Biodata Maker

राजा भर्तृहरि को जब उनकी पत्नी ने दिया धोखा और जानिए भरथरी की गुफा का रहस्य

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 23 दिसंबर 2019 (14:40 IST)
उज्जैन के राजा भर्तृहरि के संबंध में एक दिलचस्प कथा प्रचलित है। यह कथा कितनी सही है यह तो हम नहीं जानते हैं लेकिन जनमानस में यह कथा प्रचलित है।
 
 
दरअसल, उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भाई थे भर्तृहरि। विक्रमादित्य के पहले भर्तृहरि ही राजा था। उस समय महान योगी गोरखनाथ का शहर में आगमन हुआ और वे राजा के दरबार में पहुंचे तब राजा भर्तृहरि ने उनके जोरदार आदर सत्कार किया। इस आदर सत्कार से प्रसन्न होकर गुरु गोरखनाथ ने भर्तृहरि को एक फल दिया और कहा कि इसे खाने से वह सदैव युवा एवं सुदर बने रहेंगे और साथ ही हरदम जोश में रहेंगे। कभी बुढ़ापा नहीं आएगा।
 
 
राजा भर्तृहरि ने अति प्रसन्नता से वह फल लेकर गुरु गोरखनाथ का पुन: आदर सत्कार करके उन्हें विदा किया। गोरखनाथ के जाने के बाद राजा ने सोचा कि उन्हें जवानी और सुंदरता की क्या आवश्यकता है। तब उनके मन में खयाल आया कि क्यों नहीं यह फल पिंगला को दे दिया जाए। पिंगला राजा की तीसरे नंबर की अति सुंदर पत्नी थीं। उन्होंने सोचा कि यह फल पिंगला खा लेगी तो वह सदैव सुंदर और युवा बनी रहेगी।
 
 
चूंकि राजा अपनी तीसरी पत्नी पर अत्यधिक मोहित थे अत: उन्होंने यह सोचकर वह फल अपनी तीसरे नंबर की अति सुंदर प‍त्नी पिंगला को दे दिया। कहते हैं कि रानी पिंगला भर्तृहरि पर नहीं बल्कि उसके राज्य के कोतवाल पर मरती थी और उसके उससे संबंध थे। यह बात राजा नहीं जानते थे।
 
 
जब राजा भर्तृहरि ने वह चमत्कारी फल रानी को दिया तो रानी ने सोचा कि यह फल यदि कोतवाल खाएगा तो वह लंबे समय तक उसकी इच्छाओं की पूर्ति करता रहेगा तो क्यों नहीं यह फल कोतवाल को दे दिया जाए। रानी ने यह सोचकर चमत्कारी फल कोतवाल को दे दिया।
 
 
लेकिन आश्चर्य कि वह कोतवाल एक वैश्या से प्रेम करता था और उसने उस चमत्कारी फल को उस वैश्‍या को यह सोचकर दे दिया को वह इसे खाकर जावान और सुंदर बनी रहेगी जिसके चलते मेरी इच्छाओं की पूर्ति होती रहेगी।
 
 
परंतु वैश्या ने जब वह फल पाया तो उसने सोचा कि यदि वह जवान और सुंदर बनी रहेगी तो उसे यह गंदा काम हमेशा करना पड़ेगा और इस नर्क समान जीवन से मुक्ति कभी नहीं मिलेगी। यह सोचते हुए वैश्या ने सोचा कि इस फल की सबसे ज्यादा जरूरत तो हमारे दयालु राजा को है। राजा हमेशा जवान रहेंगे तो लंबे समय तक प्रजा को सभी सुख-सुविधाएं मिलती रहेगी।
 
उल्लेखनीय है कि कुछ कथाओं में वैश्या की जगह एक दासी का उल्लेख मिलता है।
 
यह सोचकर वह वैश्या राजा भर्तृहरि के पास गई और उसने राजा को यह उसने चमत्कारी फल दे दिया। राजा वह फल देखकर हतप्रभ रह गए और उन्होंने आश्‍चर्य भाव से वैश्या से पूछा कि यह फल उसे कहां से प्राप्त हुआ। वैश्या ने बताया कि यह फल उसे उसके प्रेमी कोतवाल ने दिया है। भर्तृहरि ने तुरंत कोतवाल को बुलवा लिया। सख्ती से पूछने पर कोतवाल ने बताया कि यह फल उसे रानी पिंगला ने दिया है।
 
 
यह सुनकर राजा के पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई हो। वे सारा माजरा समझ गए कि रानी पिंगला उन्हें धोखा दे रही है। पत्नी के धोखे से भर्तृहरि के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और वे अपना संपूर्ण राज्य विक्रमादित्य को सौंपकर उज्जैन की एक गुफा में तपस्या करने चले गए। उस गुफा में भर्तृहरि ने 12 वर्षों तक तपस्या की थी। कहते हैं कि यह सब गुरु गोरखनाथ की लीला थी।
 
 
राजा भर्तृहरि ने कई ग्रंथ लिखे जिसमें 'वैराग्य शतक' 'श्रृंगार शतक' और 'नीति शतक' काफी चर्चित हैं। यह तीनों ही शतक आज भी उपलब्ध हैं और पढ़ने योग्य है। उज्जैन में आज भी आप राजा भर्तृहरि की गुफा का दर्शन कर सकते हैं।
 
 
गोपीचंद और भरथरी (भर्तृहरि) की गुफा :
उज्जैन में भर्तृहरि या भरथरी की गुफा एक शहर के बाहर सुनसान क्षेत्र में स्थित है। गुफा के पास ही शिप्रा नदी बह रही है। गुफा के अंदर जाने का रास्ता काफी संकरा है जहां अंदर जाने पर सांस लेने में भी कठिनाई महसूस होती है। यहां पर एक गुफा और है जो कि पहली गुफा से छोटी है। कहते हैं कि यह गुफा राजा भर्तृहरि के भतीजे गोपीचन्द की है।
 
 
गुफा के अंत में राजा भर्तृहरि की प्रतिमा है। प्रतिमा के सामने एक धुनी भी है, जिसकी राख हमेशा गर्म ही रहती है। प्रतिमा के पास ही एक और गुफा का रास्ता है। इस दूसरी गुफा के विषय में ऐसा माना जाता है कि यहां से चारों धामों का रास्ता है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Diwali 2025: धनतेरस पर भूलकर भी उधार में ना दें ये 4 चीजें, रूठ जाती हैं मां लक्ष्मी

Tula sankranti 2025: तुला संक्रांति पर 12 राशियों के जातक करें ये खास उपाय, मिलेगा मनचाहा फल

Diwali 2025: क्या लक्ष्मी जी के दत्तक पुत्र हैं श्रीगणेश?, जानिए दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ क्यों पूजे जाते हैं

Diwali 2025: दिवाली की सफाई में घर से मिली ये 4 चीजें देती हैं मां लक्ष्मी की कृपा का संकेत

Govatsa Dwadashi 2025: गोवत्स द्वादशी कब है? जानें व्रत के नियम, मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा

सभी देखें

धर्म संसार

Annakut ki sabji: अन्नकूट की सब्जी कैसे बनाएं

Diwali Muhurat 2025: चौघड़िया के अनुसार जानें स्थिर लग्न में दीपावली पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

Diwali rashifal 2025: दिवाली पर बन रहा है वैभव लक्ष्मी योग, 6 राशियों के यहां धन की होगी बरसात

Mahavir Nirvan Diwas 2025: महावीर निर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें जैन धर्म में दिवाली का महत्व

Dhanteras 2025: लक्ष्मी संग कुबेर आएं, विराजें धन्वन्तरि और गणपति, इन बधाई संदेशों को भेजकर कहें शुभ धनतेरस

अगला लेख