भारत में सूचना-क्रांति की नई तस्वीर

प्रियंका पांडेय
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आजादी मिले आज साठ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ऐसे में विकास की ओर अग्रसर हमारे देश ने आईटी-बीपीओ के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। आज अगर हम पीछे पलटकर देखें तो पाएँगे कि इस क्षेत्र ने न सिर्फ हमें रोजगार के अपार अवसर दिए हैं, बल्कि वर्तमान में यह क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर बनकर सामने आया है।

पिछले दस सालों की वस्तुस्थिति पर यदि हम गौर करें तो पाएँगे कि आईटी और बीपीओ क्षेत्र में हमारे देश ने कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दरवाजे तो खोले ही, साथ ही चीन के बाद भारत को एशिया के दूसरे प्रमुख उभरते हुए बाजार का भी दर्जा दिया है। 2003-2004 में भारतीय आईटी-सॉफ्टवेयर क्षेत्र का 12.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात वर्ष 2005-06 में बढ़कर 23.6 बिलियन डॉलर हो गया और उम्‍मीद की जा रही है कि वर्ष 2006-07 तक यह बढ़कर 31.3 बिलियन डॉलर तक हो जाएगा।

सफलता के और भी हैं आयाम - कभी सँपेरों का देश कहा जाने वाला हमारा यह देश सूचना प्रौद्योगिकी और आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में विश्व में अहम स्थान रखता है। यही वजह है कि 2001 से 2006 तक आईटी सेवा में भारत की वैश्विक भागीदारी 62 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत हुई और बीपीओ क्षेत्र में इसका प्रतिशत 39 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत तक हो गया। वहीं दूसरी ओर 2010 तक इस आईटी-बीपीओ क्षेत्र के अमेरिकी निर्यात को 60 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का ध्येय है।
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अगर इस क्षेत्र में तीव्र विकास करें तो इस तथ्य को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि दिसंबर, 2006 तक 440 भारतीय कंपनियों को विश्व स्तरीय गुणवत्ता प्रमाण के तहत माना गया है, जिनमें 90 कंपनियों के सीएमएम को लेवेल-5 के सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है, जो अभी तक विश्व के किसी भी देश में सर्वाधिक है।

आईटी-आउटसोर्सिंग : रोजगार का उभरता स्रोत - पिछले कुछ सालों में यह क्षेत्र रोजगार के प्रमुख स्रोतों में से एक स्रोत के रूप में उभरकर आया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आँकड़े के अनुसार इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 1999-2000 में 284,000 थी, जो 2005-2006 तक बढ़कर 1,630,000 हो गई, जिसमें 340,000 सेवारत कर्मचारियों की वृद्धि केवल पिछले वर्ष ही हुई है। इतना ही नहीं, आगे चलकर इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से तीन मिलियन के करीब रोजगार की भी संभावनाएँ हैं।

स्वतंत्रता के साठ वर्षों के इस दौर में भारत ने भले ही इस क्षेत्र में विकास की उड़ान कुछ ही वर्षों पहले भरी है पर सफलता के इस आकाश में इसका अस्तित्व दिनोंदिन नई ऊँचाइयाँ छू रहा है।

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