इसलिए कोई मीठे में गुलाब जामु न, गुजिय ा व नारियल के लड्डू बना रही हैं। वहीं नमकीन में मठरी, मराठी चिवड़ा बना ही रही है। साथ ही खास होली के दिन दही बड़े और ढोकला तो अभी बाकी है। महिलाएं होली के दिन ही यह पकवान बनाएंगी ताकि मेहमानों को तुरंत गरमा-गरम सर्व कर सकें।
होली के त्योहार के साथ कई तरह की रस्में जुड़ी हुई हैं। उन नियमों के पालन की तैयारियां भी अभी से शुरू हो रही है। गांव की महिलाएं गोबर का बल्ला तैयार कर रही हैं। इसका उपयोग होलिका दहन की पूजा के लिए होता है। वे कहती हैं कि बुराइयों के अंत के लिए किए जाने वाले होलिका दहन में पूरे रीति-रिवाज के साथ पूजा होती है और इन गोबर के बल्ले का माला बनाकर होली का दहन के दौरान अर्पित किया जाएगा।
साथ ही किचन में विभिन्न व्यंजनों की महक घुलने को बेताब है। गुजिया, कचौरी और मठरी के साथ-साथ गरमा-गरम नाश्ते के लिए मेन्यू भी डिसाइड किए जा रहे है।