चित्रा जी: साहित्यकारों की नजर में

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15 वर्ष पहले अहमदाबाद गया था। वहाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदत्त साहित्यकार उमाशंकर जोशी से मिलने उनके घर गया। उनसे मैंने पहली बार चित्राजी की चर्चा सुनी। उन्होंने बताया कि चित्राजी ने रामायण और महाभारत के पात्रों के ऊपर अत्यंत सुन्दर उपन्यास लिखे हैं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि जबलपुर में रहकर ही मुझे उनके बारे में ज्ञात नहीं है।

जबलपुर लौटकर मैं उनसे मिला तो लगा वे सचमुच एक साध्वी हैं। साहित्य उनके जीवन में समाया हुआ था। हिंदी साहित्य की उपेक्षिता रहीं वे। उन्होंने एक से एक उपन्यास लिखे पर साहित्य ने उन्हें वो मान नहीं दिया जिसकी वो अधिकारी थीं। हाँ, नईदुनिया यह संतोष कर सकती है कि उसने उन्हें यथोचित सम्मान दिया।
- अमृतलाल वेगड़

लेखनी को समर्पित महिला थीं चित्रा चतुर्वेदी जी। उन्हें लाइम लाइट में रहना कभी रास ही नहीं आया। अपने काम का कभी दिखावा न करने वालीं चित्राजी के हिंदी साहित्य की चर्चा देश ही नहीं विदेशों में भी रही है।
ज्ञानरंजनजी, वरिष्ठ साहित्यकार

चित्राजी संस्कारधानी का गौरव थीं। परिचर्चाओं में हिस्सा लेना उन्हें पसंद था। उनके बेहतरीन साहित्य ने कई किताबों की शोभा ब़ढ़ाई है। मेरी ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
मणि मुकुल जी, वरिष्ठ साहित्यकार

उनका जाना साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। 'नईदुनिया' परिवार ने जबलपुर साहित्य रत्न से नवाजकर उन्हें अंतिम समय में जो सम्मान दिया है, उसके लिए पूरा साहित्य जगत नईदुनिया अखबार का कृतज्ञ है।
राजेन्द्र दानी, साहित्यकार

चित्राजी बहुत ही संभ्रांत और सुलझे हुए विचारों की महिला थीं। उन्होंने हमेशा नवोदित महिला लेखिकाओं को प्रोत्साहित किया। उनके लेख और हिंदी साहित्य हम लोगों के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगे।
श्रीमती संध्या जैन, साहित्यकार

चित्रा चतुर्वेदी जी देश की जानी-मानी हस्ती थीं। 'सादा जीवन उच्च विचार' वाली युक्ति उन पर एकदम सटीक बैठती है, क्योंकि उन्होंने वाकई सात्विक जीवन व्यतीत किया है। ईश्वर उनके परिवार को इस दुःख से उबरने की शक्ति दे।
विष्णु पाण्डे, वरिष्ठ साहित्यकार

चित्राजी ने जबलपुर में रहकर साहित्य सेवा की। वे हमेशा प्रचार-प्रसार से दूर रहकर साहित्य सेवा में लगी रहीं। महादेवी वर्मा के बाद देश की महिला साहित्यकारों में उनका नाम सम्मान से लिया जाएगा। उनके सान्निध्य में जबलपुर का साहित्य जगत समृद्ध हुआ। उनके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ है उसकी पूर्ति निकट भविष्य में संभव नहीं है।
डॉ. राजकुमार तिवारी सुमित्र

चित्राजी का जाना सुनकर बहुत बुरा लगा मुझे, दुर्भाग्य से मेरे पास उनसे जु़ड़ा कोई संस्मरण नहीं है। जबलपुर रत्न के दौरान मैं पहली बार उनसे मिला और उनसे एक रिश्ता महसूस कर रहा था।
अरुण पाण्डेय, नईदुनिया कला रत्न

चित्राजी से मैं एक ही बार मिली थी। मैं उनकी लगन और हिम्मत को सलाम करती हूँ, वे बीमार होने पर भी जबलपुर रत्न के कार्यक्रम में उपस्थित हुईं। उनके निधन से हमें गहरा सदमा लगा है।
पुष्पा बेरी, नईदुनिया समाजसेवा रत्न

वे एक अद्भुत साहित्यकार थीं। आज के लोग नाम के लिए मरते हैं वे इन प्रपंचों से दूर साहित्य सेवा में लगी रहती थीं। विदूषी होने का कोई अहंकार उन्हें छू भी नहीं गया था। मैं उनको हृदय से आदर देता हूँ।
ईश्वरी प्रसाद तिवारी, नईदुनिया शिक्षा रत्न

चित्राजी का आखिरी वक्तव्य बहुत अच्छा था। मैं पहली बार उनसे उसी समय मिली थी। उन्होंने पहली बार में ही हृदय को स्पर्श किया। उनका जाना सचमुच अखर गया।
मधु यादव, नईदुनिया खेल रत्न

चित्राजी की जगह कोई नहीं ले सकता। उनके जाने के बाद साहित्य जगत में एक स्थान रिक्त हो गया।
सतीश चन्द्र दत्त, नईदुनिया न्याय रत्न

मैं उनके बारे में पहले से नहीं जानता था। जबलपुर रत्न के मंच पर मैंने उन्हें देखा, उनका वक्तव्य सुना तो लगा वे सचमुच विदुषी हैं। उनका जाना जबलपुर के लिए बड़ी क्षति है।
डॉ. एमसी डाबर, नईदुनिया चिकित्सा रत्न

इस उम्र में भी वे इतनी सक्रिय थीं कि बीमार होने पर किसी का बुलावा नहीं ठुकराया। उनका जाना देश और प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है।
नरसिंह रंगा, नईदुनिया पर्यावरण रत्न

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