भारत के महत्वपूर्ण स्थल लक्षद्वीप पर कैसे पहुंचा इस्लाम

लक्षद्वीप पर इस तरह पहुंचा इस्लाम, हिंदू बस इतने ही बचे

WD Feature Desk
मंगलवार, 9 जनवरी 2024 (12:25 IST)
Population of Indian island Lakshadweep: भारत में ही लगभग 1,000 से अधिक आईलैंड हैं, लेकिन फिर भी लोग विदेश के आईलैंड पर घूमने जाकर वहां का कारोबार बढ़ाते हैं। भारत के प्रमुख आईलैंड में लक्ष्यद्वीप एक शानदार टापू है। संस्कृत में लक्षद्वीप का अर्थ 'एक लाख द्वीप' है। यह पहले हिंदु और बौद्ध बहुल क्षेत्र हुआ करता था लेकिन अब यहां पर मुस्लिम आबादी ज्यादा है। आओ जानते हैं लक्षद्वीप पर इस्लाम के आने की कहानी।
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लक्षद्वीप का परिचय : भारत के 8 केंद्रशासित प्रदेशों में से एक लक्षद्वीप है। कवरत्ती यहां की राजधानी है। केरल के कोच्चि शहर से इसकी दूरी 440 किलोमीटर है। मालदीव से इसकी दूरी 700 किलोमीटर है। संस्कृत में लक्षद्वीप का अर्थ 'एक लाख द्वीप' है। इस भूमि पर 36 से अधिक छोट-छोटे टापूनुमा द्वीपों में बंटी हुई है, जिसे लक्ष्यद्वीप कहा जाता है। यह दुनिया के सर्वाधिक विहंगम उष्‍ण कटिबंधी द्वीपों में से एक है। यहां सुंदर सकरे और लंबे लैगून (समुद्र तल, कच्छ या खाड़ी) है। इन सभी द्वीपों पर मूंगे के रीफ, रेतीले तट और सुंदर प्राकृतिक संपदा देखते ही बनती है। यह प्रदूषण रहित वायु, स्‍वच्‍छ पानी और अतिथि सत्‍कार एवं सुविधा के लिए प्रसिद्ध स्थल है। यहां आप सी ड्रायविंग कर सकते हैं या चाहें तो प्राकृतिक आनंद और आराम का भरपूर मजा ले सकते हैं। यहां कि राजधानी कवरत्ती। यह क्षेत्र केरल के तटीय शहर कोच्चि से 440 किमी दूर, पन्ना अरब सागर में स्थित हैं। यहां पर आाप अक्टूबर से मार्च के बीच सैर सपाटा कर सकते हैं।
 
लक्षद्वीप पर कैसे पहुंचा इस्लाम : लक्षद्वीप के ट्राइबल लोगों को कालांतर में इस्लाम में धर्मांतरित किया गया। अब वहां की 96 प्रतिशत जनसंख्या ट्राइबल है जो मुस्लिम समाज से है। ऐसा कहते हैं कि लक्षद्वीप में इस्लाम का प्रचार प्रसाद 631 ई. में एक अरब सूफी उबैदुल्लाह द्वारा किया गया था लेकिन कुछ इतिहासकार इसे नहीं मानते हैं, क्योंकि 632 ईस्वी तक तो इस्लाम अरब के कुछ शहरों में ही फैला था। बाकी दुनिया के लोग तो इस्लाम को जानते नहीं थे। 632 ईस्वी में हजरत मुहम्मद का निधन हुआ था।

हालांकि यह कहानी जरूर पढ़ने को मिलती है कि शेख उबैदुल्लाह अरब में रहता था। 7वीं सदी में वह समुद्री की यात्रा पर निकला तो तूफान के कारण उसका जहाज भटक गया और लक्षद्वीप के एक द्वीप पर पहुंच गया। वहां उसने एक हिंदू लड़की से विवाह किया। बाद में उसने सभी द्वीपों पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया।
 
इतिहासकारों का मानना है कि लक्ष्यद्वीप में इस्लाम का उदय 7वीं सदी के प्रारंभिक दौर में अरब व्यापारियों के कारण हुआ था। अरब के व्यापारियों के प्रभाव के आकर 825 ईस्वी में जब केरल के एक हिंन्दू राजा चेरामन पेरुमल ने इस्लाम अपना लिया तब यहां पर इस्लाम तेजी से फैला। यहां के मुस्लिमों का रहन सहन और खानपान वैसा ही है जैसा कि उनके पूर्वजों का रहता आया है क्योंकि यहां पर कभी भी तबलीगी जमात का प्रभाव नहीं रहा जोकि मुस्लिमों को कट्टर और अरब जैसा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां रहने वाले अधिकतर मुस्लिम मलयाली, तमिल और कन्नड़ की तरह बात करते और रहते हैं। बहुत कम पर ही अरबी का प्रभाव है। इन लोगों की संस्कृति और रीति रिवाज आज भी हिंदुओं की तरह ही है।
 
वर्तमान में अनुमानित रूप से लक्ष्यद्वीप की 70 हजार की आबादी में 62268 लोग मुस्लिम, 1788 हिंदू रहते हैं और 317 ईसाई रहते हैं। 
 
इस्लाम पर शोध करने वाले एंड्रू डब्ल्यू फोर्ब्स ने अनुसार यहां पर सबसे पहले बसने वाले मालाबारी नाविक थे, लेकिन इसके पुख्ता सबूत नहीं मिलते है। फोर्ब्स के अनुसार 7वीं शताब्दी के दौरान पलायन का एक दौर चला था। पलायन करने वाले में बड़ी संख्या में मालाबारी हिंदू समाज के लोग थे। ये सभी राम और शिव की भक्ति के साथ ही नागदेव की पूजा करते थे। मालाबार तट के नाविकों और अरब के व्यापारियों के बीच लगातार संपर्क बढ़ने के चलते धीरे धीरे ये सभी लोग इस्लाम में कंवर्ट होते गए। अरबों के संपर्क में आने के कारण ये मालाबारी लोग अरबी भी सीख गए। अब इनकी मलयाली में अरबी के भी शब्द होते हैं।
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शासन : ईसा पूर्व छठी शताब्दी की बौद्ध जातक कथाओं में इस द्वीप के बारे उल्लेख किया गया है। 11 वीं शताब्दी के दौरान, द्वीपसमूह पर अन्तिम चोल राजाओं और उसके बाद कैनानोर के राजाओं का शासन था। यहां पर पुर्तगालियों का शासन भी रहा। इसके बाद अरक्कल के मुसलमान, फिर टीपू सुल्तान के शासन क्षेत्र में यह द्वीप रहा। इसके बाद यहां अंग्रजों का शासन रहा। अंग्रजों से आजादी के मिलने के बाद साल 1956 में इसे भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में मिला लिया गया उसके बाद इसे केरल में शामिल किया गया।

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