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(शिवाजी जयंती)
  • तिथि- फाल्गुन कृष्ण षष्ठी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गुरु गोलवलकर ज., शिवाजी ज. (नवीन मत से)
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श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज: जय भवानी जय शिवाजी क्यों कहते हैं?

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हमें फॉलो करें श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज: जय भवानी जय शिवाजी क्यों कहते हैं?

WD Feature Desk

, बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (14:43 IST)
भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन्‌ 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में हुआ। कुछ लोग 1627 में उनका जन्म बताते हैं। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था। शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है। जब श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की बात आती है तो नारा लगाया जाता है- जय भावानी जय शिवाजी। आखिर क्यों? 
 
भवानी के उपासक: 
शिवाजी महाराज दुर्गा माता के तुलजा स्वरूप के उपासक और भक्त थे। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है तुलजापुर। एक ऐसा स्थान जहां छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी मां तुलजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के कई निवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रचलित हैं। वीर श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की कुलदेवी मां तुलजा भवानी हैं। शिवाजी महान उन्हीं की उपासना करते रहते थे। 
 
जय भवानी जय शिवाजी: मान्यता है कि शिवाजी को खुद देवी मां ने प्रकट होकर एक तलवार प्रदान की थी। इस तलवार को 'भवानी की तलवार' कहा जाता है। अभी यह तलवार लंदन के संग्रहालय में रखी हुई है। इसी तलवार के बल पर शिवाजी महाराज ने कई युद्ध जीते थे। जब भी युद्ध भूमि में वे और उनकी सेना जाती थी तो नारा लागाया जाता था- हर हर महादेव, जय भवानी की जय। बाद में लोगों ने इसके आगे जय भावानी जय शिवाजी के नारे को प्रचलित कर दिया।
 
'जय भवानी, जय शिवाजी' का नारा, छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में और उनके शौर्य और पराक्रम को दिखाने के लिए लगाया जाता है। 
 
शोभायात्रा : आजकल जब भी शिवाजी महाराज की जयंती या पुण्यतिथि आती है तब उनकी पालकी निकाली जाती है। क्षत्रिय मराठा समाज सहित सभी हिंद समाज के द्वारा शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। शोभायात्रा में समाज के महिला-पुरुषों द्वारा लगाए 'जय भवानी जय शिवाजी, आज का पुत्र कैसा हो वीर शिवाजी जैसा हो, आज की माता कैसी हो जीजा माता जैसी हो' जैसे नारे लगाती हैं।
- अनिरुद्ध जोशी 

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