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(द्वादशी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण द्वादशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थसिद्धि योग, सुरूप द्वादशी
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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योगिनी एकादशी का व्रत रखने से क्या होगा?

हमें फॉलो करें योगिनी एकादशी का व्रत रखने से क्या होगा?
वर्ष भर में 24 एकादशी व्रत आते हैं तथा जब अधिक मास होता है, तब कुल मिलाकर 26 एकादशियां पड़ती है। आषाढ़ मास में 2 एकादशी आती है, जो कि योगिनी और देवशयनी के नाम से जानी जाती है। 
 
धार्मिक मान्यता के अनुसार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत रखने से सभी पाप दूर होते हैं। यह एकादशी पापों का नाश, संकटों से मुक्ति, उपद्रव, दरिद्रता दूर करने वाली मानी गई है। इतना ही नहीं योगिनी एकादशी सभी तरह के मनोरथ पूर्ण करने वाली तथा मोक्ष देने वाली मानी गई है।

यह एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध होने के कारण इस दिन लक्ष्मी-विष्णु जी का पूजन करने से तथा इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा परलोक में मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान के समय मिट्टी और काले तिल के उबटना का उपयोग करना बहुत शुभ माना जाता है।  
 
दशमी तिथि से ही एकादशी व्रत का संकल्प लेकर तथा लक्ष्मी-नारायण के स्वरूप का ध्यान करते हुए रात्रि जागरण करने का बहुत ही पुण्‍यफल प्राप्त होता है। यह व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है तथा समस्त पाप दूर होकर अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है।

यह व्रत कल्पतरू के समान माना गया है, जिसके प्रभाव से मनुष्य के सभी कष्‍ट दूर होते हैं तथा यदि आप किसी श्राप से ग्रसित है, तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह एकादशी बहुत खास है। हर तरह के श्राप और समस्त पापों से मुक्ति दिलाकर इस एकादशी से अच्छे फल मिलते है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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