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पश्चिम बंगाल के शहर मुर्शिदाबाद का इतिहास क्या है?

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WD Feature Desk

, सोमवार, 14 अप्रैल 2025 (14:36 IST)
भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक शहर है मुर्शिदाबाद। यहां पर बौद्ध, हिंदू, जैन, मुस्लिम और ईसाई धर्म का अनूठा संगम है परंतु आजादी के बाद यहां पर बांग्लादेश के दखल के चलते कट्टरपंथियों की संख्या बल ज्यादा हो चली है। जिले के अधिकांश लोग मुस्लिम हैं और हिंदुओं की आबादी घटकर 33 प्रतिशत रह गई है। यहां पर भागीरथी नदी बहती है जो मुर्शिदाबाद को दो भागों बांटती है। 

मुर्शिदाबाद जिले में कर्णसुबर्णा ऐसी जगह है जिसे प्राचीन राजा शशांक की राजधानी माना जाता है। यह क्षेत्र बंगाल के शक्तिाशली राजा शशांक के अधिन था। शशांक प्राचीन बंगाल का पहला राजा था। माना जाता है कि उसने 600 से 625 ई. तक गौड़ साम्राज्य पर शासन किया था। कामरूप के हर्षवर्धन और भास्करवर्मन उसके समकालीन थे। 
 
कहते हैं कि मुर्शिदाबाद नाम 'मुक्सुदाबाद' नामक स्थान से आया है, जो मुर्शिद कुली खान के शासन के दौरान बंगाल की राजधानी थी। अंग्रेजों के आगमन से पहले, मुर्शिदाबाद शहर बंगाल की राजधानी था।  1704 में नवाब मुर्शिद कुली खां (औरंगजेब के आदेश का पालन करते हुए) अपनी राजधानी ढाका से इस नगर में ले आए और इस नगर का नामकरण मुर्शिदाबाद किया। ब्रिटिश शासन के तहत यह नगर 1790 तक राजधानी बना रहा। भारतीय इतिहास में इसका बहुत महत्व है क्योंकि 1757 में प्लासी की लड़ाई में अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को हराया था, जिसके बाद पूरा देश ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन आ गया था। अंग्रेजों द्वारा बंगाल पर विजय प्राप्त करने के बाद भी, मुर्शिदाबाद कुछ समय तक प्रशासन की सीट बना रहा। 
 
कहते हैं कि इस क्षेत्र को सबसे पहले मुगल बादशाह अकबर ने 16वीं शताब्दी में विकसित किया था। यहां पर हिंदू, जैन, बौद्ध और ईसाइयों के अब उतने स्थल नहीं बचे। उन्हें हमलों के दौरान तोड़ दिया गया या बहुत से अब खंडहर में बदल गए। यहां पर हजारद्वारी पैलेस, निजामत इमामबाड़ा, किरितेश्वरी मंदिर, वसीफ मंजिल, नशीपुर राजबाड़ी, कटरा मस्जिद, जहांकोसन तोप, मुरादबाग महल और खुशबाग कब्रिस्तान आदि ही अब देखे जाते हैं। यहां पर अंतिम नवाब अलीवर्दी खां और अंग्रेजों द्वारा प्लासी की लड़ाई में पराजित उनके पोते सिराजुद्दौला की कब्रें हैं, यहां 1869 में नगरपालिका का गठन हुआ था।
 
कौन था मुर्शिद कुली खान? 
मुर्शिद कुली खान बंगाल का ताकतवर नवाब था। इसे मोहम्मद हादी के नाम से भी जाना जाता था। जिनका शासनकाल 1717 से लेकर 1727 तक रहा है। इनके नाम पर ही मुर्शिदाबाद नाम का शहर है। मुर्शिद कुली खान का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पश्चिम बंगाल में आज भी अगर किसी मुस्लिम शासक को सबसे ताकतवर माना गया है तो वह मुर्शिद कुली खान था। मुर्शिद कुली खान का जन्म 1660 में हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसका बचपन का नाम सूर्य नारायण मिश्रा था, उसका जन्म डेक्कन में हुआ। इतिहासकार जदुनाथ की किताब के अनुसार वह 10 साल हिंदू धर्म में रहकर पला-बड़ा था। उनके घर के हालात ऐसे थे कि माता-पिता अपने बच्चों का लालन-पालन नहीं कर पा रहे थे। इसलिए उन्होंने सूर्य नारायण को एक मुगल सरदार हाजी शफी को बेच दिया। शफी की कोई औलाद नहीं थी। 
 
मासीर अल-उमारा नामक पुस्तक भी इस तथ्य का समर्थन करती है कि करीब 10 साल की उम्र में उसे हाजी शफ़ी नाम के एक फारसी को बेच दिया गया। उस फारसी ने उसका धर्मांतरण करके उसे मुसलमान बनाया। इसके लिए उसका खतना भी किया गया था। खतना के बाद उसका नाम मोहम्मद हादी रखा गया था। मुर्शिद कुली खान बहुत बुद्धिमान था। मुर्शिद कुली खान बंगाल का प्रथम स्वतंत्र सूबेदार था। मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा इस पद पर नियुक्त किया गया था। मुर्शिद ने बंगाल को एक स्थिर राजनीतिक शक्ति प्रदान की और उसे समृद्ध बनाने का प्रयास किया। मुर्शिद कुली खाँ को 'दक्षिण का टोडरमल' भी कहा जाता है।
 
सूबेदार बनने के बाद ही उसने खुद को केंद्रीय नियंत्रण से मुक्त कर लिया और वह वह औरंगजेब को नजराने के रूप में बड़ी रकम भेजना रहता था। औरंगज़ेब के आदेश से मुर्शिद कुली खान अपनी राजधानी ढाका से मक़सूदाबाद ले आया और उसने उस नगर का नाम मुर्शिदाबाद रख दिया। कहते हैं कि उसके शासन में यह नियम था कि जो भी किसान अथवा जमींदार लगान न दे, उसको परिवार सहित मुस्लिम होना पड़ता था। जबकि मुस्लिमों को लगान की छूट थी।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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