स्वतंत्रता दिवस पर सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर निशाना, कहा- बोलने, लिखने की आजादी नहीं

Webdunia
शनिवार, 15 अगस्त 2020 (18:36 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के अवसर शनिवार को लोगों को शुभकामनाएं देने के साथ ही केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था, संवैधानिक मूल्यों एवं स्थापित परंपराओं के विपरीत खड़ी है।
 
उन्होंने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शहीद हुए 20 जवानों पर को याद करते हुए कहा कि भारतीय भू-भाग की रक्षा करना और चीनी घुसपैठ को विफल करना ही इन शहीदों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
 
सोनिया ने स्वतंत्रता दिवस पर जारी शुभकामना संदेश में कहा कि सभी को 74वें स्वाधीनता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं। भारतवर्ष की ख्याति विश्वभर में न सिर्फ प्रजातांत्रिक मूल्यों और विभिन्न भाषा, धर्म, संप्रदाय के बहुलतावाद की वजह से है, अपितु भारत प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना एकजुटता के साथ करने के लिए भी जाना जाता है।
 
उनके मुताबिक कि आज जब समूचा विश्व कोरोना महामारी की महाविभीषिका से जूझ रहा है, तब भारत को एकजुट होकर इस महामारी को परास्त करने के प्रतिमान स्थापित करने होंगे और मैं पूरे आत्मविश्वास से कह सकती हूं कि हम सब मिलकर इस महामारी व गंभीर आर्थिक संकट की दशा से बाहर आ जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमने आजादी के बाद अपने प्रजातांत्रिक मूल्यों को समय समय पर परीक्षा की कसौटी पर परखा है और उसे निरंतर परिपक्व किया है। 
 
उन्होंने आरोप लगाया कि आज ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था, संवैधानिक मूल्यों व स्थापित परंपराओं के विपरीत खड़ी है। भारतीय लोकतंत्र के लिए भी ये परीक्षा की घड़ी है।
सोनिया ने पूर्वी लद्दाख में कुछ सप्ताह पहले शहीद हुए जवानों को याद करते हुए कहा कि आज कर्नल संतोष बाबू समेत हमारे 20 जवानों की गलवान घाटी में वीरगति को भी साठ दिन बीत चुके हैं। मैं उनको भी याद कर उनकी वीरता को नमन करती हूं व सरकार से आग्रह करती हूं की उनकी वीरता का स्मरण करे व उचित सम्मान दे।
 
उन्होंने कहा कि भारत मां की सरज़मी की रक्षा व चीनी घुसपैठ को विफल करना इन शहीदों को सबसे बड़ी श्रद्धाजंलि होगी।
 
सोनिया ने इस बात पर जोर दिया कि आज हर देशवासी को अंतरात्मा में झांक कर यह सोचने की आवश्यकता है कि आज़ादी के क्या मायने हैं? क्या आज देश में लिखने, बोलने, सवाल पूछने, असहमत होने, विचार रखने, जबाबदेही मांगने की आज़ादी है?’
 
उन्होंने कहा कि एक ज़िम्मेदार विपक्ष होने के नाते ये ‘हमारा उत्तरदायित्व है कि हम भारत की प्रजातांत्रिक स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाए रखने का हरसंभव प्रयत्न व संघर्ष करें। (भाषा)

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