होली के रंग फागुन के संग

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holi festival

- जयमाला
 
देश में वसंत का मौसम अपनी पूरी जवानी पर है। समूची सृष्टि में एक लालिमा-सी छा गई है, वृक्षों पर बहार है, पीले पर्णों का स्थान अब नए कोमल पर्णों ने ले लिया है। वसंत के आते ही लोगों में एक खुशी की लहर दौड़ जाती है और फागुन के आते-आते तो सभी मस्ती में बौरा जाते हैं।
 
इस ऋतु में सभी एक मस्ती भरे त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगते हैं। वह त्योहार है होली - जो संग लाता है रंगों की डोली। होली! जो इसी ऋतु में हर वर्ष फागुनी पूर्णिमा को व दूसरे दिन धुलेंडी के रूप में देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
 
मूलतः होली का त्योहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। इस त्योहार से कई कथाएँ जुड़ी हैं। एक पौराणिक कथा भक्त प्रहलाद से जुडी हुई है, जो कि दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र था। प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप के बार-बार मना करने पर भी उन्होंने भक्ति करना नहीं छोड़ी तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को मारने का आदेश दिया।
 
देश में वसंत का मौसम अपनी पूरी जवानी पर है। समूची सृष्टि में एक लालिमा-सी छा गई है, वृक्षों पर बहार है, पीले पर्णों का स्थान अब नए कोमल पर्णों ने ले लिया है। वसंत के आते ही लोगों में एक खुशी की लहर दौड़ जाती है।      
 
होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती, इसलिए वह भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई परंतु भक्त प्रहलाद तो अपनी भक्ति के कारण बच गए और जलती हुई होलिका अपने किए पर माफी माँगती और पछताती अग्नि में भस्मीभूत हो गई। बस तभी से होली की पूजा की जाती है।
 
यह त्योहार कृष्ण और राधा के अमर-प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। एक दिन कृष्ण ने माता यशोदा से पूछा- राधा तो इतनी गोरी है पर मैं इतना काला क्यों हूँ? जवाब में माता यशोदा ने कृष्ण से कहा, 'राधा के चेहरे पर रंग लगा दो, फिर देखो राधा का रंग भी बदल जाएगा।'
 
होली से जुड़ी हुई एक और वस्तु है - भाँग, जो कि होली का पर्याय बन चुकी है। इस दिन लोग बड़े ही मजे से भाँग पीते हैं और होली का लुत्फ उठाते हैं। बच्चे, बूढ़े सभी होली के रंग-बिरंगी रंगों में रंगकर, राग-द्वेष भूलकर, धर्म-जात का भेदभाव मिटाकर एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हुए कहते हैं - 'बुरा न मानो होली है'।
 
इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, मिठाई खाते हैं और रंगों से सराबोर हो इस त्योहार का मजा लेते हैं। भारत के कई प्रदेशों में रंगों के अलावा लोकनृत्य व लोकसंगीत को भी इस त्योहार पर महत्व दिया जाता है।

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