अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ, उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ।
इतना ही नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद स िखों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा बरकरार है।
त्योहारों के समय अमृतसर शहर का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। दिवाली, होली, लोहड़ी और बैसाखी के समय यहां पर पर्यटकों का जमावड़ा लगने लगता है।
त्योहारों से संबंधित अधिकतर समारोह स्वर्ण मंदिर के आसपास ही आयोजित किए जाते हैं। अमृतसर में मनाए जाने वाले दूसरे त्योहारों में गुरु नानक जयंती भी है, जिसे नवंबर के महीने में मनाया जाता है।
अमृतसर के आकर्षण
स्वर्ण मंदिर :- अमृतसर का स्वर्ण मंदिर हमेशा से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इसका पूरा नाम हरमंदिर साहब है, लेकिन यह स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं।
इसके आकर्षण का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि श्रद्धालु विश्व के कोने-कोने से यहां आकर अपनी सेवा देते हैं। वैसे तो यह मंदिर दिन में बहुत ही ज्यादा सुंदर दिखता है लेकिन जब रात में कृत्रिम लाइट की रोशनी इस मंदिर पर पड़ती है तो इसकी खूबसूरती का नजारा कुछ और ही होता है।
मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र सुनहरे रोशनी से चमकने लगता है। स्वर्ण मंदिर 24 घंटों में से 20 घंटे (सुबह छह बजे से रात दो बजे तक) खुला रहता है। आप रात या दिन किसी भी समय इसकी खूबसूरती का लुत्फ उठा सकते हैं।