययन की मुख्य लेखिका लिज चेम्बरलेन, जो नीदरलैंड में वेगेनिंगन विश्वविद्यालय में भू-कालविज्ञानी और सहायक प्रोफेसर हैं, ने बयान में कहा, "इस बात की पहले पुष्टि नहीं हुई थी कि भूकंप डेल्टा में कटाव को बढ़ावा दे सकता है, खासकर गंगा जैसी विशाल नदी के लिए।
बांग्लादेश में गंगा को 'पद्मा' के नाम से जाना जाता है। वहां यह ढाका से करीब 50 किलोमीटर दूर दक्षिण में बहती है। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट इमेजरी से पाया कि कभी यह ढाका से 100 किलोमीटर दूर बहती थी। भूकंप के कारण इसमें बदलावा आया।
पुरानी गंगा : बांग्लादेश की पुरानी गंगा को बुरी गंगा भी कहते हैं। एक ऐसा समय था जबकि यह संपूर्ण बंगाल की जीवनरेखा हुआ करती थी। यह बांग्लादेश की राजधानी दक्षिण पश्चिम में बहती है। समाचारों के अनुसार इस नदी की औसत गहराई करीब 7.6 मीटर मानी जाती है। अधिकतम गहराई 18 मीटर है। एक ऐसा समय था जबकि हजारों लोग यहां पर मछली पकड़कर अपनी जीवन यापन करते थे। इसी नदी से बंगाल के लोग अपनी प्यास भी बुझाते थे। मध्यकाल में इस गंगा का तट व्यापार के लिए भी प्रसिद्ध था। वर्तमान में इस पुरानी गंगा की हालत खराब है। यह इतनी प्रदूषित है कि अब इसका पानी काला नजर आता है। मानसून के माह में ही थोड़ा बहुत साफ दिखाई देता है। बुरिगंगा की उत्पत्ति ढाका के पास सावर के दक्षिण में धालेश्वरी से हुई थी। भारत की गंगा नदी का पहले यह हिस्सा थी लेकिन किसी प्राकृतिक आपदा के चलते गंगा ने अपना मार्ग बदल दिया।