Constitution Day: संविधान दिवस भारत के इतिहास का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2025 में भी यह बुधवार, 26 नवंबर 2025 को पड़ रहा है। यह दिन भारतीय संविधान को अपनाए जाने की याद में मनाया जाता है। भारत का संविधान, जो हमारे लोकतंत्र की नींव है, कई मायनों में अद्वितीय है। यहां इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
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यहां जानें संविधान दिवस से जुड़े 10 तथ्य:
1. इस दिन, 26 नवंबर 1949 को, भारत की संविधान सभा ने औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अंगीकृत किया था। इसे मनाने की शुरुआत भारत सरकार ने साल 2015 में, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में की थी। इससे पहले इस दिन को 'राष्ट्रीय कानून दिवस' के रूप में मनाया जाता था।
2. दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान: भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। जब यह लागू हुआ था, तब इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं।
3. तैयारी में लगा समय: संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।
4. हस्तलिखित और सुलेखन: मूल संविधान को टाइप या प्रिंट नहीं किया गया था। इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में हाथ से लिखा गया था।
5. भारतीय सुलेखक: प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे सुंदर इटैलिक शैली में अपने हाथों से लिखा था। उन्हें भारत के संविधान को हाथ से लिखने वाले सुलेखक के रूप में जाना जाता हैं।
6. कलाकृतियों से सुसज्जित: संविधान के प्रत्येक पृष्ठ को शांतिनिकेतन के कलाकारों द्वारा, आचार्य नंदलाल बोस के मार्गदर्शन में, सजाया गया है। इन कलाकृतियों में भारतीय इतिहास और संस्कृति के विभिन्न चरणों का चित्रण है।
7. अनेक देशों से प्रेरणा: भारतीय संविधान को बनाते समय दुनिया के कई अन्य देशों जैसे- अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड आदि के संविधानों की विशेषताओं को भी शामिल किया गया।
8. सुरक्षित प्रतिलिपियां: संविधान की मूल हस्तलिखित प्रतियां भारतीय संसद के पुस्तकालय में हीलियम से भरे विशेष बक्सों में सुरक्षित रखी गई हैं।
9. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर- जनक: डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण 'भारतीय संविधान का जनक' माना जाता है।
10. पूर्ण स्वराज की तारीख: संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस तारीख को चुनने का कारण यह था कि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 'पूर्ण स्वराज' की घोषणा की थी, और इस ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाया जा सके। संविधान दिवस हमें हमारे मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सोचने और हमारे लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने की याद दिलाता है।
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