2011 में पड़ने वाले ग्रहण

विश्व में पड़ेंगे छ: ग्रहण

पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे
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इस वर्ष विश्व में छ: ग्रहण पड़ेंगे। इसमें तीन ग्रहण भारत‍ में दिखाई देंगे और दो ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देंगे। ग्रहणों का शुभ-अशुभ महत्व दिखाई (दृष्ट) देने पर ही होता है। जहाँ भी ग्रहण दृष्‍ट होंगे वही मान्य होंगे अन्यत्र जगह कोई मान्य नहीं है।

वर्ष 2011 में पड़ने वाले ग्रहण इस प्रकार है।

* 4 जनवरी 2011, मंगलवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। जो भारत में दिखाई देगा।

* ‍1 व 2 जून 2011, बुधवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। जो भारत में दिखाई नहीं देगा।

* 15 जून 2011, बुधवार को खग्रास चंद्रग्रहण होगा, जो भार‍त में दिखाई देगा।

* 1 जुलाई 2011, शुक्रवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। जो भारत में नहीं दिखेगा।

* 25 नवंबर 2011, खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। यह भी भारत में नहीं दिखेगा।

* 10 दिसंबर 2011, शनिवार को खग्रास चंद्रग्रहण, जो भारत में दिखाई देगा।

खंडग्रास सूर्यग्रहण : 4 जनवरी 2011 :-
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पौष कृष्ण अमावस्या, 4 जनवरी मंगलवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि पर खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। यह ग्रहण भार‍‍त के पश्चिम व उत्तर के कोणों में दिखाई देगा। यह ग्रहण दिल्ली, कुरूक्षेत्र, जम्मू-कश्मीर, जयपुर, जोधपुर, चंडीगढ़, शिमला, हरिद्वार आदि स्थानों पर दिखाई देगा। यह ग्रहण मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण के प्रांतों में दिखाई नहीं देगा। जहाँ पर दिखाई नहीं देगा वहाँ फल का भी असर नहीं होगा।

विदेशों में पाकिस्तान, पश्चिमी चीन, यूरोप, ग्रीस, इटली, इजराइल आदि क्षेत्र में दिखाई देगा।

ग्रहण से राशियों पर पड़ने वाला फल :
शुभ फल- कर्क, तुला, कुंभ व मीन राशि।
मध्यम फल- मेष, मिथुन, सिंह व वृश्चिक राशि।
अशुभ फल- वृषभ, कन्या, धनु, मकर राशि।

यह ग्रहण पूर्वाषाढ़ा नक्ष‍त्र में धनु राशि में जन्म लेने वालों के लिए अहितकारी रहेगा। भारतीय स्टैंडर्ड समयानुसार ग्रहण का स्पर्श काल 3.12 दिन, मध्य 3.32 दिन, मोक्ष 3.52, कुल पर्व काल 40 मिनट का रहेगा। सूर्यग्रहण का सूतक स्पर्श होने के 12 घंटे पूर्व लगता है। सूतक काल में आस्तिक जनों को भोजन, शयन नहीं करना चाहिए। संयम का पालन करना चाहिए। बालक, वृद्ध और रोगी मध्य समय तक आवश्यक मात्रा में सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

ग्रहण में क्या करें :- दोनों ग्रहणों (सूर्य एवं चंद्र) के समय अशुभ राशि वाले जातक, रोगीजन एवं गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। ग्रहण के समय में धार्मिक जन ईश्वर आराधना (मंत्र जप, हवन, संकीर्तन) एवं ग्रहण के समाप्ति के कुछ पहले दान करना चाहिए।

ग्रहण के समय पकवान, फल, सब्जियाँ दूषित हो जाती है, जबकि दूध, दही, घी, मक्खन अचार, तेल आदि में कुशा डालने से ये पदार्थ दूषित नहीं होते है। रोगी को छोड़कर ग्रहण के मोक्ष के बाद गरम जल से स्नान नहीं करना चाहिए। ग्रहण में पवित्र नदियों (गंगा, नर्मदा, कावेरी, क्षिप्रा) सरोवर तथा सागर में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसे संभव न हो तो जिस जल से स्नान कर रहे हैं उसमें पवित्र तीर्थ, पवित्र नदी का जल डालकर स्नान करें।

विशेष :- सूर्य-चंद्र ग्रहण के दिन अमावस्या-पूर्णिमा तिथि से संबंधित व्रत पर्व अनुष्‍ठान, नित्य कर्म, देव पूजन, संध्या आदि तथा वट सावित्री‍, सत्यनारायण, रक्षाबंधन, गुरु पूर्णिमा, दीपावली आदि व्रत पर्वों को अपने शास्त्र निहित समय में ही करें, भले ही उस समय ग्रहण का सूतक काल क्यों न हो, सूतक काल में स्नान कर उपर्युक्त अमावस्या-पूर्णिमा के व्रत पर्वों को शास्त्र निर्देशानुसार किया जा सकता है।

सर्वेथामेष वर्गांना सूतक राहूदर्शने।
स्नात्वा कर्माणि कुर्यात शृतमन्न विवर्जयेत।।

ग्रहण में अथवा सूतक काल में श्राद्ध कर्म करने का बड़ा महत्व है, केवल भोजनादि का निषेध है।

उपरोक्त ग्रहण नियम-पालन सभी ग्रहणों के लिए है।

2. खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत में दृष्ट नहीं)
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दिनांक 1 व 2 जून 2011, बुधवार को रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। जो भारत में नही दिखेगा। यह ग्रहण पूर्वी एशिया, उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड, आर्कटिक महासागर में दिखाई देगा। भूमंडल पर ग्रहण का प्रारंभ (भारतीय समयानुसार) 12 बजकर 55 मिनट रात एवं ग्रहण का मोक्ष 4 बजकर 37 मिनट रात अंत पर होगा। इस ग्रहण की धार्मिक मान्यता अनुसार यह ग्रहण भारत में मान्य नहीं है।

3. खग्रास चंद्रग्रहण (भारत‍ में दृष्‍ट)
15 जून 2011, ज्येष्ठ शुक्ल 15, संवत 2068
ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा, 15 जून 2011, बुधवार को ज्येष्ठा नक्षत्र एव वृश्चिक राशि पर स्पर्श कर मूल नक्ष‍त्र व धनु राशि पर खग्रास चंद्रग्रहण समाप्त होगा। यह ग्रहण भार‍त के अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर और यूरोप में दिखाई देगा।

ग्रहण का स्पर्शकाल रात्रि 11.52, मध्यकाल रात्रि 1.43, मोक्ष- रात्रि 3.33 मिनट का होगा तथा कुल पर्वकाल 3 घंटे 41 मिनट का होगा।

ग्रहण का राशि अनुसार फल :
शुभ फल- कर्क, तुला, कुंभ व मीन राशि।
मध्यम फल- मेष, मिथुन, सिंह व वृश्चिक राशि।
अशुभ फल- वृषभ, कन्या, धनु, मकर राशि।

विशेष : यह ग्रहण धनु राशि एवं मूल नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए विशेष अतिकष्टकारी रहेगा।

4. खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत में दृष्ट नहीं)
1 जुलाई 2011, शुक्रवार को मिथुन राशि में खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में दृष्ट नहीं होगा। यह ग्रहण हिंद महासागर, अंटार्कटिका आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा। ग्रहण का स्पर्श दिन में 1 बजकर 22 मिनट, ग्रहण का मोक्ष 2 बजकर 53 मिनट पर होगा। इस ग्रहण की धार्मिक मान्यतानुसार भार‍त में मान्य नहीं है।

5. खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत में दृष्ट नहीं)
25 नवंबर को लगने वाला यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।

6. खग्रास चंद्रग्रहण (भारत‍ में दृष्‍ट)
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दिनांक 10 दिसंबर 2011, शनिवार मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा को मृगशिरा नक्षत्र एवं वृषभ राशि पर खग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह भार‍त के अलावा चीन, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बर्मा आदि देशों में दिखाई देगा।

भारतीय स्टैंडर्ड समयानुसार ग्रहण का स्पर्श समय शाम 6.15 मिनट, मध्यकाल रात 8.40, मोक्ष रात 10.28 मिनट का होगा। कुल पर्व समय 3 घंटा 37 मिनट का होगा।

ग्रहण का राशि अनुसार फल :
शुभ फल- कर्क, ‍‍‍धनु, सिंह व मीन राशि।
मध्यम फल- मेष, कन्या, वृश्चिक व मकर राशि।
अशुभ फल- वृषभ, मिथुन, तुला, कुंभ राशि।

विशेष : मृगशिरा नक्षत्र एवं वृषभ राशि वालों के लिए विशेष अशुभकारी रहेगा।

नोट : नियम व पालन उपरोक्त (प्रथम लेख) के अनुसार।

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