धार्मिक कविता : नमामि शम्भो

सुशील कुमार शर्मा
शिव लिंगरूप बहिरंग हैं, नमामि शम्भो।
शिव ध्यानरूप अंतरंग हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव तत्व ज्ञानस्वरूप हैं, नमामि शम्भो।
शिव भक्ति के मूर्तरूप हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव ब्रम्ह्नाद के आधार हैं, नमामि शम्भो।
शिव शुद्ध पूर्ण विचार हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव अखंड आदि अनामय हैं, नमामि शम्भो।
शिव कल्प भाव कलामय हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव आकाशमय निराकार हैं, नमामि शम्भो।
शिव अभिवर्द्ध व्यापक साकार हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव शून्य का भी शून्य हैं, नमामि शम्भो।
शिव सूक्ष्म से भी न्यून हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव सरल से भी सरलतम हैं, नमामि शम्भो।
शिव ज्ञान से भी गूढ़तम हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव काल से भी भयंकर हैं, नमामि शम्भो।
शिव शक्ति से अभ्यंकर हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव मरु की जलधार हैं, नमामि शम्भो।
शिव सागर से अपार हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव निर्विकल्प निर्भय हैं, नमामि शम्भो।
शिव पुरुष रूप अभय हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव मृत्यु को जीते हैं, नमामि शम्भो।
शिव विषम विष पीते हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव दिगम्बरा नीलाम्बरा हैं, नमामि शम्भो।
शिव मुक्तिधरा पार्वतीवरा हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव शुक्लांबरा अर्द्धनारीश्वरा हैं, नमामि शम्भो।
शिव विश्वेश्वरा शशिशेखर धरा हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव गौरीवरा कालांतरा है, नमामि शम्भो।
शिव गंगाधरा आनंदवरा हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव शक्ति के अनवरत पुंज हैं, नमामि शम्भो।
शिव परमानंद निकुंज हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव दलित अपंगों के पालक हैं, नमामि शम्भो।
शिव अपमान, दु:खों के घालक हैं, नमामि शम्भो।
 
शिव दीन-दुखियों के ईष्ट हैं, नमामि शम्भो।
शिव सौम्य सात्विक परिशिष्ट हैं, नमामि शम्भो।

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