कान फिल्म फेस्ट‍िवल 2019 : भारत से डोमिनिक संगमा अपने प्रोजेक्ट rapture के साथ शामिल

प्रज्ञा मिश्रा
फ्रांस की कल्चरल मिनिस्ट्री ने 1907 में फ्रेंच भाषा को बढ़ावा देने के लिए इंस्टीट्यूट फ्रांस का बीज बोया था और धीरे-धीरे यह इतना बड़ा बरगद का पेड़ बन गया है कि इसकी खुद की कई शाखाएं हैं। और न सिर्फ भाषा और साहित्य बल्कि कला की दुनिया में बेहतरीन काम हो रहा है। इसी का एक हिस्सा है ला फेब्रिक, जो नए फिल्मकारों को उनके सपनों को हासिल करने में मदद करता है। फिल्म बनाने वालों को अपने आईडिया और प्रोड्यूसर के साथ इनकी मदद के लिए अर्जी देनी होती है और अगर चुन लिए गए, तो शुरुआत से लेकर अंत तक ये लोग हाथ पकड़ तो काम नहीं करवाते, लेकिन अपनी मंज़िल तक पहुंचने रास्ता जरूर दिखाते रहते हैं। 
 
इस साल ला फेब्रिक प्रोग्राम में 10 प्रोजेक्ट हैं, जिनमें से एक इंडिया से और एक बांग्लादेश से है। भारत से डोमिनिक संगमा अपने प्रोजेक्ट rapture के साथ शामिल हैं। डोमिनिक मेघालय से हैं और गैरो भाषा में फिल्म बनाने वाले पहले फिल्मकार हैं। डोमिनिक की पहली फिल्म "मम्मा" गैरो भाषा में बनी है और पिछले साल मामी फिल्म फेस्टिवल में शामिल हुई थी। डोमिनिक सत्यजीत रे फिल्म इंस्टिट्यूट से पढ़ाई कर चुके हैं और इटानगर में फिल्म के स्टूडेंट्स को पढ़ाते भी हैं। 
 
इस बार डोमिनिक के पास कहानी तैयार है, प्रोड्यूसर हाजिर हैं और अब फेब्रिक का हाथ थाम लिया है तो खुशी दोबाला हो गयी है। डोमिनिक बताते हैं कि प्रोग्राम में 600 प्रोजेक्ट्स आए थे जिनमें से 10 को चुना गया है। अब यहां से हमें फिल्म बनाने में जो भी मदद चाहिए मुहैया करवाई जाएगी। हमें न सिर्फ सिखाया जा रहा है बल्कि बाजार की भी समझ दी जा रही है कि फिल्म को किस तरह से रिलीज करने में बेहतर रिस्पांस मिलेगा। इसके आगे बस फिल्म की शूटिंग का ही इंतजार है। 
 
ऐसा ही कुछ हाल बांग्लादेश की टीम का भी है, उनकी भी स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। और उम्मीद है जल्द ही शूटिंग शुरू हो जाएगी। 
 
हर साल किसी नामचीन फिल्मकार को इस प्रोजेक्ट का मेंटर, गाइड तय किया जाता है और इस बार यह जिम्मेदारी मीरा नायर पर है। मीरा नायर ने इस मौके पर कहा कि 1988 में जब मैं सलाम बॉम्बे लेकर कान फिल्म फेस्टिवल आई थी तो बिना किसी सहारे के आई थी, लेकिन यहां अवार्ड जीतने के बाद जैसे सब कुछ बदल गया। 1988 में मेरे साथ मेरी मां भी थीं और अवार्ड मिलने के बाद लोग उन्हें क्रोसेट पर रोक कर पूछते थे कि क्या आप मीरा नायर को जानती हैं? और उन्होंने कई बार कहा कि मैं उस फिल्म बनाने वाली प्रोड्यूस (पैदा करने वाली) हूं।  
 
इस साल रवांडा, बुर्किना फासो, इंडोनेशिया, भारत और बांग्लादेश के प्रोजेक्ट हैं और मुझे बहुत खुशी है कि मैं जितना भी इस दुनिया के बारे में जान पाई हूं, सीख पाई हूं मैं इन लोगों के साथ उसे बांटने वाली हूं। मीरा कहती हैं कि अगर किसी को लगता है कि उसके पास कोई कहानी है जिसे कहना चाहिए तो उसे अगर आप नहीं कहेंगे तो कहानी को कौन बाहर लाएगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

बॉलीवुड हलचल

जब रणबीर कपूर से पहली बार मिली थीं आलिया भट्ट, पूछा था- कौन हैं किशोर कुमार?

Bigg Boss 18 से बाहर होने के बाद एलिस कौशिक का फूटा गुस्सा, इस कंटेस्टेंट पर साधा निशाना

Bigg Boss 18 : विवियन डीसेना से करण वीर तक, इन 7 कंटेस्टेंट पर गिरी नॉमिनेशन की गाज

अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 : द रूल का गाना किसिक हुआ रिलीज, श्रीलीला ने मचाई धूम

17 साल बाद फिर से संजय लीला भंसाली संग काम करने जा रहे रणबीर कपूर, बताया अपना गॉडफादर

सभी देखें

जरूर पढ़ें

भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

सिंघम अगेन फिल्म समीक्षा: क्या अजय देवगन और रोहित शेट्टी की यह मूवी देखने लायक है?

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म समीक्षा: टाइटल जितनी नॉटी और फनी नहीं

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

Devara part 1 review: जूनियर एनटीआर की फिल्म पर बाहुबली का प्रभाव

अगला लेख