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जानकी जयंती 2025: माता सीता का जन्म कब और कैसे हुआ था?

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WD Feature Desk

, सोमवार, 17 फ़रवरी 2025 (12:08 IST)
Sita ashtami 2025: जानकी जयंती 2025 इस बार 20 फरवरी, बृहस्पतिवार को मनाई जा रही है। इस दिन माता सीता का जन्म होने के कारण इस तिथि को जानकी प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, सीता अष्‍टमी या जानकी जयंती का पर्व फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन कालाष्टमी भी मनाई जाएगी।ALSO READ: Weekly Horoscope: फरवरी का तीसरा सप्ताह 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा, पढ़ें अपना साप्ताहिक भविष्यफल
 
आइए यहां जानते हैं माता सीता की जन्म कथा और मुहूर्त के बारे में... 
 
कब मनाई जाएगी जानकी जयंती 2025 : 
फाल्गुन, कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ- फरवरी 20 को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर 
समापन- फरवरी 21 को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा।
 
इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत गुरुवार, 20 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर होगी। यह तिथि 21 फरवरी, शुक्रवार को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि को देखते हुए 'जानकी जयंती' कैलेंडर के मतांतर के चलते 20 और 21 फरवरी को मनाई जा सकती है। 
 
माता सीता का जन्म कैसे हुआ था : माता सीता, जिन्हें जानकी या जनकपुत्री के नाम से जाना जाता है, हिन्दू धर्म में पूजनीय देवी हैं। वे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पत्नी और मिथिला के राजा जनक की पुत्री थीं। रामायण में वर्णित माता सीता के जन्म की कहानी के अनुसार एक बार राजा जनक यज्ञ के लिए भूमि तैयार कर रहे थे। जब वे हल चला रहे थे, तब उन्हें धरती में एक पेटी मिली। उस पेटी में एक सुंदर कन्या लेटी हुई थी। राजा जनक ने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।
 
जनकपुत्री हल से मिली होने के कारण सीता को 'सीता' कहा गया। सीता को जानकी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह राजा जनक की पुत्री थीं और जनक को विदेहराज भी कहा जाता था। इसलिए सीता वैदेही भी कहलाईं। 
 
धार्मिक मान्यतानुसार माता सीता को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। वे साहस, त्याग, और प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं। इसी कारण जानकी जयंती के दिन माता सीता की पूजा अर्चना की जाती है और उनके गुणों को याद किया जाता है।

साथ ही माता सीता भगवान श्री राम की श्री शक्ति होने के कारण भी फाल्गुन कृष्ण अष्टमी के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर पति की लंबी आयु और सुखद दांपत्य जीवन की कामना से प्रभु श्री राम और माता सीता का पूजन करती है तथा सीता जैसे गुणों को प्राप्त करने के भाव से व्रत रखती है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?

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