Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(प्रतिपदा तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • व्रत/मुहूर्त-चंद्रदर्शन
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

पूजा किस प्रकार से की जाती है, जानिए पूजन की विधि

हमें फॉलो करें ganesh chaturthi

अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 21 मई 2024 (14:49 IST)
Puja ki samagri and pujan vidhi: प्राचीनकाल में संध्योपासना या संध्यावंदन की जाती थी। इसमें बदलाव होता गया। अब मोटे तौर पर कह सकते हैं कि संध्योपासना के 5 प्रकार हैं- 1. प्रार्थना, 2. ध्यान-साधना, 3. भजन-कीर्तन 4. यज्ञ और 5. पूजा-आरती। आओ जानते हैं कि किसी भी देवी या देवता की पूजा किस प्रकार की जाती है, जानिए पूजन विधि।
 
पूजा के मुख्‍यत: 5 प्रकार है- 
  1. अभिगमन, उपादान, योग, स्वाध्याय और इज्या।
  2. इसमें उपादान पूजा के 3 प्रकार होते हैं।
  3. पंचोपचार, दशोपचार और सोलह उपचार।
  4. सलोहर उपचार को ही षोडशोपचार कहते हैं।
ALSO READ: lakshmi puja for wealth : लक्ष्मी पूजा का है ये सही तरीका, तभी माता होंगी प्रसन्न
1. पांच उपचार : गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।
2. दस उपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र निवेदन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।
3. सोलह उपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए। षोडशोपचार यानी विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना।
 
षोडशोपचार पूजन : 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।
webdunia
Hanuman jee Worship
कैसे करें पूजा, जानिए पूजन विधि:-
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
 
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या भगवान की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
4. फिर देवताओं के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
 
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
6. अंत में आरती करें। जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
7. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
webdunia
घर में पूजा करने के नियम : 
1. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए।
 
2. पूजा का उचित मुहूर्त देखें या दोपहर 12 से शाम 4, रात्रि 12 से प्रात: 3 बजे के बीच का समय छोड़कर पूजा करें।
 
3. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। पूजा के समय सभी एकत्रित होकर पूजा करें। पूजा के दौरान किसी भी प्रकार शोर न करें।
 
घर में पूजा हेतु क्या क्या होना चाहिए :
गृहे लिंगद्वयं नाच्यं गणेशत्रितयं तथा।
शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यो शक्तित्रयं तथा॥
द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्राम शिलाद्वयम्‌।
तेषां तु पुजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही॥
अर्थ- घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है।
 
एका मूर्तिर्न सम्पूज्या गृहिणा स्केटमिच्छता।
अनेक मुर्ति संपन्नाः सर्वान्‌ कामानवाप्नुयात॥
अर्थ : कल्याण चाहने वाले गृहस्थ एक मूर्ति की पूजा न करें, किंतु अनेक देवमूर्ति की पूजा करे, इससे कामना पूरी होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने श्रीलंका स्थित ऐतिहासिक सीता अम्मन मंदिर का उद्घाटन किया