होली पर निमाड़ और मालवा में गेर निकाले जाने की परंपरा का इतिहास

Webdunia
होलिका दहन के बाद धुलेंडी और रंग पंचमी पर मालवा और निमाड़ में परंपरागत गेर निकाले जाने का इतिहास रहा है। हालांकि वक्त के साथ इसमें बदलाव भी होते गए हैं। खासकर इंदौर, देवास, उज्जैन, ग्वालियर, भोपाल, सागर, सतना, रीवा आदि जगहों पर गेर निकाले जाने का प्रचलन है। हालांकि यह परंपरा संपूर्ण देश में ब्रजमंडल की होली से ही निकली है। वहीं से राजस्थान और अन्य राज्यों में गेर निकालने का प्रचलन चला। राजस्थान नें 'गैर नृत्य' बहुत प्रचलति है। 
 
 
इतिहास के जानकार मानते हैं कि मालवा में खासकर इंदौर में गेर निकालने की परंपरा होलकर राजवंश के लोगों ने प्रारंभ की थी। होलकर राजवंश के लोग धुलेंडी या रंगपंचमी पर  आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे और एक जुलूस की शक्ल में पूरे शहर में भ्रमण करके लोगों के साथ होली खेलते थे। कहते हैं कि झांसी में इस परंपरा की सबसे पहले शुरुआत हुई थी। 
 
राजे-रजवाड़ों का शासन खत्म होने के बावजूद इंदौर के लोगों ने इस रंगीन रिवायत को अब तक अपने सीने से लगा रखा है। रियासत काल के बाद नेताओं ने यह परंपरा कायम रखी। नगर निगम की ओर से और सत्तापक्ष व विपक्ष के लोग चल समारोह निकालकर होली के रंग में चार चांद लगा देते हैं। हालांकि इस दौरान हुड़दंग भी बहुत होती है। इंदौर में कई रंगपंचमी समितियां भी हैं जो गेर निकालती है। गेर शहर के अलग-अलग हिस्सों से निकाली जाती है जो सभी राजवाड़ा में एकत्रित होकर रंगोत्सव मनाते हैं। 
 
मध्यप्रदेश में धुलेंडी और रंगपंचमी बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह चल समारोह (जुलूस) निकले जाते हैं। इसमें शामिल लोग एक-दूसरे को रंगने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाते हैं। खासकर इंदौर की गेर को अब विश्व प्रसिद्ध हो चली है। यहां सभी लोग राजवाड़ा पर एकत्रित होकर बड़े पैमाने पर चल समारोह निकालते हैं। 
 
इस गोर में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। गेर ऐसा रंगारंग कारवां है, जिसमें किसी भेद के बगैर पूरा शहर शामिल होता है और जमीन से लेकर आसमान तक रंग ही रंग नजर आते हैं। गेर में हाथी, घोड़ों और बग्घियों के साथ आदिवासी नर्तकों की टोली दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहती है। 
 
यहां की गेरों की खूबी यह होती है कि इसमें टैंकरों में रंग भरा होता है, जिसे मोटर पंपों यानी मिसाइल के जरिए भीड़ पर फेंका जाता है। गुलाल भी कुछ इसी तरह उड़ाया जाता है कि कई मंजिल उपर खड़े लोग भी इससे बच नहीं पाए। बैंड-बाजों की धुन पर नाचते हुरियारों पर बड़े-बड़े टैंकरों से रंगीन पानी बरसाया जाता है। यह पानी टैंकरों में लगी ताकतवर मोटरों से बड़ी दूर तक फुहारों के रूप में बरसता है और लोगों को तर-बतर कर देता है। यह देखकर बहुत ही अच्‍छा लगता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर, इन देशों में भी होंगे विशेष कार्यक्रम

प्रयागराज में डिजिटल होगा महाकुंभ मेला, Google ने MOU पर किए हस्‍ताक्षर

Yearly rashifal Upay 2025: वर्ष 2025 में सभी 12 राशि वाले करें ये खास उपाय, पूरा वर्ष रहेगा शुभ

28 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

28 नवंबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख