धुलेंडी से रंगपंचमी तक

होली कैसे मनाएँ?

Webdunia
ND

मुख्यतः पाँच दिन (प्रतिपदा से पंचमी तक) चलने वाले इस त्योहार का सूत्र वाक्य है- प्रेम, उल्लास, एकता और भाईचारा।

होलिका दहन के पश्चात्‌ प्रतिपदा को अर्थात धुलेंडी को भगवान का पूजन कर माता-पिता से भी आशीर्वाद लेना चाहिए।

रंग, अबीर, गुलाल लेकर सभी दोस्तों को एक जगह मिलना चाहिए।

ढोलक अथवा मृदंग की व्यवस्था करना चाहिए।

फिर टोली बनाकर गाते-बजाते चल समारोह निकाला जाना चाहिए।

इस दौरान मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों को रंग-गुलाल लगाकर उन्हें भी समारोह में शामिल करना चाहिए।

चल समारोह के दौरान चुटकुलों, हास्य गीतों, पैरोडियों, अजीब स्वाँग धारण कर ठिठोली करते हुए आनंद और उल्लास का वातावरण बनाया जाता है।

शाम को पुनः स्नान कर भगवान के दर्शन कर माता-पिता का आशीर्वाद लेना चाहिए।

द्वितीया, तृतीया और चतुर्थी एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएँ देने तथा मिठाई खाने-खिलाने के दिन होते हैं।

पंचमी अर्थात रंग-पंचमी को फिर वही किया जाता है जैसा कि प्रतिपदा अर्थात धुलेंडी को किया था। कुछ क्षेत्रों में रंगपंचमी का त्योहार ज्यादा जोर-शोर से मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग मिलकर समूह 'गेर' बनाते हैं और फिर हुड़दंग मचाते हुए चल समारोह के रुप में गेर निकालते हैं।

इन दिनों में दोस्तों या बराबरी वालों को हास्य से भरपूर टाइटल देकर मन गुदगुदाया जा सकता है।

इन पाँच दिनों में दुश्मन के घर जाकर, उससे गले मिलकर, गिले-शिकवे दूर कर उनके साथ भी होली खेली जाती है और उनके लिए भी मंगल कामनाएँ की जाती हैं।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इस साल क्यों खास है राम नवमी? जानिए कैसे भगवान राम की कृपा से जीवन में आ सकती है समृद्धि

मंगल का कर्क राशि में गोचर: 5 राशियों के लिए रहेगा 45 दिनों तक चुनौती भरा समय

राहु का कुंभ राशि में गोचर: 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

नवरात्रि में भूल कर भी ना करें ये गलतियां, माता के कोप से अनिष्ट का बनती हैं कारण

क्यों हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दी थी रामायण, जानिए क्या था इस घटना के पीछे का रहस्य

सभी देखें

धर्म संसार

नवरात्रि की आठवीं देवी महागौरी की पूजा विधि, भोग, मंत्र, स्वरूप और आरती

कैसे होगा राम लला के मस्तक का दिव्य सूर्य तिलक, जानिए क्या है आध्यात्मिक महत्व

अपने भीतर के राम को पहचानिए! गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

हिमाचल के इस मंदिर में खुले प्रांगण में विराजी हैं माता, फिर भी मूर्तियों पर नहीं जमती बर्फ, जानिए रहस्य

नरेंद्र मोदी की क्‍या साल 2026 में जाएगी सत्‍ता?