जगजीत जी, कैसे भूलेंगे वह शाम

-अलका व्यास

Webdunia
'' कभी सोचा ना था की वर्षो की तमन्ना,इस तरह साकार होगी, शब्द, अनुभूति और अभिव्यक्ति,उस महानतम सुअवसर के लिए कुछ भी स्पष्ट नहीं है, बस इतना ही कह सकूंगी कि आपसे प्रत्यक्षतः भेट करने की वर्षों से आकांक्षा रही,वह मेरी जिंदगी का अविस्मरणीय दिन है जिसे मैं सदैव संजो कर रखूंगी।''

ND


वो जगमोहन जिस ने जग को जीत लिया,जिसकी आवाज ने लाखों की रूहों को छुआ और करोड़ों के दर्द को मिटाया आज वही चेहरा, वही आवाज हमारे बीच से उठ कर ब्रह्म में लीन हो गई है।

शायद मौत भी अपने दर्द की दवा ढूंढ रही थी। हमारे 'जगजीत सिंह' अब हमारे दिलों को गुलजार नहीं कर सकेंगे। पर हमारा दिल ही कहां भूला है उस आवाज को। शहंशाह-ए-गजल जगजीत सिंह जी ने एक दफा हमारे शहर उज्जैन की सरजमीं पर अपने परवानों को दीवाना बनाया था।

कार्तिक का महीना, शब-ए-मालवा और वो रूहानी आवाज सोच कर ही दिल मचल उठता है। आज भी हम हर पल उस आवाज को महसूस कर सकते हैं।

अगर उस आवाज मेरा नाम भी ढाल दिया जाय तो मुझे अपने नाम से भी प्यार हो जाएगा। मैंने बड़ी मेहनत से महफ़िल ए जगजीत के 'पास' जुटाए थे। हम सभी उज्जैनवासी उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

इन्ही ख्यालों की कशमकश में उस दिन का इंतज़ार किया। आखिर वो सुबह आई मौसम ने भरी ठंडक में मेह बरसाने की ठानी थी। लगा आज इन्द्र देव खुद भी गजल के जादू में बंधने चले आए हैं।

हर पल बारिश बढ़ती ही जा रही थी हम (मैं,बहन दिव्या और भांजी स्मृति) इस बात से बड़े खुश थे की आज तो मौसम ने रंग जमा दिया पर गंतव्य पर पहुंचते ही सारा रंग छू-मंतर हो गया।

बारिश ने कार्यक्रम स्थल को बेजार कर दिया था। एक बड़ा भारी जनसैलाब इकठ्ठा हो गया था। सभी बड़े उदास थे। हमें बस एक झलक चाहिए थी हमें दीवाना कर देने वाले उस जादूगर की। अब तो हर पल और कठिन हुआ जा रहा था।

खुद जगजीतजी इस बात पर खफा थे और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हमने होटल के स्टाफ से एक ऑटोग्राफ दिलवाने की बात कही। वे किसी तरह तैयार हुए तभी हमें उनके लिए गर्म पानी लेकर जाते वेटर दिखाई पड़ा। हमने उसकी ट्रे में अपनी डायरी का पन्ना फाड़ कर और उस नोटबुक को जिसमें उनकी नज्मों को तरतीब से सजाया था, जगजीत साहब के पास भिजवा दिया।

जब जगजीतजी ने हमें बुलाया तो कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। हवा पर सवार होकर हम उनके कमरे की तरफ भागे थे।

किसी ने सच कहा है जब लगन दिल से हो तो सारी कायनात आपको अपनी चाहत के पास ले आती है। उनके सामने पहुंच कर हम काफी देर तक यही सोचते रहे, क्या हम सच मैं उनके सामने हैं? मैं नहीं भूल सकती वह पल जब उन्होंने मेरी नोटबुक को हाथ में लेकर बड़े ध्यान से देखा था। कुछ मामूली नुक्ते की गलतियां बड़े प्यार से सुधारी थी।

उनका सरल स्वभाव हमें पल-पल उनका दीवाना बनता चला गया। कब समय बीत गया पता ही नहीं चला।
आखिर बिदाई की घड़ी आ गई और हम अपने घर लौट चले।

कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा यह चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा
अब शहर में किससे मिले, हमसे तो छूटी महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले, हर शख्स दीवाना तेरा
हम हंस दिए, हम चुप रहे, मंजूर था पर्दा तेरा
बेदर्दी सुनती है तो चल, कहता है क्या अच्छी गजल
आशिक तेरा,रुसवा तेरा,शायर तेरा, इंशा तेरा...

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

Health Alert : कहीं सेहत के लिए हानिकारक तो नहीं है सहजन की फली?

सॉफ्ट आटा गूंथने के 4 सही तरीके, रोटियां बनेंगी फूली हुई और मुलायम

आपके घर के किचन में छुपा है आयल फ्री त्वचा का राज, जानिए ये होममेड क्लींजर बनाने का तरीका

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सभी देखें

नवीनतम

इस विंटर सीजन अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए ये 10 ब्यूटी टिप्स जरूर करें फॉलो

एक हफ्ते में कम करना चाहते हैं वजन तो ये डिटॉक्स डाइट अपनाएं, तुरंत दिखेगा असर

बदलते मौसम में एलर्जी की समस्या से हैं परेशान? राहत के लिए अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय

ठंड के सीजन में फटने लगी है त्वचा? तो अपनाएं सबसे असरदार और नैचुरल उपाय

भारतीय लोगों पेट के आस-पास चर्बी क्यों जमा हो जाती है? जानें कारण और समाधान