Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
  • व्रत/दिवस-झलकारी बाई ज., दुर्गादास राठौर दि.
webdunia
Advertiesment

भारत को छोड़कर इस देश में बहती है पुरानी गंगा नदी

हमें फॉलो करें Ganga dip

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 28 जून 2024 (11:23 IST)
Purani ganga : भारत में बहने वाली गंगा नदी देश की सबसे लंबी नदी है। मुख्‍य गंगा नदी की कई अन्य धाराएं हैं जिन्हें अलग अलग नामों से जाना जाता है। प्रारंभ में जो धारा है उसको भागीरथी गंगा, धौलीगंगा और गौरीगंगा कहते हैं। कई जगहों पर गुप्त गंगा का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा बूढ़ी गंगा, रामगंगा, विष्णुगंगा और शिवगंगा का उल्लेख भी मिलता है। नेपाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल और फिर दूसरी ओर से बांग्लादेश में घुसकर यह बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। बांग्लादेश में एक पुरानी गंगा नाम से भी नदी है। ALSO READ: Ganga Nadi : गंगा नदी के 5 सबसे खूबसूरत घाट, जहां बैठकर आत्मा हो जाएगी प्रसन्न
 
बांग्लादेश की पुरानी गंगा को बुरी गंगा भी कहते हैं। एक ऐसा समय था जबकि यह संपूर्ण बंगाल की जीवनरेखा हुआ करती थी। यह बांग्लादेश की राजधानी दक्षिण पश्‍चिम में बहती है। समाचारों के अनुसार इस नदी की औसत गहराई करीब 7.6 मीटर मानी जाती है। अधिकतम गहराई 18 मीटर है। एक ऐसा समय था जबकि हजारों लोग यहां पर मछली पकड़कर अपनी जीवन यापन करते थे। इसी नदी से बंगाल के लोग अपनी प्यास भी बुझाते थे। मध्यकाल में इस गंगा का तट व्यापार के लिए भी प्रसिद्ध था।

क्यों कहते हैं बुरी गंगा : बांग्ला भाषा में बुरि गंगा कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ पुरानी गंगा है। वर्तमान में इस पुरानी गंगा की हालत खराब है। यह इतनी प्रदूषित है कि अब इसका पानी काला नजर आता है। मानसून के माह में ही थोड़ा बहुत साफ दिखाई देता है। बुरिगंगा की उत्पत्ति ढाका के पास सावर के दक्षिण में धालेश्वरी से हुई थी। भारत की गंगा नदी का पहले यह हिस्सा थी लेकिन किसी प्राकृतिक आपदा के चलते गंगा ने अपना मार्ग बदल दिया। 
  
भारत में बहने वाली पवित्र नदियों में गंगा का स्थान सबसे ऊपर माना गया है। इसके बाद सिंधु, सरस्वती, यमुना, नर्मदा, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी, महानदी, ताप्ती, सरयू, शिप्रा, झेलम, ब्रह्मपुत्र आदि का नाम आता है। गंगा ही सैंकड़ों धाराएं हैं और इतनी ही सहायक नदियां भी हैं। ALSO READ: गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल के 3 स्‍लैब गिरे, अखिलेश का भाजपा पर बड़ा आरोप
 
भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा। तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं। बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर दिया। मुक्त करने के बाद सबसे पहले वह गोमुख क्षेत्र में गिरी और इसके बाद गंगोत्री से विधिवत बहने लगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ketu Gochar : 18 मई 2025 तक केतु के कन्या राशि में होने से होगा इन 4 राशियों को अपार लाभ