ओलंपिक में भारत की इकलौती वेटलिफ्टर चानू, राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा और सहायक कोच संदीप कुमार के साथ अमेरिका के सेंट लुइस में 50 दिवसीय अभ्यास के बाद मीराबाई चानू टोक्यो पहुंची थी। नौकायन टीम के बाद भारत की ओर से वह ही पिछले शनिवार को टोक्यो पहुंची थी और एक हफ्ते बाद उन्होंने भारोत्तलन में पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
चानू के साथ उनके एक अन्य कोच प्रमोद शर्मा और फिजियोथेरेपिस्ट आलाप जावड़ेकर भी टोक्यो खेलों के लिए पहुंचे थे। भारत की 26 साल की इस भारोत्तोलक ने अपने दूसरा ओलंपिक में 49 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश की थी। विश्व चैंपियनशिप (2017) और 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वालीं चानू ने रियो (2016) खेलों में अपने 5 प्रयासों में विफल रही थी लेकिन आज उन्होंने सब पीछे छोड़ दिया। वैसे चानू के जीवन की कहानी भी दिलचस्प है।
गरीब परिवार की लड़की ने भाइयों की वजह से चुना साफ सुथरा खेल
साफ-सुथरी और स्टाइलिश दिखने की शौकीन मीराबाई चानू तीरंदाज बनना चाहती थी लेकिन अपने कोच से मिलने के बाद विश्व चैंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता इस भारोत्तोलक के करियर की राह बदल गई।
मीराबाई उन खिलाड़ियों में से है जिन्हें मुकद्दर ने मौका दिया और हुनर का सही पारखी भी उन्हें मिला। मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 20 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली मीराबाई ने शुरू में ही तय कर लिया था कि वह खिलाड़ी बनेगी। कोच की तलाश में वह 2008 में इम्फाल के खुमान लाम्पाक पहुंची और उसके बाद मुड़कर नहीं देखा।
उन्होंने कहा कि मेरे सारे भाई और कजिन फुटबॉल खेलते हैं लेकिन दिनभर खेलने के बाद मैले-कुचैले होकर घर आते थे। मैं ऐसे खेल को चुनना चाहती थी जिसमें कि मैं साफ-सुथरी रहूं। पहले मैं तीरंदाज बनना चाहती थी, जो साफ-सुथरे और स्टाइलिश रहते हैं।
मीराबाई ने कहा कि वे खड़े-खड़े निशाना साधते हैं। एक दिन मैं और मेरा कजिन खुमान लाम्पाक के साइ सेंटर गए लेकिन मैं किसी तीरंदाज से नहीं मिल सकी।
उन्होंने कहा कि उस समय मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुंजरानी देवी की उपलब्धियों की झलक देखी और भारोत्तोलन अपनाने के बारे में सोचा। कुछ दिन बाद मैं और मेरा कजिन भारोत्तोलन प्रशिक्षण केंद्र गए और मेरी मुलाकात अनिता चानू से हुई जिन्होंने मुझे इस खेल में पदार्पण के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि मैं रोज सुबह 6 बजे सेंटर पहुंचती थी और 22 किमी का सफर तय करने के लिए 2 बस बदलनी पड़ती थी। शुरुआत में कठिन था लेकिन बाद में कोई परेशानी नहीं हुई।
राष्ट्रमंडल खेलों में रिकॉर्ड बनाने के बाद मीराबाई की नजरें ओलंपिक में मेडल जीतने पर थी और टोक्यो ओलंपिक को पहले ही दिन हाथा आया मौका उन्होंने नहीं गवांया।
पसंद है सलमान खान
खेल रत्न अवॉर्डी मीराबाई चानू को सलमान खान की फिल्में बेहद पसंद हैं। वह साथ ही रियलिटी शो, नेहा कक्कड़ के गानों और लाइव-शो की भी दीवानी हैं। पारंपरिक मछली की चटनी उनकी सबसे पहली पसंद है जिसे वह अपने प्रशिक्षण शिविर में भी ले जाती है।