Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्थी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण चतुर्थी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-देवदर्शन
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

मां पीताम्बरा देवी कौन हैं, क्या है उनकी कथा? कहां है उनके मंदिर?

हमें फॉलो करें मां पीताम्बरा देवी कौन हैं, क्या है उनकी कथा? कहां है उनके मंदिर?
, बुधवार, 26 अप्रैल 2023 (06:35 IST)
Maa pitambara jayanti 2023: वैशाख शुक्ल अष्टमी के दिन मां पितांबरा की जयंती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 28 अप्रैल 2023 को उनकी जयंती मनाई जाएगी। पीतांबर का अर्थ होता है पीले वस्त्र पनहने वाला या पहनने वाली। मां पीले वस्त्र धारण करती है इसीलिए उन्हें पीतांबरा कहते हैं। आओ जानते हैं कि पीताम्बरा देवी कौन हैं और हां पर हैं इनके मंदिर और क्या कथा है इनकी।
 
मां पीताम्बरा देवी कौन हैं : देवी त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती है, पीले शारीरिक वर्ण युक्त है, देवी ने पीला वस्त्र, आभूषण तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। इसीलिए उनका एक नाम पीतांबरा भी है। पीताम्बरा देवी की मूर्ति के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एवं शत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभ को कीलित कर देती हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं।
 
क्या है देवी पीतांबरा की कथा : बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। कहते हैं कि हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था। इसी कारण माता को पीतांबरा कहते हैं।
webdunia
सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: मां बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।
 
कहां है उनके मंदिर : भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

26 अप्रैल 2023: बुधवार का दिन क्या खास लेकर आया है 12 राशियों के लिए, पढ़ें दैनिक राशिफल