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किस मुस्लिम देश से भारत आए हैं समोसा और जलेबी, जिनके लिए तम्बाकू और सिगरेट की तरह लिखना होगी चेतावनी

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (17:32 IST)
how samosa and jalebi came to india: हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार अब समोसा और जलेबी बेचने वालों को यह बताना होगा कि उसमें कितना फैट और कितनी चीनी है। यह कदम लोगों को अपने खान-पान के प्रति जागरूक करने और स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करने के लिए उठाया गया है। समोसा और जलेबी ऐसे ही दो व्यंजन हैं, जो देश के हर शहर, कस्बे और गांव के गली नुक्कड़ों पर बिकते और चाव से खाए जाते हैं । इन्हें देखकर शायद ही कोई सोचेगा कि ये कभी 'विदेशी' थे। ये हमारी गली-मोहल्लों से लेकर बड़े रेस्तरां तक में इतने रच-बस गए हैं कि इन्हें भारतीयता का पर्याय माना जाता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि ये दोनों ही स्वादिष्ट व्यंजन भारत के मूल निवासी नहीं हैं? इनकी यात्रा मीलों दूर से हुई है।

भारत में कहां से आया समोसा
भारत में हर नुक्कड़ पर मिलने वाला समोसा, असल में फारसी शब्द 'सम्मोकसा' से बना है। इतिहासकारों का मानना है कि समोसे की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले कहीं मध्य पूर्व (ईरान) में हुई थी। यह 13वीं से 14वीं शताब्दी के बीच मुस्लिम व्यापारियों और आक्रमणकारियों के साथ भारत आया। उस समय समोसे में आलू नहीं, बल्कि कीमा (मांस) और मेवे भरे जाते थे, और इसे तलने की बजाय आग पर सेंका जाता था।
प्रसिद्ध यात्री इब्न बतूता और कवि अमीर खुसरो जैसे लेखकों ने भी अपने लेखों में समोसे का जिक्र किया है। भारत आने के बाद, 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा आलू लाए जाने के बाद, समोसे में आलू भरने का चलन शुरू हुआ और यह धीरे-धीरे शाकाहारी रूप में इतना लोकप्रिय हो गया कि आज यह भारतीय स्ट्रीट फूड का एक अनिवार्य हिस्सा है।

कहां से आई जलेबी
हमारी राष्ट्रीय मिठाई मानी जाने वाली जलेबी का इतिहास भी उतना ही घुमावदार है जितनी इसकी बनावट। जलेबी का नाम अरबी शब्द 'जलाबिया' या फारसी शब्द 'जलाबिया' से बना माना जाता है। मध्यकालीन पुस्तक 'किताब-अल-तबीक़' में 'जलाबिया' नामक एक मिठाई का उल्लेख मिलता है, जिसका उद्भव पश्चिम एशिया (पर्शिया/ईरान) में हुआ था।
जलेबी तुर्की आक्रमणकारियों के साथ लगभग 500 साल पहले भारत में आई थी। ईरान में इसे 'जुलाबिया' या 'जुलूबिया' कहा जाता था। भारत आने के बाद, इसके नाम, स्वाद और बनाने के तरीकों में बदलाव आता चला गया। 15वीं शताब्दी तक, जलेबी भारत में हर त्योहार और उत्सव का एक खास व्यंजन बन चुकी थी, यहां तक कि इसे मंदिरों में प्रसाद के रूप में भी दिया जाने लगा।

जलेबी और समोसा पर चेतावनी पर जनता का सवाल
सरकार के इस फैसले के बाद से चर्चाओं का दौर जारी है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने यदि समोसे और जलेबी पर जनता की सेहत को ध्यान में रखकर वैधानिक चेतावनी लिखने का फैसला किया है तो पिज्जा, बर्गर आदि इसके दायरे में क्यों नहीं। एक यूजर ने लिखा कि समोसे और जलेबी गरीब के ठेले पर बिकता है और पिज्जा, बर्गर अमीरों के रेस्तरां में इसीलिए सरकार ने उन्हें चेतावनी के दायरे से बाहर रखा है।

बता दें कि देश के तमाम सरकारी कैंटीन और रेस्टोरेंट में समोसे और जलेबी जैसे खाद्य पदार्थों पर अब स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी का बोर्ड लगाना जरूरी कर दिया गया है। भारत सरकार ने इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके तहत जहां भी समोसा या जलेबी बिकती हैं, वहां की दीवार पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी/हेल्थ वार्निंग लगाना अनिवार्य किया जा रहा है।


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