राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार मुर्मू को वोट देंगे शिवपाल यादव

Webdunia
शनिवार, 9 जुलाई 2022 (20:24 IST)
लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल यादव ने शनिवार को कहा कि उन्होंने फैसला किया है कि वह आगामी राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे।

शिवपाल यादव ने शनिवार को कहा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मुझसे (द्रौपदी मुर्मू के लिए) वोट देने को कहा था और मैंने फैसला किया है कि मैं उन्हें वोट दूंगा। यादव ने कहा, मैंने पहले ही कहा था कि जो मेरा वोट मांगेगा उसे वोट दूंगा। (राष्ट्रपति) रामनाथ कोविंद जी ने (पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान) दो बार मुझसे वोट देने का आग्रह किया था और मैंने उनका समर्थन किया था।

उन्होंने सहयोगियों के गठबंधन छोड़ने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव की 'राजनीतिक अपरिपक्वता' को जिम्मेदार बताया। दरअसल, विपक्षी गठबंधन के सहयोगी के रूप में फरवरी-मार्च उप्र विधानसभा चुनाव लड़ने वाले महान दल के केशव देव मौर्य पहले ही समाजवादी खेमे को अलविदा कह चुके हैं। जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के संजय चौहान ने भी सपा गठबंधन से किनारा कर लिया है।

सपा के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और यादव ने शुक्रवार को आदित्यनाथ द्वारा मुर्मू के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में भाग लिया था। इन दोनों नेताओं के राजग प्रत्याशी के समर्थन से विपक्षी खेमे के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं क्योंकि वह इस पद के लिए यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहा है।

शिवपाल यादव ने हाल ही में इटावा में अपनी पारंपरिक जसवंत नगर सीट से सपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीता था। लेकिन विपक्षी खेमे को भाजपा के हाथों मिली हार के बाद शिवपाल और अखिलेश एक-दूसरे से अलग हो गए। इसके बाद से इन दोनों के रिश्ते में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

शिवपाल यादव ने कहा, मुझे (सपा की) किसी भी बैठक में नहीं बुलाया गया है, और मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, (सात जुलाई) को जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा राजधानी आए थे तब भी मुझे बैठक में नहीं बुलाया गया था, न ही मेरा वोट मांगा गया था। मुझे लगता है कि यह राजनीतिक परिपक्वता नहीं है। इसी वजह से गठबंधन के दोस्त साथ छोड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि सात जुलाई को विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा समाजवादी पार्टी कार्यालय में समर्थन मांगने आए थे। उस बैठक में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत सिंह तो मौजूद थे लेकिन गठबंधन के अन्य सहयोगी उपस्थित नहीं थे।

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया था कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के रात्रिभोज के दौरान राजा भैया के नाम से मशहूर जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह और उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र विधायक उमा शंकर सिंह भी मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर मौजूद थे।

राजा भैया ने भी बाद में इस बात की पुष्टि की थी कि वह, राजभर, शिवपाल यादव और उमा शंकर सिंह रात्रिभोज में शामिल हुए थे। इस बीच, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया, राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी समाज से आने वाली राजग की प्रत्याशी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का साथ कई दल और नेता देने के लिए तैयार हैं।

अखिलेश यादव जी से भी अनुरोध है कि उन्हें भी गरीब, आदिवासी महिला को समर्थन देकर सामाजिक न्याय के इतिहास में शामिल होना चाहिए! समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने यशवंत सिन्हा के साथ विपक्षी नेताओं की बैठक में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख राजभर को आमंत्रित नहीं किया था।

इसके बाद राजभर ने शुक्रवार को कहा था कि वह राष्ट्रपति चुनाव को लेकर समर्थन के मसले पर अपने फैसले की घोषणा 12 जुलाई को करेंगे। उन्होंने कहा था कि वह शुक्रवार को मऊ और शनिवार को बलिया एवं गाजीपुर में पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात करेंगे तथा इसके बाद अपना फैसला सार्वजनिक करेंगे।

उन्होंने यशवंत सिन्हा के समर्थन को लेकर पूछे जाने पर कहा कि अभी कुछ भी तय नहीं है। वह पहले ही कह चुके हैं कि वह अपने दम पर राष्ट्रपति चुनाव पर फैसला करेंगे। लेकिन आदित्यनाथ द्वारा आयोजित रात्रिभोज में उनकी उपस्थिति राजग उम्मीदवार के प्रति उनके झुकाव को दिखाती है।

शिवपाल यादव के उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम के बाद से अपने भतीजे अखिलेश यादव के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। शिवपाल कई बार आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं और कई मुद्दों पर सपा प्रमुख पर हमला करते रहे हैं।

रात्रिभोज में बसपा विधायक उमा शंकर सिंह की उपस्थिति मुर्मू को समर्थन देने की पार्टी प्रमुख मायावती की घोषणा की पुष्टि करती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं। उन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी समूह के सहयोगी के रूप में लड़ा था।(भाषा)

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