Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर लगाएं इन चीजों का भोग, अभी नोट करें

WD Feature Desk
गुरुवार, 21 नवंबर 2024 (15:58 IST)
Bhairav Ashtami Prasad : कालभैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव के गुलगुले (मीठे पुए) जलेबी, हलवा, खीर, आदि पकवानों का भोग लगाया जाता है। यदि आप भी कालभैरव अष्टमी के दिन इनकी कृपा प्राप्त करना चा‍हते हैं तो इस सात्विक भोग को अवश्‍य अवश्य शामिल करें। आइए जानते हैं यहां काल भैरव जयंती के प्रसाद के बारे में...
 
Highlights 
  • कालाष्टमी पर काल भैरव के भोग में शामिल करें ये व्यंजन।
  • काल भैरव के सात्विक भोग।
  • कालाष्टमी के दिन चढ़ाएं ये नैवेद्य।
इमरती 
 
घर पर इमरती बनाने हेतु 250 ग्राम उड़द की दाल (छिलके रहित) 50 ग्राम अरारोट, 500 ग्राम शकर, 1 चुटकी केशरिया पीला रंग खाने का, तलने के लिए सरसों का तेल अथवा घी, जलेबी बनाने वाला गोल छेद का रुमाल के बराबर मोटा कपड़ा ले लें। अब उड़द की दाल को धोकर, 4-5 घंटे पानी में गलाइए। फिर पानी निथार कर मिक्सर में चिकना पीसिए। पिसी हुई दाल में पीला रंग और अरारोट मिलाकर खूब अच्छी तरह फेंटिए। 
 
परात में हथेली की सहायता से फेंटने में आसानी रहेगी। अब शकर की डेढ़ तार की चाशनी बनाइए। एक समतल कढ़ाई लेकर उसमें घी अथवा सरसों का तेल गर्म करें। फिर जलेबी बनाने वाले कपड़े में फेंटी हुई दाल का थोड़ा घोल भरें। मुट्ठी से कपड़ा बंद कर तेज आंच पर गोल-गोल कंगूरेदार इमरती बनाकर कुरकुरी होने तक तलिए। झारे से निथारकर इन्हें चाशनी में डुबोकर निकाल लें। लीजिए तैयार इमरती से भैरव जी भोग लगाकर गरीबों में बांट दें। 
 
उड़द की कचौरी 
 
यह कचौरी बनाने के लिए 150 ग्राम उड़द की दाल, 150 ग्राम मैदा, 1 कप दही, 1 चम्मच सफेद जीरा, 1 चम्मच लालमिर्च, 2 चम्मच नमक, कटा हुआ हरा धनिया, हरी मिर्च एवं अदरक, 2 चम्मच सूजी, 1 चम्मच गरम मसाला, थोड़ा-सा साबुत धनिया, चुटकी भर सोड़ा और तलने के लिए सरसों का तेल। 
 
अब सबसे पहले दाल को तीन-चार घंटे पहले से भिगोकर रखें। भीगी हुई दाल को मोटा-मोटा पीस लें। थोड़ा-सा तेल गरम करके अदरक एवं जीरा भूनें फिर पिसी दाल डाल दें। मसाले डालकर सुनहरा होने तक चलाते हुए भूनें। उतारकर कटा धनिया और कटी मिर्च मिला दें। 
 
अब मैदे, सूजी, सोडा और नमक को छान लें। थोड़ा-सा तेल और दही डालकर आटा गूंथ लें। मुलायम होने पर ढंक दें। मसाला ठंडा होने पर छोटे-छोटे लड्डू बना लें। गूंथे हुए मैदे के छोटे-छोटे पेड़े बनाकर बेलें। इनमें एक-एक लड्डू रखकर मुंह अच्छी तरह बंद करें। हथेली पर रखकर हल्का-सा शेप कचोरी का दें। अब गरम तेल में कम आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक तल लें। अब इन कचौरियों से भगवान को भोग लगाकर गरीबों को खिला दें।
 
दही बड़े 
 
इसके लिए 2 कटोरी उड़द दाल का गाढ़ा पेस्ट, 1 कप ताजा दही (फेंटा हुआ), 1 चम्मच भुना पीसा जीरा, लाल मिर्च पाउडर व नमक स्वादानुसार, बारीक कटा हरा धनिया और सरसों का तेल।   
 
सबसे पहले उड़द दाल के पेस्ट में नमक, मिर्च और हरा धनिया मिलाकर अलग रख दें। अब कढ़ाई में तेल गरम करें। 1 कटोरी पर कपड़ा रखकर उस पर उड़द दाल का पेस्ट रखें कर हाथ से दबाएं और धीरे से कढ़ाई में छोड़ दें। फिर सुनहरा होने तक तलें। तत्पश्चात 10-15 मिनट गर्म पानी में भिगोकर रखें। फिर पानी से निकालकर हल्के हाथ से दबाएं और 1 प्लेट में रखें। 
 
ऊपर से दही, इमली की चटनी, चुटकी भर लाल मिर्च पाउडर, नमक, जीरा पाउडर तथा हरा धनिया डालें और उड़द दाल के दही बड़े से भैरव जी भोग लगाएं और उन दहीबड़े गरीबों में वितरित कर दें।

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