होलिका दहन का त्योहार भक्त प्रहलाद की कथा से जुड़ा हुआ है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई थी लेकिन होलिका अग्नि में भस्म हो गई और भक्त प्रहलाद बच गए थे। जीवन के अंत में भक्त प्रहलाद ने मोक्ष प्राप्त करके वैकुंठ में निवास किया। आओ जानते हैं उनके संबंध में 10 खास बातें।
1. भक्त प्रहलाद के माता पिता : भक्त प्रहलाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप और दादा का नाम कश्यप ऋषि और दादी का नाम दिति था। उनकी माता का नाम कयाधु था।
2. मां के कारण बनें हरि भक्त : माता श्री हरि विष्णु की भक्त थीं। कयाधु भक्त प्रहलाद की मां ने अपने पति हिरण्यकश्यप से होशियारी से विष्णु का 108 बार नाम जपवा लिया था। और इसके प्रभाव से ही कयाधु, ने प्रहलाद जैसे विष्णुभक्त को जन्म दिया।
3. भक्त प्रहलाद के गुरु : भक्त प्रह्लाद के ब्रह्मा के मानस पुत्र श्रीविष्णु के परम् भक्त नारदमुनिजी गुरु थे। नारद के अलावा दत्तात्रेय, शंड और मर्क आदि कई महान ऋषियों ने भी प्रहलाद को शिक्षित और संस्कारवान बनाया था।
4. विरोचन के पिता और बलि के दादा : भक्त प्रहलाद की पत्नि का नाम धृति था जिससे महान पुत्र विरोचन का जन्म हुआ। इसके अलावा आयुष्मान, शिवि और वाष्कल भी उनके पुत्र थे। विरोचन का विवाह बिशालाक्षी से हुआ था। जिससे महाबली और महादानी राजा बलि उत्पन्न हुआ, जो महाबलीपुरम के राजा बने। इन बालि से ही श्री विष्णु ने वामन बनकर तीन पग धरती मांग ली थी। प्रहलाद के महान पुत्र विरोचन से एक नई संक्रांति का सूत्रपात हुआ था। इंद्र से जहां आत्म संस्कृति का विकास हुआ वहीं विरोचन से भोग संस्कृति जन्मी। इसके पीछे एक कथा भी चलित है।
5. भक्त प्रहलाद की बुआ : प्रहलाद की बुआ होलिका जहां आग में जलकर मर गई थी वहीं दूसरी बुआ सिंहिका को हनुमानजी ने लंका जाते वक्त रास्ते में मार दिया था।
6. भक्त प्रहलाद के भाई और चाचा : भक्त प्रहलाद के तीन भाई थे- अनुहल्लाद, हल्लाद और संहल्लाद। हरिश्यकश्यप का भाई हिरण्याक्ष उनका चाचा था जिसे श्रीहरि विष्णु ने वराह रूप धारण करके मार दिया था।
7. भक्त प्रहलाद दैत्य के कुल के अन्य लोग : भक्त प्रहलाद दैत्य कुल के होने के बावजूद विष्णु भक्त थे। उनकी कयाधु के अलावा सभी परिजन हिरण्यकश्यप और बुआ होलिका तथा अन्य आसुरी स्वभाव लोग थे। जिनमें दत्तात्रेय, शंड और मर्क, आयुष्मान, शिवि, विरोचन,वाष्कल, और यशकीर्ति आदि विष्णुभक्त भी थे। जिनमें प्रह्लाद सबसे महान थे।
8. असुरों के महान राजा भक्त प्रहलाद : भक्त प्रहलाद श्रीहरि विष्णु के परम भक्त होने के साथ ही महाज्ञानी और पंडित थे। भगवान नृसिंह के आशीर्वाद और दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के मार्गदर्शन के चलते वे असुरों के महान राजा बन गए थे।
9. भक्त प्रहलाद का जन्म स्थान : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री विष्णु भक्त प्रहलाद का जन्म कृष्ण नगरी मथुरा के एक गांव फालैन में हुआ था। यहां पर भक्त प्रहलाद तथा भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
10. पिता द्वारा वध की योजना : भक्त प्रहलाद को श्रीहरि विष्णु का भक्त होने के कारण उनके पिता हिरण्यकश्यप ने उनका हर तरह के वध करने का प्रयास किया लेकिन श्रीहरि विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को नहीं मारा जा सका तब प्रहलाद की बुआ होलिका ने भक्त प्रहलाद को गोदी में लेकर जलती आग में बैठने के लिए कहा, क्योंकि उसका ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि से जलकर नहीं मर सकती थी। परंतु उसने उस वरदान का दुरुपयोग किया इसलिए होलिका आग में जलकर मर गई और भक्त प्रहलाद बच गए। बाद में श्रीहरि ने नृसिंह अवतार लेकर हरिश्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद को असुरों का राजा बना दिया।