Hanuman Chalisa

लग्न से जानिए नए साल के राज

लग्नानुसार कैसा रहेगा आपका वर्ष

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
ND

मेष- मेष लग्न का स्वामी मंगल ऊर्जा, साहस, महत्वाकाँक्षा का करक है। मेष लग्न अग्नि तत्व प्रधान होकर चर लग्न है। ऐसे जातक गुस्सैल स्वभाव के होते हैं। एक जगह बैठने वाले नहीं होते हैं। मंगल यदि दूषित न हो व मित्र, स्वराशि मेष या वृश्चिक राशि का हो तो यह उस जातक को ऊचाईयाँ प्रदान करने वाला होता है। वर्षारंभ में मंगल धनु राशि में लग्न से नवम भाव में सूर्य राहु के साथ होने से गुप्त नीति द्वारा आप अपने कार्य में प्रगति पाएँगे। मंगल 9 जनवरी से मकर में अस्त होकर 24 अप्रैल तक रहेगा।16 फरवरी से कुंभ में 25 मार्च तक, फिर मीन में समसप्तक योग 3 मई तक, फिर 26 जुलाई से 9 सितंबर तक शनि मंगल का दृष्टि संबध रहेगा। अस्त मंगल व दृष्टि संबध रहने तक काफी सावधानी रखने की जरूरत होगी। स्वास्थ्य, व्यापार, नौकरी, राजनीति के क्षेत्र में, ध्यान रखना होगा। पारिवारिक मामलों में भी संभल कर चलना होगा। आर्थिक मामलों में जोखिम से बचें। शत्रु पक्ष पर सर्तकता रखनी होगी। मंगल 10 सितंबर से कर्क में नीच का होकर 18 नवंबर तक रहेगा। इस समय परिवारिक कष्ट, मकान-भूमि की चिन्ता, माता के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी। शेष समय उत्तम रहेगा।

वृषभ- वृषभ लग्न वाले जातक पृथ्वी तत्व प्रधान होते है। यह स्थिर लग्न है अतः ऐसे जातक स्थिर स्वभाव के एक जगह स्थिर होकर कार्य करन वाले होते है। इस लग्न का स्वामी शुक्र है व रंग चमकीला सफेद है, इसकी दशा 20 वर्ष की होती है। वर्ष लग्न में शुक्र का भ्रमण तुला राशि से हो रहा है और तुला राशि इस लग्न वालों को षष्ट भाव में है। अतः यह वर्ष का अधिकांश भाग परिश्रम द्वारा सफलता का रहेगा। मामा, नाना पक्ष से लाभ की उम्मीद कर सकते है। कोर्ट में धन संबंधित मामलों में सफलता के योग है। स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी रखना होगी। शुक्र की स्थिति जब गोचर में लग्न से मकर-कुंभ से या अपनी उच्च राशि मीन से भ्रमण करेगा। तब-तब आर्थिक लाभ के योग बनेंगे। घर परिवार में शुभ कार्य हो सकते है। इस प्रकार की स्थिति 26 फरवरी से 22 मार्च तक मकर में, 23 से कुंभ में 16 तक, फिर 17 मार्च से 11 मई तक मीन में रहेगी। 5 जून से 29 मई तक वृषभ में रहेगी इस स्थिति में धन लाभ, व्यापार में आर्थिक उन्नति रहेगी। 4 अक्टूबर से तुला में रहकर 28 अक्टूबर तक रहेगा। इसी प्रकार 16 दिसंबर से वर्ष अन्त तक मकर में रहेगा। इस समय आप आर्थिक लाभ पाएँगे। नीच राशि कन्या में 11 सितंबर से 4 अक्टूबर तक रहेगा। यह समय आर्थिक सावधानी बरतने का रहेगा। इस अवधि में शेयर मार्केट में धन लगाने से बचना होगा।

मिथुन- मिथुन लग्न का स्वामी बुध है। यह वायु तत्व प्रधान लग्न होने से यह कल्पनाओं की उड़ान भरते रहते हैं। द्विस्वभाव राशि होने से एकमत नहीं रहते। मिथुन लग्न वालों के लिए वर्षारंभ में बुध षष्ट भाव से वृश्चिक में होकर चन्द्र के साथ गोचर भ्रमण करने से परिश्रम द्वारा कार्य में सफलता मिलेगी। परिवारिक मामलों में सावधानी रखने का रहेगा। मकान-भूमि संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। जीवनसाथी के मामलों सावधानी रखना होगी। स्वास्थ्य के मामलों मे विशेष सतर्कता बरते। पिता, व्यापार, नौकरी राज्यपक्ष में सफलता मिलेगी। संतान के इच्छुक को भी संतान लाभ मिलेगा। मनोरंजन प्रेम संबंधी मामलों में भी सफलता के योग है। धन की बचत के आसार जरा कम ही रहेंगे। कुटुंब के मामलों में ध्यान देकर चलना होगा। खर्च अधिक रहेगा। दाम्पत्य जीवन के मामलों में खटपट रहेगी अतः संभल कर चलें। बुध की स्थिति जब-जब गोचर में मिथुन, कन्या, सिंह कुंभ पर आएगी तब तब आर्थिक लाभ, पारिवारिक सहयोग जमीन-जायदाद के मामलों में लाभ रहेगा। मीन राशि के बुध में सावधानी रखना होगी यह स्थिति 7 मार्च से 8 मई तक रहेगी। इस अवधि में पन्ना पहनें। शेष समय ठीक रहेगा।

ND
कर्क- कर्क लग्न का स्वामी चन्द्र है। जल तत्व प्रधान होने से ऐसे जातक गोल चेहरे वाले, भरे गाल वाले, गौरवर्ण होते है। कर्क लग्न वालों के लिए वर्षारंभ में चन्द्र नीच का होकर पंचम भाव से बुध के साथ गोचर भ्रमण कर रहा है। आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखकर चले। संतान पक्ष के मामलों में चिन्ता रहेगी। विद्यार्थी वर्ग के लिए पढ़ाई पर ध्यान देने का समय रहेगा। आर्थिक मामलों में विशेष सफलता भी मिलेगी। भाग्योन्नति के भी योग हैं। धर्म-कर्म के मामलों में सहयोग देना होगा। स्वयं के प्रभाव में वृद्धि होगी। पराक्रम के द्धारा सभी कार्य सफल भी होंगे। इस वर्ष वाहनादि के योग भी बन रहे है। संपत्ति के मामलों में चला आ रहा विवाद भी दूर होगा। मातृ पक्ष से लाभ की उम्मीद कर सकते हैं। शत्रुओं से प्रभावपूर्ण सफलता भी मिलेगी। आँखों के मामलों में लापरवाही से बचना होगा। चन्द्र जब-जब गोचर में कर्क, मीन व वृषभ राशि में आएगा तब-तब लाभ, धर्म व प्रभाव में वृद्धि का कारण बनेगा। नीच के चन्द्रमा में शुभ कार्य ना करें।

सिंह- सिंह लग्न अग्नि तत्व प्रधान लग्न है। स्थिर लग्न होने से ऐसे जातक दृढ़ निश्चय वाले होते है। इनमें साहस, प्रतिभा, महत्वाकाँक्षा अधिक होती है। यह उत्तम कद-काठी के होते है। वर्षारंभ में सूर्य धनु राशि में होकर नीच के राहु व मित्र राशि के मंगल के साथ होने से कामकाज के मामलों मे थोड़ी अड़चनों के बाद सफलता देंगे। इसका गोचरीय भ्रमण पंचम भाव से होने के कारण विद्यार्थी वर्ग के लिए सावधानी रखने का रहेगा। संतान के मामलों में भी सतर्कता रखें। मंगल भाग्य में सूर्य के साथ होने से प्रभाव में वृद्धि भी होगी। लेकिन गुप्त शत्रुओं से भी बचकर चलना होगा। पारिवारिक, संपत्ति, जनता से संबंधित मामलों में संभलकर चलना होगा। बाहरी व्यक्तियों का सहयोग मिलने से कार्य में सफलता भी पाएँगे। यात्रा हो सकती है। जिन्हें विदेश योग का अब तक लाभ नहीं मिल सका उनको मई तक सफलता मिलेगी। आर्थिक मामलों में भी सफल रहेंगे। जनता से संबंधित मामलों में लाभजनक स्थिति रहेगी। सूर्य जब-जब सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मेष, मिथुन में गोचरीय भ्रमण करेगा तब-तब आर्थिक उन्नति, प्रभाव में वृद्धि, सहयोग, मकान-भूमि आदि से लाभ रहेगा। तुला में नीच के सूर्य में सावधानी रखना होगी। यह स्थिति 18 अक्टूबर से 16 नवंबर तक रहेगी। उत्तम प्रभाव के लिए सवा पाँच रत्ती का माणिक पहनें।

कन्या- कन्या लग्न का स्वामी बुध है। यह पृथ्वी तत्व प्रधान लग्न है। ऐसे जातक जमीन से जुडकर कार्य करने वाले होते है। वैसे ये शर्मीले स्वाभाव के होते हैं। इन्हें खुशामद पसंद होती है। बुध का रंग हरा है व हरा रंग आँखों को प्रिय लगता है। प्राकृतिक रंग से संबंध रखने के कारण ये ठंडे दिमाग से काम लेने वाले समझदार होते है। वर्षारंभ में बुध की स्थिति तृतीय भाव से नीच के चन्द्र के साथ हो रही है। इस कारण पराक्रम अधिक करने पर ही सफलता के योग है। भाग्य में उन्नति होगी। आर्थिक मामलों में यह वर्ष अति शुभ फलदायी रहेगा। भाग्य से कई महत्वपूर्ण कार्य सपंन्न होंगे। धन की बचत के साथ कुटुंब का भी सहयोग रहेगा। पारिवारिक मामलों में थोड़ी सावधानी के बाद सफलता भी मिलेगी। मकान, जमीन-जायदाद के मामलों में कार्य बनेंगे। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। माता के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी। शत्रु पक्ष से बचकर ही चले। संतान का सहयोग मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग अपनी मेहनत का फल पाएँगे। अविवाहितों के लिए समय उत्तम है। मई तक विवाह होने के आसार हैं। जीवनसाथी से धन लाभ भी रहेगा। बुध जब-जब कन्या, मकर, मिथुन, सिंह में आएगा तब-तब धन लाभ, बाहरी संबंध से लाभ संतान से लाभ रहेगा। मीन के बुध में सावधानी रखना होगी जो 7 से 28 मार्च तक रहेगा। आपको सवा पाँच रत्ती का पन्ना पहनना शुभ रहेगा।

ND
तुला- तुला लग्न वायु तत्व प्रधान लग्न है। इसका स्वामी शुक्र है। इस लग्न में जन्मे जातक इकहरे शरीरवाले, सुन्दर, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते है। इनकी आँखे मनमोहक होती है। नाक-नक्ष तीखे होते है। ये नपी-तुली भाषा का प्रयोग करते हैं। वर्षारंभ में शुक्र स्वराशि का लग्न में होने से कार्य में प्रगति आएगी। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। सौन्दर्य के प्रति रूझान बढ़ेगा। भोग-विलास में खर्च भी होगा। भाग्य व बाहरी मामलों से धन कुटुंब का लाभ रहेगा। भाइयों से खटपट रह सकती है। साझेदारी के मामलों में सावधानी रखना होगी। आर्थिक मामलों में गुप्त नीति द्वारा सफलता मिलेगी। राज्यपक्ष, नौकरी, व्यापार, राजनीति के मामलों में सावधानी रखना होगी। दाम्पत्य जीवन के मामलों में ध्यान रखकर चलना होगा। वाद-विवाद की स्थिति टालें। संचार माध्यम के कार्य में सावधानी बरतें। शत्रु पक्ष पर अपनी नीति द्वारा सफलता पाएँगे। कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलेगी। नाना-मामा का सहयोग मिलेगा। शत्रुपक्ष प्रभावहीन होंगे। शुक्र जब-जब तुला, मकर, कुंभ, मीन में आएगा तब-तब परिवारिक सुख मिलेगा। संतान लाभ, विद्या लाभ, मनोरंजन में खर्च होगा। नीच के शुक्र में यात्रा में व बाहरी मामलों में सावधानी बरतना होगी। सवा पाँच रत्ती का ओपेल,जरकन या 30 सेंट का हीरा पहनें।

वृश्चिक- वृश्चिक लग्न स्थिर लग्न है। यह जल तत्व प्रधान लग्न है। इसका स्वामी मंगल इस राशि में सौम्य होता है। इस लग्न में जन्मे अधिकांश जातक उत्तम कद-काठी के होते है। यह हष्ट-पुष्ट शरीरवाले भी होते है। इन्हें गुस्सा कम ही आता है। चन्द्र इस राशि में नीच का होता है। वर्षारंभ में मंगल द्वितीय भाव में अपने मित्र गुरु की राशि धनु में सूर्य व राहु के साथ है। सूर्य दशमेश व मंगल लग्न व षष्ट भाव का भी स्वामी होने से कार्य थोड़ी बाधा के साथ पूरे होंगे। धन की बचत के योग भी कम रहेंगे। अतः सावधानीपूर्वक चलना होगा। धनेश व पंचमेश गुरु पंचम भाव में होने से योग्यता का भरपूर लाभ पाएँगे। संतान का भी सहयोग मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग भी अपने पराक्रम से अनुकूल स्थिति पाएँगे। महत्वपूर्ण परीक्षाओं में भी सफल होंगे। धन व सुख के मामलों में स्वप्रयत्नों से अच्छी सफलता मिल सकती है। स्वास्थ्य के संबध में सावधानी रखना होगी। बाहरी मामलों में अच्छा लाभ रहेगा। महत्वपूर्ण यात्रा भी होगी। वाहनादि सावधानी से चलाएँ। चोट लगने का खतरा रहेगा। मंगल जब-जब वृश्चिक, धनु, मीन, सिंह में आएगा तब-तब स्वास्थ्य, धन, संतान, विद्यार्थी वर्ग में लाभदायक रहेगा। मंगल कर्क में नीच का होगा तब सावधानी रखना होगा। यह स्थिति 10 सितंबर से 30 अक्टूबर तक नीच की रहेगी। लाल वस्तुओं का दान, ताँबे का सिक्का पानी में मंगलवार के दिन बहाना उत्तम रहेगा।

धनु- धनु लग्न का स्वामी गुरु है। यह अग्नि तत्व प्रधान लग्न है। इस लग्न में जन्मे जातक मध्यम कद-काठी के होते है। यह द्विस्वभाव लग्न होने से ऐसे जातक एक स्थान पर नहीं रहते। ये अत्यन्त महत्वाकाँक्षी होते हैं। वैसे स्वभाव से सरल भी देखे गए हैं। इनमें नेतृत्व क्षमता अधिक होती है। वर्षारंभ में गुरु का गोचरीय भ्रमण चतुर्थ भाव से हो रहा है। इसके कारण माता से लाभ रहेगा। जनता के बीच प्रसिद्धि रहेगी। राजनीतिज्ञ लाभ रहेगा। बाहरी संबधों में भी सुधार रहेगा। संगठनादि के मामलों में सफलता मिलेगी। लग्न से मंगल व राहु के साथ सूर्य का गोचरीय भ्रमण भी कुछ चिन्ताकारक भी रहेगा। प्रभाव में भी वृद्धि होगी। भाग्य भी कुछ कठिनाइयों के बाद साथ देगा। पारिवारिक दृष्टि से समय उत्तम रहेगा। घर या परिवार में मांगलिक कार्य भी होंगे। गुरु जब पंचम भाव से गोचर भ्रमण करेगा जो 9 मई से पूरे वर्ष भर रहेगा। इस समय भी आपको उत्तम लाभ मिलेगा। निसंतान को संतान प्राप्ति होगी। मनोरंजन के साधन भी मिलेंगे। विद्यार्थी वर्ग भी अनुकूल स्थिति पाएँगे। शुक्र भी तुला से भ्रमण करने के कारण आर्थिक लाभ रहेगा। गुरु रत्न पुखराज गुरुवार को धारण करने से आपमें ऊर्जा बढ़ेगी, इच्छाएँ पूरी होंगी।

मकर- मकर लग्न का स्वामी शनि है। यह पृथ्वी तत्व प्रधान राशि है। चर लग्न होने से ऐसे जातक का स्वभाव चंचल होता है। ये मध्यम कद काठी के होते हैं। स्त्री जातक सुन्दर होती है। वर्षारंभ में शनि की स्थिति नवम भाव से गोचरीय भ्रमण करने से भाग्यबल द्वारा उत्तम सफलता पाने में समर्थ होंगे। भाग्योन्नति में भी वृद्धि होगी। महत्वपूर्ण कार्य भी बनेंगे। आर्थिक मामलों में सावधानी रखना होगी। जोखिम के मामलों में धन लगाने से बचना होगा। राज्यपक्ष से, व्यापार से, नौकरी से, पिता से सहयोग के साथ लाभदायक स्थिति रहेगी। जमीन-जायदाद से संबंधित मामलों में थोड़ी सावधानी रखकर चलना होगी। बाहरी व्यक्तियों से संभल कर चर्चा करें। यात्रादि मामलों में ध्यान रखकर चलना होगा। पशु से बचकर चले, चोट लगने का खतरा है। पराक्रम से लाभ, भाइयों का सहयोग, साझेदारी के कार्य में सफलता भी मिलेगी। बीच-बीच में आर्थिक लाभ भी मिलता रहेगा। दाम्पत्य जीवन में सावधानी रखकर चलें। जीवनसाथी की तबीयत गड़बड़ा सकती है। शत्रु पक्ष पर ध्यान रखकर चलना होगा। शनि जब उच्च का होगा तब नया कार्य, राजनीति, व्यापार में सफलता के योग बढ़ जाएँगे। पिता का भी सहयोग उत्तम रहेगा। शनि की उच्च स्थिति 16 नवंबर से होगी।

कुंभ- कुंभ लग्न का स्वामी शनि है। यह स्थिर लग्न है। स्थिर स्वभाव वाली राशि होने से ऐसे जातक का दिमाग भी एकमत रहता है। यह इकहरे शरीर वाले उत्तम कदकाठी के भी होते है। वर्षारंभ में शनि अष्टम भाव में होने से आपके कार्य मे देरी से सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य की भी चिन्ता रहेगी। बाहरी मामलों में संभलकर चलना होगा। यात्रादि में भी सतर्कता बरते। धन कुटुंब का सहयोग मिलने से कुछ राहत भी रहेगी। वाणी में मधुरता व धन का सहयोग भी मिलेगा। शत्रु पक्ष पर शांति नीति द्वारा सफलता मिलेगी। मामा, नाना का भी सहयोग मिल सकता है। व्यापार के मामलों में जरा सावधानी रखना होगी। नौकरीपेशा व्यक्ति भी ध्यान रखकर चलें। विद्यार्थी वर्गा के लिए समय ठीक-ठीक रहेगा। आय के साधनों में थोड़ी कमी महसूस करेंगे। पराक्रम द्वारा कुछ समस्याओं का भी समाधान होगा। जोखिम के मामलों में धन लगाने से बचना होगा। भाग्य से धन व परिवार का सुख भी मिलेगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो पूरे वर्ष भर मिला-जुला समय रहेगा। यदि आपको नीलम फायदा करता है तो अवश्य पहनें। फिरोजा भी पहन सकते है। तुला का शनि जब आएगा तब आपको उत्तम सफलता देगा।

मीन- मीन लग्न का स्वामी गुरु है। यह जल तत्व प्रधान लग्न है। द्विस्वभाव होने से ऐसे जातक भावुक व अस्थिर दिमाग के होते है। उत्तम कद काठी के सरल स्वभाव, भावुक प्रवृति, ईमानदार, महत्वाकाँक्षी, सुगठित शरीरवाले होते है। लग्न से गोचर गुरु का भ्रमण लाभकारी रहेगा। कई महत्वपूर्ण कार्य स्वप्रयत्नों से सफल होंगे। संतान पक्ष से लाभ रहेगा। निसंतान संतान का लाभ पाएँगे। विद्यार्थी वर्ग के लिए समय ठीक रहेगा। विशेष परीक्षाओं में भी सफल रहेंगे। भाग्य में वृद्धि होगी। धर्म-कर्म में भी मन लगेगा। दाम्पत्य जीवन के मामलों में सुखद स्थिति रहेगी। पिता के मामलों में ध्यान रखना होगा। नौकरीपेशा व्यक्ति भी थोड़े परिश्रम से सफलता पाएँगे। शत्रु पक्ष पर ध्यान रखना होगा। परिवारिक मामलों में सहयोग भी मिलेगा। जमीन-जायदाद के मामलों में सफल रहेंगे। गुरु का मेष राशि में भ्रमण लाभदायक रहेगा। आप अपनी वाणी द्वारा व धन कुटुंब का सहयोग भी पाएँगे। मोती के साथ पुखराज पहनना लाभदायक रहेगा।

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Kartik maas 2025: कार्तिक मास के व्रत एवं त्योहारों की लिस्ट

Bhai dooj 2025: भाई दूज का पर्व कैसे मनाते हैं जानिए संपूर्ण विधि

Bhai dooj 2025: आरती की थाली मैं सजाऊं, कुमकुम और अक्षत से तिलक लगाऊं... इन संदेशों को भेजकर मनाइए भाईदूज का पर्व

Diwali 2025: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, अन्नकूट, गोवर्धन और भाई दूज की पूजा के शुभ मुहूर्त

Diwali Weekly Horoscope: दिवाली का साप्ताहिक राशिफल, जानें यह सप्ताह किन राशियों को देगा अपार धन और सफलता का वरदान

सभी देखें

नवीनतम

Chhath puja 2025: छठ पूजा की 15 हार्दिक शुभकामनाएं और संदेश

Sun Transit in Libra 2025: सूर्य का तुला राशि में गोचर, 8 राशियों के लिए अशुभ, करें उपाय

Numerology: अंक शास्त्र, संख्याओं के रहस्य में छिपा जीवन का विज्ञान

Bhai dooj 2025: वर्ष 2025 में कब है भाई दूज? तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त क्या है?

Chhath puja 2025 date: वर्ष 2025 में कब है छठ पूजा, जानिए संपूर्ण दिनों की जानकारी