समस्त पापों से मुक्ति दिलाएं कार्तिक मास, जानें श्र्लोक एवं महत्व

श्री रामानुज
जानिए कार्तिक मास के श्लोक व उनका महत्व
 

 

 
28 अक्टूबर से कार्तिक मास का प्रारंभ हो रहा है। कार्तिक मास 28 अक्टूबर से 25 नवंबर तक रहेगा। प्राचीन हिंदू धार्मिक ग्रंथों में कार्तिक मास में व्रत और तप का विशेष महत्व बताया गया है।

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इस मास में व्रत और तप करने से जातक सभी पापों का नाश होता है। पुराणों के अनुसार जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
आगे पढ़ें श्र्लोक एवं महत्व 
 

 


मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
(स्कंद पुराण, वै. खं. कां. मा. 1/14)
 
स्कंद पुराण में लिखे इस श्लोक के अनुसार, भगवान विष्णु एवं विष्णुतीर्थ के समान ही कार्तिक मास भी श्रेष्ठ और दुर्लभ है। एक अन्य श्लोक के अनुसार -
 
न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।
 
अर्थात- कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के  समान कोई तीर्थ नहीं है। 

 
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