रक्षा के लिए मोर्चाबंदी

सुरेश बाफना
रविवार, 28 दिसंबर 2008 (10:34 IST)
भारत को आशंका है कि आतंकवाद के मुद्दे से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान भड़काने वाली सैनिक कार्रवाई कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाक सैनिकों के बढ़ते जमावड़े के मद्देनजर शुक्रवार को तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और रक्षामंत्री एके एंटनी के साथ अलग-अलग बैठकें की। दोपहर बाद कैबिनेट की रक्षा मामलों की समिति की बैठक भी हुई। बैठक में सुरक्षा से जु़ड़े विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

भारत का मानना है कि आतंकवाद के सवाल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव से परेशान होकर पाकिस्तान युद्धोन्माद फैलाने की कोशिश कर रहा है। समझा जाता है कि रक्षा बैठकों में निर्णय किया गया कि तीनों सेनाओं को सीमित रक्षात्मक तैनाती करनी चाहिए।

सेना प्रमुखों के साथ हुई बैठक के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से बताया गया है कि सेना प्रमुखों ने वर्तमान सुरक्षा स्थिति से प्रधानमंत्री को अवगत कराया और वेतन आयोग की सिफारिशों पर भी चर्चा हुई।

इस बीच विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सलाह दी है उनका पाक जाना और वहाँ रहना जोखिम से भरा है, इसलिए वे वहाँ नहीं जाएँ।

दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर अमेरिकी विदेशमंत्री कोंडोलीजा राइस और चीनी विदेशमंत्री यांग जीची ने गुरुवार रात प्रणब मुखर्जी से टेलीफोन पर लंबी बातचीत की।

प्रणब ने दोनों से साफतौर पर कहा कि पाक मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है। इस बातचीत के बाद अमेरिका के दक्षिण एशिया मामलों के सहायक विदेशमंत्री रिचर्ड बाउचर ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में कहा कि वह हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठनों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करे।

सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को सेना प्रमुखों के साथ हुई एक घंटे की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह आतंकी ढाँचे को पूरी तरह नष्ट करे।

पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से यह स्पष्ट हुआ है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने के बजाय भारत के खिलाफ युद्धोन्माद को बढ़ावा दे रहा है। भारत यह मानता है कि युद्ध से आतंकवाद की समस्या का समाधान नहीं होगा, लेकिन पाकिस्तान के साथ आज की स्थिति में सामान्य संबंध बनाए रखना संभव नहीं है।

भारत तभी संतुष्ट होगा जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों व ढाँचे को खत्म करने की दिशा में पारदर्शी कदम उठाएगा। कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की करीब दो घंटे चली बैठक में हुए विचार-विमर्श के बारे में औपचारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया।

सिर्फ इतना ही कहा गया कि देश की सुरक्षा स्थिति के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। सुरक्षा मामलों की समिति में रक्षात्मक कदम उठाने के साथ इस बात पर विचार किया गया कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक अभियान को किस तरह तेज किया जाए।

विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को सऊदी अरब के विदेशमंत्री सौद-अल-फैसल के साथ हुई मुलाकात में अनुरोध किया कि वे पाकिस्तान पर दबाव बनाएँ कि मुंबई के हमलावरों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। सऊदी विदेशमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ा जाए, ताकि मुंबई जैसा भयानक हादसा न हो।

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