निषादराज गुह्य कौन थे, पढ़ें प्रभु श्री राम के प्रिय सखा केवट की पौराणिक गाथा

Webdunia
* निषादराज गुह्य जयंती

भगवान श्री राम के प्रिय सखा निषाद राज की जयंती पर केवट समाज द्वारा बड़े ही भव्य रूप से शोभा यात्रा निकाली जाती है तथा प्रसाद वितरण किया जाता है। 
 
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार केवट भोईवंश का था तथा मल्लाह का काम करता था। केवट रामायण का एक खास पात्र है, जिसने प्रभु श्री राम को वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने नाव में बिठा कर गंगा पार करवाया था। 
 
निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकांड में किया गया है। 
 
राम केवट को आवाज देते हैं- नाव किनारे ले आओ, पार जाना है। 
 
मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥
 
- श्री राम ने केवट से नाव मांगी, पर वह लाता नहीं है। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। वह कहता है कि पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। 
 
केवट प्रभु श्री राम का अनन्य भक्त था। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है। केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजूरी का फल पा जाए। 
 
राम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं। केवट राम राज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है। 
 
राम त्रेता युग की संपूर्ण समाज व्यवस्था के केंद्र में हैं, इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। उसके स्थान को समाज में ऊंचा करते हैं। राम की संघर्ष और विजय यात्रा में उसके दाय को बड़प्पन देते हैं। त्रेता के संपूर्ण समाज में केवट की प्रतिष्ठा करते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

प्रयाग कुंभ मेले में जा रहे हैं तो ये 12 कार्य करें और 12 कार्य नहीं

महाकुंभ में नहीं जा पा रहे तो इस विधि से घर बैठे पाएं संगम स्नान का पुण्य लाभ

Saptahik Panchang: साप्ताहिक पंचांग 13 से 19 जनवरी 2025, पढ़ें सप्ताह के मंगलमयी मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 2025, जानें इस सप्ताह किसके चमकेंगे सितारे (13 से 19 जनवरी)

Mahakumbh 2025: प्रयागराज कुंभ मेले में जा रहे हैं तो इन 12 नियमों और 12 सावधानियों को करें फॉलो

सभी देखें

धर्म संसार

17 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

17 जनवरी 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Shattila Ekadashi: 2025 में कब है षटतिला एकादशी, क्यों मनाई जाती है?

तिल संकटा चौथ पर कौन सा प्रसाद चढ़ाएं श्रीगणेश को, जानें तिल का महत्व और भोग की विधि

डर के मारे भगवा रंग नहीं पहन रही हर्षा रिछारिया, जानिए क्या है वजह?

अगला लेख