जवाहरलाल नेहरू और लेडी माउंटबेटन

Webdunia
मंगलवार, 4 अगस्त 2015 (20:08 IST)
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भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को कौन नहीं जानता। उन्हें बच्चों से ज्यादा लगाव था और बच्चे भी उन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' कहा करते थे। जवाहरलाल नेहरू देश के धनवान वकील मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र थे जिसके कारण उनका बचपन बहुत ही आराम से बीता।

उस समय के दौर में भी जवाहरलाल नेहरू ने लंदन से कॉलेज की डिग्री तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई पूरी की जिस समय आम लोगों को एक वक्त का खाना भी नहीं मिल पाता था।

 

नेहरू का पहला प्यार....


जवाहरलाल नेहरू जितना बच्चों से प्यार करते थे वे उतना ही प्यार लेडी एडविना से किया करते थे। विदेशों में पढ़ाई करते-करते उनकी शानो-शौकत भी ऊंची हो गई थी। यही कारण था कि नेहरूजी के विदेशों में ज्यादा दोस्त बन गए थे।

उसी में से एक थी लेडी एडविना, हालांकि उस समय दोनों की दोस्ती ज्यादा दिनों तक नहीं चली। 1912 में नेहरू के भारत आ जाने के बाद एडविना ने लॉर्ड माउंटबेटन से शादी कर ली थी और दोनों के रास्ते अलग हो गए थे।

लौट आया नेहरू का प्यार...


नेहरूजी 1912 में राजनीति में कूद पड़े और गांधीजी का सहयोग करने लगे। अंग्रेजों के खिलाफ भारत ने 1946 के अंत तक अपनी लगभग लड़ाई पूरी कर ली थी। उसी दौरान लेडी एडविना अपने पति लॉर्ड माउंटबेटन के साथ भारत भ्रमण पर आईं।

उस समय कश्मीर का मामला उलझा हुआ था और नेहरूजी दुखी थे, तभी उनकी मुलाकात लेडी एडविना से हुई। एक बार फिर दोनों का प्यार खिल उठा। उस समय के जानकारों का मानना था कि अगर नेहरू-एडविना के रिश्तों में और नजदीकियां होतीं तो शायद अंग्रेज उन्हें अपनी कूटनीति में फंसा लेते और भारत के हाथ से जीत निकल जाती।

आखिर किस तरह के रिश्ते थे नेहरू और एडविना में....


इनके रिश्ते इतने मजबूत थे कि एडविना के पति और उनकी बेटी भी चाहकर बीच में नहीं आते थे। यहां तक कि जब नेहरू एडविना के पास आते थे तो माउंटबेटन उन दोनों को अकेला छोड़कर चले जाते थे। एडविना और माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि दोनों के बीच रूहानी संबंध थे। दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे।

इतिहासकारों का मानना है कि पामेला ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि नेहरू और एडविना में इतनी नजदीकी का कारण दोनों का ऊंचा रहन-सहन, सुदंरता तथा नेहरू की सादगी थी।

हालांकि भारत और पाकिस्तान के आजाद होते ही लेडी एडविना अपने पति लॉर्ड माउंटबेटन के साथ वापस लंदन लौट गईं। भारत की स्वतंत्रता के बाद एक बार नेहरू और एडविना का मामला सरदार वल्लभभाई पटेल ने संसद में भी उठाया था।
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