राक्षसी के डर से होली पर बच्चे मचाते हैं हुड़दंग और धमाचौकड़ी, जानिए पौराणिक कथा

Webdunia
शुक्रवार, 26 मार्च 2021 (12:30 IST)
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन माह पूर्णिमा को होलिका दहन होता है। होली की पौराणिक कथा चार घटनाओं से जुड़ी हुई है। पहली होलिका और भक्त प्रहलाद, दूसरी कामदेव और शिव, तीसरी राजा पृथु और राक्षसी ढूंढी और चौथी श्रीकृष्ण और पूतना। आओ जानते हैं इस बार राजा पृथु और राक्षसी ढूंढी की पौराणिक और प्रामाणिक कथा।
 
ALSO READ: कामदेव और शिव कथा से भी जुड़ी है होली की पौराणिक कथा
दक्षिण भारत में राक्षसी ढूंढी या धुंडी की कथा लोकप्रिय है। यहां होली की कथा को इस राक्षसी से जोड़कर भी देखा जाता है। कहते हैं कि ढूंढी एक ओघड़ थी जो राजा पृथु (रघु) के राज्य में रहती थी। उसने शिवजी की तपस्या कि और वरदान मांगा कि उसे न तो देवताओं द्वारा मारा जाए, ना ही हथियारों से मारा जाए और न ही गर्मी, सर्दी या बारिश से मैं मरूं। भगवान शिव ने ढूंढी को वरदान देते समय यह भी कहा था कि जहां बच्चों का झूंड शोरगुल, हुड़दंग और हो हल्ला होगा वहां ढूंढी का तंत्र विद्या असफल रहेगा।
 
 
इस तरह के वरदान को प्राप्त करके ढूंढी लगभग अजेय बन गई थी, लेकिन उसे बच्चों से खतरा था इसीलिए वह राज्य के नवजात बच्चों को खा जाती थी। किसी के यहां जैसे ही कोई बच्चा जन्म लेता वह उसे खा जाती थी।
ALSO READ: होलिका दहन की पौराणिक और प्रामाणिक कथा
राजा पृथु सहित राज्य के सभी लोग उसके अत्याचार से त्रस्त आ गए थे। जब राजा पृथु ने राज पुरोहितों से कोई उपाय पूछा तो उन्होंने फाल्गुन पूर्णिमा के दिन का चयन किया क्योंकि यह समय न गर्मी का होता है न सर्दी का और न ही बारिश का। उन्होंने कहा कि बच्चों को एकत्रित होने को कहें। आते समय अपने साथ वे एक-एक लकड़ी भी लेकर आएं। फिर घास-फूस और लकड़ियों को इकट्ठा कर ऊंचे-ऊंचे स्वर में मंत्रोच्चारण करते हुए अग्नि जलाएं और प्रदक्षिणा करें।
 
 
इस तरह जोर-जोर हंसने, गाने व चिल्लाने से पैदा होने वाले शोर से राक्षसी की मौत हो सकती है। पुरोहित के कहे अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन वैसा ही किया गया। इस प्रकार बच्चों ने मिल-जुल कर धमाचौकड़ी मचाते हुए ढूंढी के अत्याचार से मुक्ति दिलाई।
 
आज भी होली के दिन बच्चों द्वारा शोरगुल करने, गाने-बजाने के पीछे ढूंढी से मुक्ति दिलाने वाली कथा की महत्ता है। हुरियारों की टोली, रंग-गुलाल, ऊंची आवाज में मस्ती और हल्के शब्दों के चलन के पीछे भी इसी मान्यता का राज है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology: कब मिलेगा भवन और वाहन सुख, जानें 5 खास बातें और 12 उपाय

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Hast rekha gyan: हस्तरेखा में हाथों की ये लकीर बताती है कि आप भाग्यशाली हैं या नहीं

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru Shukra ki yuti: 12 साल बाद मेष राशि में बना गजलक्ष्मी राजयोग योग, 4 राशियों को मिलेगा गजब का लाभ

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय और शुभ मुहूर्त जानिए

Aaj Ka Rashifal: आज कैसा गुजरेगा आपका दिन, जानें 29 अप्रैल 2024 का दैनिक राशिफल

अगला लेख