होली का त्योहार पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। भारत में यह त्योहार भारतीय सभ्यता और संस्कृति का शानदार प्रतीक है। भारत का प्रत्येक प्रदेश होली में अपनी विशिष्टता लिए है। जिस प्रकार ब्रज की लट्ठमार होली ने अपनी अलग पहचान बनाई है, उसी प्रकार राजस्थान के बीकानेर की होली में खेली जाने वाली रम्मतों में भी अपनी खास विशेषता है। रम्मत का शाब्दिक अर्थ है खेलना। लेकिन बीकानेर में यह खेल शहर के पाटों पर और चौकों में खेला जाता है और होली के मौसम में इन रम्मतों में बीकानेर की संस्कृति की समृद्धता स्पष्ट झलकती है।
रम्मतें नाटक की एक विधा है जिसमें मनोरंजन के लिए तरह-तरह के नाटक खेले जाते हैं या विभिन्न प्रकार की गायकी से दर्शकों का मनोरंजन किया जाता है। बीकानेर में मूलतः दो तरह की रम्मतें देखने को मिलती हैं।
पहली प्रकार की रम्मतें स्वांग मेरी की रम्मतें हैं जिनमें ख्याल, लावणी व चौमासों के माध्यम से प्रस्तुति दी जाती है। रम्मतों में ख्याल हर साल नए जोड़े जाते हैं और इन ख्याल के माध्यम से देश व प्रदेश की वर्तमान व्यवस्थाओं पर तथा सामाजिक कुरूतियों पर भी कटाक्ष किया जाता है और इसका प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण होता है।
सामंतशाही दौर में दम्माणी चौक में खेली जाने वाली रम्मत में स्वर्गीय बच्छराज जी व्यास ने ख्याल में 'भगवान पधारो भारत में, तुम बिन पड़ रहया है फोड़ा.......' का प्रस्तुतिकरण इतना प्रभावी तरीके से किया कि उस समय इस ख्याल पर सरकारी प्रतिबंध लग गया था।
इसी तरह वर्तमान में भी महंगाई, राजनैतिक भ्रष्टाचार सहित दहेज, भ्रूण हत्या, दल-बदल सहित कईं विषयों को इन ख्यालों के माध्यम से उठाया जाता हैं।
इस साल की रम्मतों में राहुल गांधी व नरेंद्र मोदी सहित अरविंद केजरीवाल भी शामिल है और भ्रष्टाचार को ज्यादा तवज्जो दी गई है। इन रम्मतों का दूसरा आकर्षण है लावणी।