रंग पर है ये रंग की कविता

Webdunia
- चंद्रसेन 'विराट'
 
खेलने फाग चली आई हो,
पूर्णतः रंग में नहाई हो,
अपनी सखियों में अलग हो सबसे
सबकी आँखों में तुम समाई हो।
फाग वाले प्रसंग की कविता
रंग पर है ये रंग की कविता,
भीगे वस्त्रों ने स्पष्ट लिख दी है
अंग पर यह अनंग की कविता।
 
आज अवसर है दृग मिला लेंगे
प्यार को अपने आजमा लेंगे,
कोरा कुरता है हमारा भी,
हम कोरी चूनर पे रंग डालेंगे।
 
तुम तो बिन रंग रंगी रूपाली,
चित्रकारी है ये यौवन वाली,
गाल पर है गुलाल की रक्तिम
ओंठ पर है पलाश की लाली।
 
कोई हो ढब या ढंग फबता है
सब तुम्हारे ही संग फबता है,
रूप-कुल से हो, जाति से सुंदर
तुम पे हर एक रंग फबता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बुध का देवगुरु की राशि धनु में गोचर, जानिए किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा

कुंभ मेले के बाद कहां चले जाते हैं नागा साधु? जानिए कैसी होती है नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया

प्रयागराज कुंभ मेला 1965: इतिहास और विशेषताएं

prayagraj kumbh mela 2025: 16 नहीं 17 श्रृंगार करते हैं नागा साधु, जानिए लिस्ट

पोंगल में क्या क्या बनता है?

सभी देखें

धर्म संसार

Putrada Ekadashi : साल 2025 की पहली एकादशी आज, जरूर पढ़ें पुत्र प्राप्ति देने वाली यह व्रत कथा

महाकुंभ में क्यों शुभ मानी जाती है महिला नागा साधुओं की उपस्थित, जानिए उनकी अनदेखी दुनिया के बारे में सबकुछ

Aaj Ka Rashifal: 10 जनवरी 2025: कैसे बीतेगा आज 12 राशियों का दिन, पढ़ें अपना राशिफल

करतारपुर साहिब यात्रा : पंजाब बंद और कठिनाइयों भरी पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब की यात्रा के लिए वाहेगुरु तेरा शुकर

10 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख