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कौन था वह राजकुमार, जिसकी हत्या विश्व युद्ध का कारण बन गई? जानिए कैसे हुई World War 1 की शुरुआत

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हमें फॉलो करें प्रथम विश्व युद्ध क्यों हुआ

WD Feature Desk

, मंगलवार, 29 जुलाई 2025 (14:34 IST)
why first world war happened: इतिहास के पन्नों में कुछ घटनाएं इतनी छोटी प्रतीत होती हैं, लेकिन उनके परिणाम इतने भयावह होते हैं कि वे पूरी दुनिया को बदल कर रख देते हैं। प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत भी ऐसी ही एक घटना से हुई थी – ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के एक राजकुमार की हत्या। यह हत्या एक चिंगारी थी, जिसने यूरोप में पहले से सुलग रहे तनाव को एक विशाल और विनाशकारी आग में बदल दिया। आइए जानते हैं कौन था वह राजकुमार, कैसे हुई उसकी हत्या, और कैसे एक छोटी सी घटना ने दुनिया को पहले विश्व युद्ध की खाई में धकेल दिया।

एक राजकुमार की हत्या: युद्ध की पहली चिंगारी
कहानी शुरू होती है फ्रांज फर्डिनेंड से, जो ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के युवराज और सम्राट फ्रांज जोसेफ के उत्तराधिकारी थे। 28 जून 1914 को, वे अपनी पत्नी सोफी के साथ बोस्निया की राजधानी साराजेवो के दौरे पर थे। बोस्निया उस समय ऑस्ट्रिया-हंगरी के कब्जे में था, लेकिन सर्ब राष्ट्रवादी इसे सर्बिया में मिलाना चाहते थे।
इसी दौरान, एक सर्ब राष्ट्रवादी संगठन 'ब्लैक हैंड' के सदस्य गावरिलो प्रिंसिप ने गोली मारकर फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या कर दी। इस हत्या के पीछे सर्ब राष्ट्रवादियों की मंशा थी कि बोस्निया को ऑस्ट्रिया-हंगरी के कब्जे से आज़ाद कर सर्बिया में मिला दिया जाए। उन्हें लगा कि इस हत्या से सर्बों को स्वतंत्रता मिलेगी, लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि उनका यह कदम पूरे विश्व को एक भयानक युद्ध में धकेल देगा।

कैसे फैला युद्ध? सैन्य गठबंधनों का जाल
फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गुस्से से भर दिया। उसने सर्बिया पर सख्त शर्तों के साथ एक अल्टीमेटम भेजा, जिसमें हत्यारों को सौंपने और सर्बियाई राष्ट्रवादियों पर लगाम कसने की मांग की गई थी। सर्बिया ने इस अल्टीमेटम को आंशिक रूप से ही स्वीकार किया, जिससे नाराज होकर ऑस्ट्रिया-हंगरी ने 28 जुलाई 1914 को सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
यह एक छोटी-सी क्षेत्रीय लड़ाई लग सकती थी, लेकिन यूरोप के देशों के बीच पहले से बने जटिल सैन्य गठबंधनों ने इसे एक विशाल युद्ध में बदल दिया:
ट्रिपल एलायंस (केंद्रीय शक्तियां): जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली (हालांकि इटली बाद में मित्र राष्ट्रों में शामिल हो गया)।
ट्रिपल एन्तेन्ते (मित्र राष्ट्र): फ्रांस, रूस और ब्रिटेन।
जैसे ही ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर हमला किया, रूस ने सर्बिया का समर्थन किया और अपनी सेना को लामबंद करना शुरू कर दिया। जर्मनी, जो ऑस्ट्रिया-हंगरी का सहयोगी था, ने रूस को चेतावनी दी और फिर फ्रांस पर हमला कर दिया (क्योंकि फ्रांस रूस का सहयोगी था)। ब्रिटेन ने जर्मनी के बेल्जियम पर हमले के बाद युद्ध में प्रवेश किया। इस तरह, एक के बाद एक देश इस युद्ध में शामिल होते गए, और यह एक क्षेत्रीय संघर्ष से वैश्विक महायुद्ध में बदल गया।

कितने देश और कितनी तबाही?
प्रथम विश्व युद्ध, जो 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ, लगभग चार साल तक चला। इस युद्ध में दुनिया के लगभग 37 देश शामिल थे, जो दो प्रमुख गुटों में बंटे हुए थे:
मित्र राष्ट्र (Allied Powers): सर्बिया, ब्रिटेन, जापान, रूस, फ्रांस, इटली, अमेरिका आदि।
केंद्रीय शक्तियां (Central Powers): जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया और ऑटोमन साम्राज्य।
यह युद्ध नरसंहार और वीभत्सता के लिए जाना जाता है। इसमें लगभग 6.5 करोड़ सैनिक शामिल हुए थे, जिनमें से लगभग 90 लाख सैनिक मारे गए और 2.2 करोड़ घायल हुए। लाखों लोग गायब हो गए या बंदी बना लिए गए। नागरिकों की भी भारी संख्या में मौतें हुईं, जिससे कुल मौतों का आंकड़ा 1.5 करोड़ से भी अधिक हो गया। इस युद्ध में पहली बार टैंक, हवाई जहाज, पनडुब्बी और रासायनिक हथियारों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ, जिसने तबाही का स्तर बढ़ा दिया।

क्या था युद्ध का परिणाम?
प्रथम विश्व युद्ध का परिणाम दूरगामी और परिवर्तनकारी था:
साम्राज्यों का विघटन: ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन और रूसी साम्राज्यों का विघटन हो गया।
नए राष्ट्रों का उदय: पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया जैसे कई नए राष्ट्रों का उदय हुआ।
विश्व मानचित्र में परिवर्तन: जर्मनी, ऑस्ट्रिया, फ्रांस और रूस की सीमाएं बदल गईं। जर्मनी ने अपने सभी उपनिवेश खो दिए।
सामाजिक परिणाम: लाखों युवा मारे गए, जिससे जन्म दर में गिरावट आई। महिलाओं की भूमिका में परिवर्तन आया, क्योंकि उन्होंने कारखानों और दफ्तरों में पुरुषों का स्थान लिया।
लीग ऑफ नेशंस का गठन: भविष्य में ऐसे युद्धों को रोकने के लिए 'लीग ऑफ नेशंस' (राष्ट्र संघ) का गठन किया गया, हालांकि यह सफल नहीं हो सका और द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त हुआ।
आर्थिक प्रभाव: युद्ध ने यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया, जिससे भारी कर्ज और मुद्रास्फीति बढ़ी।
फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या एक छोटी सी घटना थी, लेकिन इसने राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, सैन्यवाद और जटिल गठबंधनों के एक बड़े जाल को सक्रिय कर दिया, जिससे दुनिया ने इतिहास का पहला महायुद्ध देखा। यह युद्ध मानव इतिहास में सबसे विनाशकारी संघर्षों में से एक था, जिसने वैश्विक राजनीति और समाज को हमेशा के लिए बदल दिया।
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