हम गुलाम क्‍यूँ हैं

Webdunia
- स्‍वामी विवेकानं द

NDND
ध्‍यान रखो कि राष्‍ट्र झोपडि़यों में बसता है। किसान, जूते बनाने वाले, मेहतर, और भारत के ऐसे ही निचले वर्गों में तुमसे कहीं ज्‍यादा काम करने और स्‍वावलंबन की क्षमता है। वे लोग युग-युग से चुपचाप काम करते रहे हैं। वे ही हैं, जो इस देश की समस्‍त संपदा के उत्‍पादक हैं।

फिर भी उन्‍होंने कभी शिकायत नहीं की। ऐसा दिन शीघ्र ही आने वाला है, जब उनका दर्जा तुमसे ऊपर होगा। धीरे-धीरे पूँजी उनके हाथों में आ रही है। आधुनिक शिक्षा ने तुम लोगों का फैशन ही बदल दिया है। कितनी ही संपदा अनखोजी पड़ी हुई है, क्‍योंकि तुममें उसके अन्‍वेषण की क्षमता नहीं है।

तुम लोगों ने अब तक इस जनता को दबाया है, अब उनकी बारी है और तुम लोग रोजगार की तलाश में भटकते-भटकते नष्‍ट हो जाओगे, क्‍योंकि यही तुम्‍हारे जीवन का सर्वस्‍व बन गया है ।

जब भी मैं गरीबों के बारे में सोचता हूँ तो मेरा हृदय पीड़ा से कराह उठता है। बचने या ऊपर उठने का उनके पास कोई अवसर नहीं है। वे लोग हर दिन नीचे, और-और नीचे धँसते जाते हैं। वे निर्दयी समाज के वारों को निरंतर झेलते जाते हैं। वे यह भी नहीं जानते कि उन पर कौन वार कर रहा है, कहाँ से वार हो रहे हैं। वे यह भी भूल चुके हैं कि वे स्‍वयं भी मनुष्‍य हैं। इन सबका परिणाम है - गुलामी।

Show comments

युद्ध के संबंध में क्या कहती है चाणक्य नीति?

बच्चों की कोमल त्वचा पर भूलकर भी न लगाएं ये प्रोडक्ट्स, हो सकता है इन्फेक्शन

वास्तु के अनुसार कैसे प्राप्त कर सकते हैं नौकरी

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

घर की लाड़ली को दीजिए श अक्षर से शुरू होने वाले ये पारंपरिक नाम

गर्मी के दिनों में फैशन में हैं यह कपड़े, आप भी ट्राय करना ना भूलें

क्या है परेश रावल के यूरीन से इलाज के दावे का सच, जानिए क्या बोले यूरोलॉजिस्ट

इंदौर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में फिटनेस, फास्टिंग और लाइफस्टाइल पर विशेष व्याख्यान का सफल आयोजन संपन्न

पहलगाम अटैक के बाद क्‍यों हो रही है फिल्‍म The Social Dilemma की चर्चा?

इंदौर में स्वस्थ जीवनशैली और लंबी उम्र के लिए जागरूकता कार्यक्रम, "लिव लॉन्ग, लिव स्ट्रॉन्ग"