1 मई 2025: गुजरात-महाराष्ट्र स्थापना दिवस का इतिहास, महत्व और भाषाई आंदोलन की कहानी

WD Feature Desk
गुरुवार, 1 मई 2025 (11:33 IST)
gujarat and maharashtra sthapana diwas 2025 hindi: हर वर्ष 1 मई को भारत के दो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य, गुजरात और महाराष्ट्र का स्थापना दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक राजकीय पर्व नहीं है, बल्कि यह उन संघर्षों, आंदोलनों और सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना की याद दिलाता है, जिनकी बदौलत ये दोनों राज्य अस्तित्व में आए। गुजरात और महाराष्ट्र स्थापना दिवस 2025 खास मायनों में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह न सिर्फ क्षेत्रीय अस्मिता का उत्सव है, बल्कि एक समृद्ध विरासत की जीवंत झलक भी है। 
 
2025 में जब हम इन दोनों राज्यों का 65वां स्थापना दिवस मना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि हम उनके इतिहास, भाषाई आंदोलन, सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक विकास को गहराई से जानें।
 
महाराष्ट्र और गुजरात की स्थापना कब हुई?
ब्रिटिश शासन के समय भारत में कई भाषायी और सांस्कृतिक विविधताओं को एकीकृत कर प्रांत बनाए गए थे। लेकिन स्वतंत्रता के बाद, जब भारत को भाषायी आधार पर राज्यों में विभाजित करने की मांग उठी, तब 'संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन' और 'महागुजरात आंदोलन' जैसे जनांदोलनों ने एक नई चेतना जगाई।
 
इसका परिणाम यह हुआ कि 1 मई 1960 को बॉम्बे प्रांत (Bombay State) को दो हिस्सों में विभाजित किया गया, एक था गुजरात, जहां प्रमुख रूप से गुजराती भाषा बोली जाती है, और दूसरा था महाराष्ट्र, जहां मराठी प्रमुख भाषा है। यह दिन दोनों ही राज्यों के लिए स्वाभिमान, संस्कृति और प्रगति के मार्ग पर पहला कदम साबित हुआ।
 
महाराष्ट्र स्थापना दिवस: वीरता, साहित्य और उद्योग की भूमि
महाराष्ट्र न सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है, बल्कि यहां की सांस्कृतिक विरासत भी अत्यंत समृद्ध है। मुंबई जैसे वैश्विक शहर की उपस्थिति इस राज्य को आर्थिक शक्ति बनाती है। यहां की भाषा मराठी सिर्फ एक माध्यम नहीं, बल्कि लोगों की आत्मा है। फिल्म इंडस्ट्री (बॉलीवुड), ललित कला, संगीत, रंगमंच, और आधुनिक शिक्षा संस्थानों का केंद्र होने के कारण यह राज्य युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। स्कूलों, कॉलेजों, शासकीय संस्थानों और विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर झंडावंदन, भाषण, पारंपरिक लोकनृत्य और नाटकों के आयोजन होते हैं। इस दिन को ‘महाराष्ट्र गौरव दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है। 
 
गुजरात स्थापना दिवस: व्यापार, संस्कृति और गौरव का प्रतीक
गुजरात को 'महात्मा गांधी की भूमि' और 'साबरमती की शांतिप्रिय धरती' कहा जाता है। यहां की संस्कृति में शौर्य और समर्पण दोनों की झलक मिलती है। गुजराती भाषा, गरबा और डांडिया जैसे नृत्य, कच्छ का रण, और गिर के शेर, सब मिलकर इस राज्य की पहचान को अनोखा बनाते हैं। गुजरात स्थापना दिवस के अवसर पर अहमदाबाद, गांधीनगर, सूरत और राजकोट में भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं। ‘Gujarat Gaurav Divas’ के रूप में भी यह दिन मनाया जाता है। गुजरात ने विकास, व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका निभाई है, जिसे इस दिन विशेष रूप से याद किया जाता है।
 
गुजरात और महाराष्ट्र का भाषाई गौरव
भारत जैसे विविधता भरे देश में भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति की अभिव्यक्ति है। महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का आधार भी यही भाषाई पहचान रही है। जहां मराठी भाषा ने संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, पु. ल. देशपांडे और वि. स. खांडेकर जैसे महान साहित्यकारों को जन्म दिया। वहीं गुजराती भाषा में नरसिंह मेहता, दयानंद सरस्वती, झवेरचंद मेघाणी और महात्मा गांधी जैसे विचारकों और लेखकों ने अपनी छाप छोड़ी। 


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