खादी के तिरंगे से हो ध्वजारोहण

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने जिस खादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया था, आज हम उसी का अपमान करने पर तुले हुए हैं। इसका ताजा प्रमाण बाजारों में बिकने वाले टेरीकोट, प्लास्टिक व कागज के वे राष्ट्रीय ध्वज हैं, जिन्हें हम बिना सोचे-समझे आजादी का प्रतीक मान खरीद रहे हैं। जबकि खादी से बना झंडा राष्ट्रध्वज कहलाने का हक रखता है।

खादी की जगह अन्य : चीजों से बने ध्वजों का उपयोग करना राष्ट्र को अपमानित करने के बराबर है। इस मसले पर जब पुराने लोगों से चर्चा की तो उनका कहना था कि देश की आजादी में जिस ध्वज का उपयोग किया जाता था, वह खादी से बना होता था। आज जो ध्वज बाजारों में बिक रहे हैं, वे राष्ट्रीय ध्वज का प्रतीक नहीं हैं।

राष्ट्रीय ध्वज वही कहलाता है, जो शुद्ध खादी से बना हो। लेकिन लोग खादी के झंडों को न खरीदकर टेरीकोट, प्लास्टिक व कागज के झंडे खरीद रहे हैं। राष्ट्रीय ध्वज को सरकारी कॉलेजों, सरकारी स्कूलों व अन्य सरकारी भवनों पर लगाना आवश्यक है। जिन कॉलेजों व सरकारी दफ्तरों पर खादी का तिरंगा नहीं लहराता, बल्कि उनकी जगह टेरीकोट व अन्य वस्तुओं से बना झंडा लहराता है, वह सरासर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है।

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इस संबंध में खादी ग्रामोद्योग भंडार के मैनेजर सुनील जैन ने बताया कि खादी से बने राष्ट्रीय ध्वज को आईएसआई मार्क से पहचाना जाता है, जो कि असली झंडा होता है। लेकिन शहर में नकली झंडों के आने से पिछले साल की तुलना में इस साल खादी के झंडों की बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है। दुकान पर पिछले साल तिरंगे की 40,000 की बिक्री हुई थी, जबकि इस साल मुंबई व नांदेड़ से 25,000 झंडे मँगाएँ हैं और अभी तक दुकान पर झंडों की बिक्री मात्र 10,000 रुपए है।

खादी पर महँगाई का असर : खादी के झंडों पर इस साल महँगाई का काफी असर देखा जा रहा है। इसके विकल्प में लोग अन्य फैब्रिक से बने झंडों को खरीद रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग में जहाँ छोटे से बड़े आकार के झंडे 75-1000 रुपए के हैं, वहीं लोगों को बाजार में टेरीकोट व प्लास्टिक से बने झंडे 15-200 रुपए में उपलब्ध हो रहे हैं।

राष्ट्रीय ध्वज भारत के मान-सम्मान का प्रतिक है और इसके कुछ नियम भी है जिनका पालन करना हर भारतवासी का कर्तव्य है : -

- ध्वज को किसी निजी वाहन पर न लगाया जाए।

- इसे किसी भी व्यक्ति के शव पर नहीं लपेटा जाए।

- किसी भी सामान को बाँधने में उपयोग नहीं किया जाए।

- ध्वज का कोई भी हिस्सा जमीन को न छुए।

- ध्वज को किसी भी व्यक्ति के आगे न झुकाया जाए।

- ध्वज का कोई भी हिस्सा पानी में न डूबे।

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