रंगों से सरोबार करती रंगपंचमी

Webdunia
ND


फागुन महीना मस्ती का होता है। इस महीने में ही रंगों का सबसे प्यारा-सा त्योहार होली आता है। होली के साथ ही उन सभी रचनाओं की भी बरबस याद आ जाती है जो हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती है। रंगों का यह त्योहार ऐसी रचनाओं के लिए ही जाना जाता ह ै, जिनसे दूसरों को प्रसन्नता और उल्लास मिले ।

होली-रंगपंचमी के विविध रंग और प्रकृति का साथ भी जीवन में उमंगों का संचार करता है। इस त्योहार के समय प्रकृति अपने साथ मस्ती लाती है और यह मस्ती ही होली के रंगों के माध्यम से व्यंग्य और हास्यप्रधान रचनाओं का साथ पाकर जीवन में सरसता पैदा करती है। कुछ साहित्यकारों ने बताया कि वे हँसी और खुशी तथा इस महीने में क्या-क्या समानता महसूस करते हैं ।

इस बारे में एक साहित्यकार का कहना था कि होली और रंगपंचमी हँसी और खुशी का ही त्योहार है। इस दिन दिल के सारे गिले-शिकवे दूर होते हैं और प्रकृति भी उल्लास व्यक्त करती है। फागुन तो महीना ही हँसने और हँसाने का है और इसीलिए इस समय हास्य और व्यंग्यप्रधान रचना हर किसी की जुबाँ पर रहती है।

संबंधों की स्लेट पर प्रेम की नई इबारत लिखने का त्योहार है होली और ऐसे में तो हर रचना प्रसन्नतापूर्ण जान पड़ती है। रंगों का यह त्योहार हमें उल्लास के वातावरण में ले जाता है और हमारे मन की खिन्नता को मिटाता है। इस दिन हम रूठों को मना लेते हैं और कुछ ऐसा भी रच सकते हैं जो दूसरों को हँसा सके।

इसकी प्रेरणा फागुन से ही मिलती है। इस समय मन के बौराने की बात भी कही जाती ह ै, जो आनंद की चरम अवस्था है और ऐसे में रचना का हास्यप्रधान होना बहुत स्वाभाविक है। कवि सम्मेलन और हास्य क्लब के आयोजन रंगों के इस दिवस 'रंगपंचम ी' को मजेदार बना देते हैं।


Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सावन मास में कितने और कब कब प्रदोष के व्रत रहेंगे, जानिए महत्व और 3 फायदे

शुक्र का वृषभ राशि में गोचर, 3 राशियों के लिए होगी धन की वर्षा

देवशयनी एकादशी पर करें इस तरह से माता तुलसी की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

sawan somwar 2025: सावन सोमवार के व्रत के दौरान 18 चीजें खा सकते हैं?

एक्सीडेंट और दुर्घटनाओं से बचा सकता है ये चमत्कारी मंत्र, हर रोज घर से निकलने से पहले करें सिर्फ 11 बार जाप

सभी देखें

धर्म संसार

04 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

क्या महिलाएं भी कर सकती हैं कांवड़ यात्रा? जानिए इस यात्रा पर जाने वाले कांवड़ियों का इतिहास, कौन कौन कर सकता है ये यात्रा

04 जुलाई 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

कावड़ यात्रा के इन नियमों के बिना नहीं मिलता पुण्य, पढ़िए पूरी जानकारी

बोल बम, खड़ी, झूला या डाक, आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन?