घर है मेरा गुले गुलज़ार.. क्या कहना!

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‍ विशाल मिश्रा
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हर व्यक्ति सपना देखता है उसका अपना घर हो । विरला ही कोई व्यक्ति होगा जोकि भौतिक सुख-सुविधाओं में अपने आशियाने के बारे में नहीं सोचता हो। चाहे छोटा हो या बड़ा। हर व्यक्ति अपने हिसाब से घर बनाता है या बनाने की सोचता है। लेकिन बन जाने पर यह घर बन जाना ही पर्याप्त नहीं है। उसके बाद आपके सामने चुनौती होती है इसे व्यवस्थित करने की। किस जगह पर कौन सा सामान रखा जाए। पेंटिंग्स कहाँ पर लगाई जाए आदि ताकि बाहर का कोई व्यक्ति आए तो उसे भी अच्छा महसूस हो और घर के भीतर जो लोग रहते हैं उन्हें भी।

कभी महसूस होता होगा यार अपना घर इतना बड़ा, इतने कमरे हैं लेकिन वो चैन-सुकून नहीं जो कि पड़ोसी के 1 ही कमरे में लगता है। चाहे उसके यहाँ कुर्सियाँ रखने की जगह न हो। क्योंकि उसके यहाँ छोटी-छोटी चीजें अपनी जगह पर व्यवस्थित रखी हैं। और आपके बड़े से घर या बंगले में गिलास, चाय के कप, आपके सुबह उतारे हुए कपड़े़ आदि कुछ भी ठिकाने पर नहीं। जूते किचन के पास भी ‍मिल जाएँ तो आश्चर्य नहीं। बहाना वही टाइम नहीं है, जल्दी बहुत रहती है यार ।

घर में अलमारियाँ तो कई हैं लेकिन हमारे कपड़े बाहर पड़े हैं तो किस काम की अलमारियाँ। जबकि एक कमरे वाले के यहाँ भले ही अलमारी न हो लेकिन कपड़े व्यवस्थित रूप से खूँटी पर टँगे हैं तो अच्छे दिखेंगे ।

  छोटी-छोटी सावधानियों को ध्यान में रखकर देखें। ये आपसे चाहती बहुत कम हैं बदले में देती बहुत कुछ हैं। घर को देखकर आप घर में रहने वाले लोगों कम से कम वहाँ की महिलाओं के बारे में अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं।      
काम बेशक गृहणियों का है पर आपको भी उसमें सहयोग करना होगा। तभी आपका घर वाकई घर लगेगा। यकीन मानिए यह भी एक तरह का प्रदूषण है। वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण तो आपको केवल शारीरिक हानि पहुँचाएँगे। लेकिन यह प्रदूषण सबसे ज्यादा खतरनाक है जो आपको मानसिक रूप से परेशान करता है। आप अपनी स्टडी टेबल को ही दो मिनट के लिए अस्त-व्यस्त कर दें सब किताबें बिखरा कर देखें। ठीक है। अब इसी को किताबों की आकार के अनुसार एक कोने में जमा दें। पेन होल्डर को सही जगह पर रख दें। अब कैसा लगा देखने में?

छोटी-छोटी सावधानियों को ध्यान में रखकर देखें। ये आपसे चाहती बहुत कम हैं बदले में देती बहुत कुछ हैं। घर को देखकर आप घर में रहने वाले लोगों कम से कम वहाँ की महिलाओं के बारे में अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं ।

* घर में छोटे बच्चे हों तो उनके खिलौने खेलने के बाद जमा कर रख दें। किसी को आने-जाने में परेशानी भी नहीं होगी और जमे हए सुंदर भी दिखाई देंगे।

* रसोई घर के डिब्बे व अन्य सामान सप्ताह या 15 दिनों में एक बार साफ करें। चाकू, संडासी, गैस लाइटर की जगह नियत कर दें और वहीं पर रखें। पावर कटिंग के दिनों में लैंप, मोमबत्ती, चार्जिंग लाइट ऐसी जगह पर रखें कि अँधेरे में भी मिल जाए।

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* बेडरूम में उठने के बाद चादर, रजाई सभी घड़ी कर दें। बेडशीट ठीक कर दें। समय-समय पर तकिये, रजाई की खोल धो लें, सिलाई आदि की जरूरत हो तो कर लें।

* सोफा कवर्स समय-समय पर साफ करते रहें। घर में कोई पार्टी हो या विशेष मेहमानों के आने पर अलग सोफा कवर्स रखें तो अच्छा है।

* दरवाजे, खिड़कियों के पर्दे भी नियमित रूप से साफ रहें इस बात का ध्यान रखें।

* टेलीफोन टेबल पर एक डायरी व पेन हमेशा मौजूद रहे। घर में यदि छोटे बच्चे हों तो फोन को इनकी पहुँच से दूर रखें ।

* प्रतिदिन दफ्तर लाने ले जाने का सामान तय स्थान पर रखें। न ही कुछ भूलकर जाएँगे और ले जाते समय इन्हें एकत्र करने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा ।

* आजकल आम समस्या घरों को व्यवस्थित रखने में आती है वह है- घर के अधिकतर सदस्य फिजूल का सामान घर में रखना चाहते हैं। भले ही वह चीज सालों से काम न आई हो और न ही भविष्य में आने की संभावना है। लेकिन उसे फेंकेंगे नहीं। उस कबाड़ को भी कहीं न कहीं सहेज कर रखेंगे। अब यदि आपके घर में 5 सदस्य भी हैं और उनका थोड़ा-थोड़ा सामान भी घर के किसी कोने में पड़ा है। तो वह कितनी जगह घेर रहा है ।

इसके बजाय इस सामान को कबाड़ी वाले को दें और जिन चीजों की जरूरत हो उसे लाकर रखें। चाहे वह किचन का सामान हो या ड्रॉइंग रूम का। जरूरत का सामान फेंके नहीं और व्यर्थ का सामान एकत्र न करें तो बेहतर होगा ।

घर छोटा या बड़ा होना मायने नहीं रखता। हो सकता है किसी का बड़ा घर भी आपको बिखरा हुआ सा लगे और कम जगह वाला 1 या 2 कमरे का घर पड़ोसी ने काफी सजाकर रखा हो ।

अपनी हैसियत के अनुसार बड़ी और महँगी नहीं तो छोटी-छोटी पेंटिंग्स लाकर दीवारों पर टाँगें या प्राकृतिक दृश्यों वाले, छोटे बच्चों आदि के पोस्टर चिपका दें। बमुश्किल 10 से 15 रुपए में ये आते हैं। यह आपकी रिक्त पड़ी दीवारों पर चार चाँद लगा देंगे ।

घर की पुताई के बारे में बात करें तो कौन कहता है एशियन पेंट्‍स या नैरोलक से ही घर चमकेगा। वर्ष में 2 बार चूना या आम डिस्टेम्बर ही पोत लें। घर में जाले न लगें इस बात का भी विशेष ध्यान रखें ।

* कम से कम छोटा एक मंदिर घर में अवश्य हो। चाहे अलमारी में रखे देवी-देवताओं की मूर्ति या तस्वीरें हों। इसके लिए लकड़ी का शेड लाकर रखें। घर के सभी सदस्य पूजा कर सकें तो बहुत अच्छी बात अन्यथा कम से कम गृहणी 10-15 मिनट का समय निकालकर इनकी नियमित पूजा करे। घर में सुख-शांति बनाए रखना आसान होगा ।

* अलमारी, पलंग आदि में वास्तु का ध्यान न भी रखें तो चलेगा अपनी सुविधानुसार उन्हें रख लें ।

* गोदरेज अलमारी में जहाँ तक हो सके जूते-चप्पल का स्टैंड न बनवाएँ। क्योंकि इसी की तिजोरी में हम लक्ष्मी भी रखते हैं तो जूते-चप्पल वहाँ शोभा नहीं देंगे। सभी लोगों के जूते-चप्पलों का स्टैंड घर में ऐसी जगह पर रख दें। जहाँ बार-बार आते-जाते आपके लिए परेशानी भी खड़ी न करे और आपको सुविधानुसार चरणपादुका एक जगह पर ही मिल जाएँ। लेकिन इसे रखें व्यवस्‍िथत ताकि आगंतुक को वह देखकर भी सुखद अहसास हो।

* कमरे और घर के आकार के अनुसार ही पलंग, अलमारी आदि के आकार का चयन करें। ना ही ज्यादा बड़े हों और ना ही छोटे।

* टी टेबल छोटी सी होती है। लेकिन यदि अस्त-व्यस्त हो तो घर की व्यवस्था का भंडाफोड़ कर सकती है। इस पर पुराने दिनों के पेपर ना रखे। यदि ताजा हो तो अस्त-व्यस्त ना रखा हो इसका ख्याल रहे । पत्रिकाएँ भी नवीनतम रखें। मित्र मिलने आए हैं और खाली बैठने पर सबसे पहले इनसे ही रूबरू होंगे ।

* पुस्तकों के लिए बुक शेल्फ न भी हो तो‍ किसी भी अलमारी में साफ पेपर बिछाकर रख सकते हैं ।

इस व्यवस्था में घर के सभी सदस्यों को योगदान देना होगा। ऐसा नहीं किसी ने ब्रश किया और पेस्ट ले जाकर अन्य जगह रख दिया। बाकी सभी ढूँढते फिर रहे हैं। या गीला तौलिया शरीर पोंछकर बिस्तर पर डाल दिया। श्रीमती जी आते ही आप पर बरस पड़ेंगी। ताना मारते हुए निश्चित रूप से बोलेंगी। ' टॉवेल की जगह बाथरूम में होती है बिस्तर पर नहीं। चलो उठाओ, वहीं रखकर आओ।'

घर को व्यवस्थित रखने से आपको फायदे ही फायदे हैं। आवश्यकता पड़ने पर आपको हर चीज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। व्यवस्थित चीजें आपको भले ही कुछ दें नहीं लेकिन अव्यवस्थित चीजें आपका नुकसान अवश्य कर देती हैं। शादी, पार्टी में जाने को दोस्त और उनकी पत्नी रास्ता देख रहे हैं और आप लगे हैं मोजे और तौलिया ढूँढने में। ऑफिस में आए‍ दिन होने वाली देरी से भी बच जाएँगे। घर में रहने की भी आपकी इच्छा होगी।और आप गुनगुना उठेंगे - खिले खिले चेहरों से आज, घर है मेरा , गुले गुलज़ार क्या कहना !
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