Rang panchami 2024: रंगपंचमी की 10 रोचक परंपराएं

WD Feature Desk
Rang Panchami 2024: 24 मार्च को होलिका दहन, 25 मार्च को होली और 30 मार्च 2024 को रंग पंचमी का उत्सव मनाया जाएगा। मध्य प्रदेश के अधिकतर शहरों में रंगपंचमी का खास महत्व रहता है। इस दिन रंगोवाली होली खेली जाती है। आओ जानने हैं इस दिन की 10 खास और रोचक परंपरा के बारे में। 
ALSO READ: Holi 2024: होली रंग पंचमी के रंग घर पर ही बनाएं, जानें कैसे
1. रंग : धुलेंडी और रंगपंचमी पर रंग खेलने की परंपरा है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर उत्सव मनाते हैं। रंगों के लिए आप प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
 
2. ठंडाई : कई लोग इस दिन ताड़ी या भांग पीते हैं जो कि उचित है या अनुचित हम नहीं जानते हैं। इसी दिन ठंडाई पीने का भी रिवाज है। दूध में केसर, बादाम पिस्ता, इलायची, शक्कर, खरबूजे के बीज, खसखस, अंगूर आदि मिलाकर उसे अच्छे से घोटकर ठंडाई बनाई जाती है जिसे सभी पीते हैं। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं।
 
3. पकोड़े : इस दिन भजिये या पकोड़े खाने का प्रचलन है। शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है।
ALSO READ: रंग पंचमी का त्योहार क्यों मनाते हैं?
4. पकवान : इस दिन अलग-अलग राज्यों में अलग अलग पकवान बनाए जाते हैं। जैसे महाराष्ट्र में पूरणपोली बनाई जाती है। इस दिन गिलकी के पकौड़े, दही बड़ा, गुजिया, रबड़ी खीर, बेसन की सेंव, आलू पुरी आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। घरों में बने पकवानों का यहां भोग लगाया जाता है। इस आग में नई फसल की गेहूं की बालियों और चने के होले को भी भूना जाता है।
 
5. नृत्य एवं गान : इस दिन नाचना, गाना या किसी भी तरह का मनोरंजन करने का प्रचलन है। आदिवासी क्षेत्र में विशेष नृत्य, गान और उत्सव मनाया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार लगते हैं और युवक युवतियां मिलकर एक साथ ढोर की थाप और बांसुरी की धुन पर नृत्य करते हैं। इनमें से कई तो ताड़ी पीकर होली का मजा लेते हैं।
6. होली के गीत : होली के दिन लोकगीत गाए जाते हैं। गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। स्थानीय भाषाओं में बने होली के गीतों में कुछ ऐसे गीत हैं जो सदियों से गाए जा रहे हैं।
 
7. गेर निकालना : लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली और रंग पंचमी पर जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। इसके लिए सभी अपने अपने स्तर पर तैयारी करते हैं।
 
8. पूजा : होलिका दहन के दिन जहां होलिका, प्रहलाद और नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है वहीं धुलेंडी के दिन श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का प्रचलन है। रंग पंचमी पर श्रीकृष्ण और श्रीराधाजी की पूजा की जाती है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं। मान्यता है कि कुंडली के बड़े से बड़े दोष को इस दिन पूजा आराधना और ज्योतिेष के उपायों से ठीक हो जाते हैं।
 
9. पशुओं की पूजा : होली के कुछ दिन पहले ही गांव में पशुओं के शरीर पर रंग बिरेंगे टेटू बनाए जाते हैं। उनके सिंगों पर मोर पंख, गले में घुंघरू बांधे जाते हैं। उन्हें सजाकर उनकी पूजा भी की जाती है।
 
10. होली मिलन समारोह : समाज या परिवार में होली मिलन समारोह रखा जाता है। इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर मनमुटाव दूर करते हैं। होली मिलन समारोह में रंग खेलने के साथ ही तरह तरह के पकवान भी खाए जाते हैं और लोग एक दूसरे को मिठाईयां भी देते हैं।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बसंत पंचमी का दूसरा नाम क्या है? जानें कैसे मनाएं सरस्वती जयंती

gupt navratri 2025: माघ गुप्त नवरात्रि में कौनसी साधना करना चाहिए?

मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए बसंत पंचमी पर लगाएं इन 5 चीजों का भोग?

जया और विजया एकादशी में क्या है अंतर?

फरवरी 2025 के प्रमुख व्रत एवं त्योहारों की लिस्ट

सभी देखें

धर्म संसार

31 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

31 जनवरी 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

2 या 3 फरवरी कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग

माघ मास की गुप्त नवरात्रि की कथा

खाटू श्याम बाबा की कहानी: रोंगटे खड़े कर देने वाली रहस्यमयी कथा

अगला लेख