राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल, महाराष्ट्र, उत्तर पश्चिम मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, और केरल में 6 मार्च हो होलिका दहन होगा। शाम को भद्रा के पूर्व या भद्रा के बाद ब्रह्म मुहूर्त में होलिका दहन होगा। आओ जानते हैं होली की पूजा की सरल विधि।
होली पूजा की सामग्री : 1. थाली : होलिका पूजन के लिए आप चांदी, पीतल, तांबा या स्टील की थाली ले सकते हैं।
पूजन समग्री : थाली में रोली, कुमकुम, कच्चा सूत, चावल, कर्पूर, साबूत हल्दी और मूंग रखें। इसके बाद थाली में दीपक, फूल और माला भी रखें।
थाली में 3 नारियल, कुछ बताशे, बड़गुल्लों की माला, कंडे, भरभोलिये (उपलों की माला), रंगोली, सूत का धागा, 5 तरह के अनाज, चना, मटर, गेहूं, अलसी, मिठाई, फल, गुलाल, लोटा, जल, गेहूं की बालियां, लाल धागा आदि सामग्री भी एकत्रित कर लें।
थाली की शुद्धि : एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर ले जाएं और वहीं पर होलिका पूजन से पहले अपनी थाली पर जल का छिड़काव करके उसे पवित्र और शुद्ध करें। आसपास के क्षेत्र को भी पवित्र और शुद्ध करें।
होलिका पूजन की सरल विधि- Holika Puja Vidhi
-
सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
-
अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें।
-
गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।
-
थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें।
-
नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
-
अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
-
अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान श्री गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
-
इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
-
भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।
-
अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
-
कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
-
आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।
-
होलिका दहन के समय मौजूद सभी को रोली का तिलक लगाएं और शुभकामनाएं दें।