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World Disability Day 2025: अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस, जाने इसका महत्व और यह दिन क्यों है जरूरी?

WD Feature Desk
बुधवार, 3 दिसंबर 2025 (16:20 IST)
3 December, International Day of Persons with Disabilities 2025: अंतरराष्ट्रीय या विश्व दिव्यांग दिवस हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों, उनकी क्षमताओं, और समाज में उनकी समावेशिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन का महत्व केवल दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना नहीं है, बल्कि यह उनके लिए समान अवसरों, सहानुभूति और समर्थन की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।ALSO READ: Bhopal Gas Tragedy Day: आज भोपाल गैस त्रासदी दिवस, जानें इस भयावह घटना के दिन की जानकारी
 
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर जानें 5 महत्व की बातें:
 
1. समाज में समावेशिता का प्रचार: अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का उद्देश्य समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। यह दिवस यह बताने का एक अवसर है कि दिव्यांग व्यक्ति भी समाज के सक्रिय सदस्य हैं और उन्हें भी समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए। इसके माध्यम से समाज को यह संदेश दिया जाता है कि दिव्यांग व्यक्तियों को अलग नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें हर क्षेत्र में समान अवसर मिलना चाहिए।
 
2. दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा: यह दिन दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बेहतर जीवन जीने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता को प्रमुख बनाता है। इसे विश्वभर में दिव्यांग व्यक्तियों के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकारों को मान्यता देने के रूप में देखा जाता है।
 
3. समान अवसरों की तलाश: अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह दिव्यांग हो या सामान्य, को समान अवसर मिलना चाहिए। इसके अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, परिवहन और सार्वजनिक जीवन में उनकी भागीदारी की बाधाओं को दूर करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
 
4. दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना: यह दिन समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति पैदा करने का भी एक मंच है। दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति मानसिकता में बदलाव लाने के लिए यह अवसर बहुत महत्वपूर्ण है।
 
5. सभी को सशक्त बनाना: दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाना और समाज में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना इस दिन का मुख्य उद्देश्य है। यह दिन यह भी याद दिलाता है कि दिव्यांगता केवल शारीरिक या मानसिक असमर्थता नहीं है, बल्कि यह भी एक चुनौती है जिसे हम एक सकारात्मक दृष्टिकोण से पार कर सकते हैं।
 
क्यों जरूरी है यह दिन? 
 
• दिव्यांग व्यक्तियों की पहचान और भूमिका: दुनियाभर में करीब 1 अरब से अधिक लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांग हैं। बावजूद इसके, समाज में उन्हें वह जगह नहीं मिल पाती, जिसकी वे हकदार हैं। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस दिव्यांग व्यक्तियों की वास्तविक पहचान, उनकी समस्याओं और उनके योगदान को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है।
 
• सरकारी और निजी प्रयासों में सुधार: यह दिन सरकारों और संगठनों को यह याद दिलाता है कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी और सुलभ माहौल तैयार करना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही, यह दिन नीति निर्माताओं को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष योजनाओं और सेवाओं को लागू करने के लिए प्रेरित करता है।
 
• जागरूकता और शिक्षा: इस दिन के माध्यम से लोगों को दिव्यांग व्यक्तियों के साथ समानता, सम्मान और समर्थन के बारे में जागरूक किया जाता है। इसके अलावा, यह शिक्षा और संसाधनों की पहुंच को बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाने की प्रेरणा देता है।
 
• भेदभाव को खत्म करना: यह दिन दिव्यांग व्यक्तियों के साथ हो रहे भेदभाव और उनके अधिकारों का उल्लंघन रोकने की दिशा में काम करने का एक अवसर है। दिव्यांग व्यक्तियों को समानता के आधार पर अधिकार मिलना चाहिए, और यह दिन इस बात को सुनिश्चित करने का मौका है।
 
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस थीम 2025 (IDPD Theme 2025) : इस दिन की थीम हर साल बदलती है। हर साल अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस की एक विशेष थीम होती है, जो उस वर्ष की प्रमुख मुद्दों और चुनौतियों को उजागर करती है।

इस बार 2025 में विश्व दिव्यांग दिवस की थीम- 'विकलांग समावेशी समाजों को आगे बढ़ाना ताकि सामाजिक प्रगति संभव हो सके (Fostering disability inclusive societies for advancing social progress)' तय की गई है। और यह थीम इस बात पर जोर देती है कि कैसे डिजिटल तकनीक और नवाचार को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अधिक पहुंच योग्य और न्यायसंगत बनाया जा सकता है, जिससे वे शिक्षा, रोज़गार और सामाजिक जीवन में पूरी तरह से भाग ले सकें।
 
अत: इस दिन की महत्वता यह है कि यह हमें एक समाज के रूप में हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि हम एक समावेशी और समान समाज की दिशा में काम कर रहे हैं।

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