उत्तर दिशा के अनमोल मंत्र

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वास्तु शास्त्र घर को व्यवस्थित रखने की कला का नाम है। इसके सिद्धांत, नियम और फार्मूले किसी मंत्र से कम शक्तिशाली नहीं हैं। आप वास्तु के अनमोल मंत्र अपनाइए और सदा सुखी रहिए।

- उत्तर दिशा जल तत्व की प्रतीक है। इसके स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा स्त्रियों के लिए अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा में घर की स्त्रियों के लिए रहने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।

- उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र अर्थात्‌ ईशान कोण जल का प्रतीक है। इसके अधिपति यम देवता हैं। भवन का यह भाग ब्राह्मणों, बालकों तथा अतिथियों के लिए शुभ होता है।

- उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र यानी वायव्य कोण वायु तत्व प्रधान है। इसके अधिपति वायुदेव हैं। यह सर्वेंट हाउस के लिए तथा स्थाई तौर पर निवास करने वालों के लिए उपयुक्त स्थान हैं।

- उत्तर दिशा में निकास नालियां हों तो यह स्थिति भू-स्वामी के लिए बहुत ही शुभ तथा राज्य लाभ देने वाली होती है।

- ईशान; उत्तर-पूर्व कोण में जल प्रवाह की नालियां भू-स्वामी के लिए श्रेष्ठ तथा कल्याणकारी होती हैं। गृह स्वामी को धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है तथा आरोग्य लाभ होता है।
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